अध्यात्म

कैलाश पर्वत से जुड़े हैं ये चौंकाने वाले रहस्य, जिससे नासा भी है हैरान

कैलाश पर्वत को भगवान शंकर का निवास स्थान माना गया है। शास्त्रों के अनुसार कैलाश पर्वत पर भोलेनाथ अपने परिवार के साथ निवास करते हैं। शिवपुराण, स्कंद पुराण और मत्स्य पुराण में कैलाश पर्वत का उल्लेख करते हुए लिखा गया है कि कैलाश पर्वत के ऊपर स्वर्ग और नीचे मृत्यलोक है। इस पर्वत के पास ही कुबेर की नगरी भी है। यहां से ही गंगा की नदी की उत्पत्ति होती है। ये पर्वत हिंदूओं का पवित्र स्थान है।

आज हम आपको शंकर भगवान के निवास स्थान यानी कैलाश पर्वत से जुड़े कुछ रहस्य बताने जा रहे हैं, वो शायद ही अपने पहले सुने होंगे। इन रहस्यों का पता लगाने के लिए वैज्ञानिकों ने कई सारे शोध भी किए हैं। लेकिन आज तक किसी को सफलता नहीं मिल पाई है।  तो आइए जानते हैं, कैलाश पर्वत से जुड़े इन रहस्यों के बारे में।

कैलाश पर्वत से जुड़े रहस्य

पहला रहस्य

कैलाश पर्वत को धरती का केंद्र माना गया है। दरअसल धरती के एक ओर उत्तरी ध्रुव है, तो दूसरी ओर दक्षिणी ध्रुव और दोनों ध्रुव के बीच ये पर्वत स्थित है। जिसकी वजह से इसे धरती का केंद्र माना जाता है।

दूसरा रहस्य

कैलाश पर्वत मानसरोवर के पास स्थित है। ये जगह हिंदूओं के अलावा अन्य धर्म के लोगों के जीवन में भी खास महत्व रखीता है। कैलाश पर्वत दुनिया के 4 मुख्य धर्मों- हिन्दू, जैन, बौद्ध और सिख धर्म का धार्मिक केंद्र है और हर साल इस धर्म के लोग इस जगह जरूर जाते हैं।

तीसरा रहस्य

कैलाश पर्वत को अलौकिक शक्ति का केंद्र भी माना गया है। इस पर्वत पर कई शोध हुए हैं और रूस के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए शोध के अनुसार ये पर्वत एक्सिस मुंडी (Axis Mundi) स्थान पर है। जहां अलौकिक शक्ति का प्रवाह होता है और आप उन शक्तियों के साथ संपर्क कर सकते हैं। दरअलल एक्सिस मुंडी को हिंदी में दुनिया की नाभि या आकाशीय ध्रुव और भौगोलिक ध्रुव का केंद्र कहा जाता है। ये आकाश और पृथ्वी के बीच संबंध का एक बिंदु है, जहां दसों दिशाएं मिल जाती हैं।

चौथा रहस्य

शास्त्रों के अनुसार यहीं से महाविष्णु के कर-कमलों से निकलकर गंगा कैलाश पर्वत की चोटी पर गिरती है और शिव जी गंगा को अपनी जटाओं में भर धरती में गंगा को भेजते हैं।

पांचवा रहस्य

कैलाश पर्वत एक विशालकाय पिरामिड भी है और इस पर्वत की संरचना कम्पास के 4 दिक् बिंदुओं के समान है और एकांत स्थान पर स्थित है। जिसकी वजह से इसे एक विशालकाय पिरामिड भी कहा जाता है, जो 100 छोटे पिरामिडों का केंद्र है।

छठा रहस्य

आपको जानकर हैरानी होगी की अभी तक कोई भी व्यक्ति इस पर्वत पर चढ़ाई नहीं कर सका है। 11वीं सदी में एक तिब्बती बौद्ध योगी मिलारेपा ने इस पर चढ़ाई करने की कोशिश की थी। लेकिन वो असफल रहा था। इसी तरह से रूस के भी कई लोगों ने इस पर्वत की चढ़ाई करना चाहिए लेकिन कोई कामयाब नहीं हो।

सातवां रहस्य

इस जगह पर दो झीले हैं। जिनमें से एक मानसरोवर है। मानसरोवर का पानी एकदम शुद्ध है। उस झील का आकर सूर्य के समान है। जबकि दूसरा झील राक्षस नामक है। जो दुनिया की खारे पानी की उच्चतम झीलों में से एक है। इसका आकार चन्द्र के समान है। ये दोनों झीलें सौर और चन्द्र बल को दर्शाती है। जिसका संबंध सकारात्मक और नकारात्मक ऊर्जा से है। इस जगह को जब आप दक्षिण से देखते हैं तो एक स्वस्तिक चिह्न दिखता है। जो कि हिंदू धर्म में काफी पवित्र माना गया है।

आठवां रहस्य

शास्त्रों के अनुसार कैलाश की चारों दिशाएं जानवरों के मुख जैसी दिखती हैं। इन मुखों से ही नदियों का उद्गम होता है। पूर्व में अश्वमुख है, पश्चिम में हाथी का मुख है, उत्तर में सिंह का मुख है, दक्षिण में मोर का मुख है। इन से 4 नदियों का उद्गम हुआ है जो कि ब्रह्मपुत्र, सिन्धु, सतलज और करनाली। इन नदियों से गंगा, सरस्वती नदियां भी निकली हैं।

नौंवा रहस्य

कहा जाता है कि कैलाश पर्वत और उसके आसपास के केवल पुण्यात्माएं ही रह सकती हैं। यहीं वजह है कि यहां के वातावरण में केवल आध्यात्मिक ही रहे सकते हैं। इसके अलावा ये भी कहा जाता है कि इस जगह पर  यति मानव रहता है। कुछ वैज्ञानिक इसे निंडरथल मानव मानते हैं। विश्वभर में करीब 30 से ज्यादा वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि हिमालय के बर्फीले इलाकों में हिम मानव मौजूद हैं। इस जगह पर दुनिया का सबसे दुर्लभ मृग कस्तूरी मृग पुया जाता है।

दसवां रहस्य

आज भी कैलश पर्वत पर लोगों को डमरू और ओम की आवाज सुनाई देती है। कहा जाता है कि कैलाश पर्वत या मानसरोवर झील के पास ये आवाज निरंतर  सुनाई देती है। जो कि ‘डमरू’ या ‘ॐ’ की ध्वनि जैसी होती है। हालांकि वैज्ञानिकों का माना है कि ये आवाज बर्फ के पिघलने के कारण आता है।

ग्यारहवां रहस्य

कई बार कैलाश पर्वत पर 7 तरह की लाइटें भी निकलकी है। जो कि आसमान में चमकती हुई देखी देती है। इन लाइट्स के बारे में नासा के वैज्ञानिकों का कहना है कि  चुम्बकीय बल के कारण ये लाइटें निकलती है।

गौरतलब है कि हर साल भारत से कई सारे लोग कैलाश पर्वत जाते हैं। कैलाश पर्वत की यात्रा बेहद ही कठिन भरी होती है। जो कि 18 दिनों की होती है। इस जगह जाकर लोग कैलाश पर्वत के दर्शन करते हैं। हालांकि कोरोना के कारण पिछले साल ये यात्रा नहीं हो सकी थी और इस बार भी ये यात्रा होगी की नहीं इसपर सवाल बना हुआ है।

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