घर में कैसे करें गणेशजी की पूजा और स्थापना? जाने स्टेप बाय स्टेप पूर्ण विधि
विघ्न हरता श्री गणेश भक्तों के दुख हरने के लिए जाने जाते हैं। इसलिए किसी भी शुभ कार्य को शुरू करने के पहले गणेशजी की पूजा करना अनिवार्य माना जाता है। वहीं बुधवार के दिन गणेशजी की पूजा करने का अपना एक विशेष महत्व होता है। कहते हैं बुधवार के दिन सही विधि से गणेशजी को पूजा जाए तो वे आपके जीवन के सभी दुख दर्द दूर कर देते हैं। ऐसे में आज हम आपको गणेशजी स्थापित करने और बुधवार को उनकी पूजा करने की विधि बता रहे हैं।
ऐसे करें गणेशजी की स्थापना
1. गणेशजी का जन्नम मध्याह्न काल में हुआ था, इसलिए उन्हें दोपहर के समय स्थापित करना शुभ माना जाता है।
2. जिस दिन आप गणेशजी की स्थापना करें, उस दिन चंद्रमा भूलकर भी न देखें।
3. गणेश मूर्ति को अपने हाथ से भी बनाया जा सकता है और बाजार से खरीदकर भी लाया जा सकता है।
4. गणेशजी की स्थापना स्नान कर और नए कपड़े पहन करनी चाहिए।
5. स्थापना के बाद गणेशजी को माथे पर तलाक लगाना चाहिए। पूर्व दिशा में मून कर आसान पर बैठना चाहिए। आसन पत्थर का हो तो अच्छा है।
6. गणेशजी की मूर्ति को हमेशा लकड़ी के पटरे पर या गेहूं, मूंग, ज्वार के ऊपर लाल वस्त्र बिछाकर स्थापित करना चाहिए।
7. गणेशजी के दाएं बाएं एक एक सुपारी रखना चाहिए। ये उनकी पत्नी रिद्धि-सिद्धि का प्रतीक होती है।
ऐसे करें गणेश पूजन
गणेशजी के समक्ष घी का दीपक प्रज्वलित कर पूजा का संकल्प लें। हाथ जोड़ पूर्ण ध्यान लगा गणपती बप्पा का आह्वन करें। अब गणेशजी को स्नान कराएं। इसके लिए पहले जल का और फिर पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और चीनी का मिश्रण) और फिर दोबारा शुद्ध जल का इस्तेमाल करें।
अब गणेशजी को वस्त्र या नाड़ा सिंदूर, चंदन और फल फूल चढ़ाएं। गणेशजी के पास मनमोहक सुगंध वाली धूप दिखाएं। इसके बाद घी का एक और दीपक जालें और गणेशजी की प्रतिमा को दिखा हाथ धो लें। इसके बाद नैवेद्य चढ़ाएं। इसमें मोदक, मिठाई, गुड़ और फल शामिल करना न भूलें। अब गणेशजी के चरणों में नारियल और दक्षिणा चढ़ाएं।
अब सम्पूर्ण परिवार एकत्रित हो जाए और गणेशजी की आरती शुरू करें। इस आरती में कपूर और घी में डूबी एक या तीन से अधिक बत्तियां होनी चाहिए। आरती समाप्त होने पर हाथ में पुष्प लें और गणेशजी के चरणों में अर्पित करें। इसके बाद गणेशजी की परिक्रमा दें। यह आपको सिर्फ एक बार ही देनी है।
अंत में गणेशजी से अपनी भूल चूक की क्षमा मांगे। उन्हें साष्टांग प्रणाम करें और अपने दुख दर्द या इच्छा उनके समक्ष रखें।