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इन तरीकों से आपके घर पैदा हो सकते हैं जुड़वा बच्चे,जाने कैसे बढ़ाएं अपनी फर्टिलिटी

इस बात में कोई शक नहीं कि जुड़वा बच्चे देखने में बड़े ही प्यारे लगते हैं। ऊनके घर आने से खुशियां डबल हो जाती है। ऐसे में कई लोग जुड़वा बच्चे चाहते हैं। हालांकि जुड़वा बच्‍चे का होना कई बातों पर निर्भर करता है जैसे फैमिली हिस्‍ट्री, फर्टिलिटी ट्रीटमेंट और महिला का शरीर इत्यादि। लेकिन आज हम आपको कुछ ऐसी टिप्स बताने जा रहे हैं जिससे आपको जुड़वा बच्चे होने की संभावना भी बढ़ जाएगी।

जुड़वा बच्‍चे असल में दो प्रकार से कंसीव होते हैं – आइडेंटिकल और फ्रेटरनल। आइडेंटिकल ट्विन तब पैदा होते हैं जब एक फर्टिलाइज एग टूटकर दो भ्रूण में विभाजित हो जाता है। वहीं यदि दो स्‍पर्म से दो एग फर्टिलाइज जाएं तो उसे फ्रेटरनल एग कहा जाता है। आइडेंटिकल ट्विंस कंसीव करना एक प्राकृतिक प्रक्रिया होती है। हालांकि आप कुछ चीजें ट्राय कर फ्रेटरनल तरीके से जुड़वा बच्चे पैदा कर सकते हैं।

​सेक्‍स पोजीशन: मिशनरी, रियर एंट्री सेक्‍स और सिजरिंग पोजीशन में सेक्स करने से जुड़वा बच्चे होने की संभावना बढ़ जाती है। इसकी वजह यह है कि ये सभी पोजिशन्स डीप पेनिट्रेशन उत्पन्न करती है जो कि ओवुलेशन के व्यक्त आपको जुड़वा बच्चे कंसीव करने में मदद करता है।

​जड़ी बूटियां: कुछ जड़ी बूटियां भी ऐसी होती है जो आपको जुड़वा बच्चे होने की संभावना को बढ़ा देती है। जैसे ‘माका रूट’ महिलाओं की फर्टिलिटी बढ़ाती है तो वहीं ‘ईवनिंग प्रिमरोज ऑयल’ महिलाओं की प्रजनन से जुड़ी समस्याओं को दूर करता है। इन जड़ी बूटियों से प्रजनन ऊतकों में रक्‍त प्रवाह, ओवरी के कार्य करने की क्षमता में सुधार होता है। यह चीज जुड़वा बच्‍चों के लिए फर्टिलिटी और ओवुलेशन काे बढ़ाने में सहायक सिद्ध होती है।

सप्‍लीमेंट्स: फोलिक एसिड युक्‍त सप्‍लीमेंट और मल्‍टीविटामिन का सेवन करने से भी जुड़वा बच्चे होने की संभावना को बढ़ाया जा सकता है। दरअसल गर्भावस्‍था में शिशु के सही विकास और मां की सेहत के लिए फोलिक एसिड और कई तरह के विटामिन अतिआवश्यक होते हैं।

​डायट: डेयरी प्रोडक्‍ट्स, सोया और मछली जैसी चीजों का सेवन कर जुड़वा बच्‍चे कंसीव करना आसान हो जाता है। इसकी वजह ये है कि जुड़वा बच्‍चों को कंसीव करने में पर्याप्त पोषण और न्‍यूट्रिशियन बहुत जरूरी चीज होती है। हालांकि सिर्फ खाने पीने में बदलाव करने से जुड़वा बच्चों की गारंटी भी नहीं रहती है।

​वजन और लंबाई: कुछ रिसर्च ये दावा करती है कि मोटी और 30 से ज्यादा बीएमआई वाली महिलाओं में सामान्य वजन वाली महिलाओं की तुलना में जुड़वा बच्चे होने की संभावना अधिक होती है। ऐसा बढ़ते एस्‍ट्रोजन लेवल और एक्‍स्‍ट्रा फैट द्वारा दो एग रिलीज करने के चलते होता है। लेकिन गर्भावस्था के पूर्व महिला का मोटा होना प्रेग्नेंसी में जटिलताएं उत्पन्न कर सकता है। 5 फुट 4.8 इंच से लंबी महिलाओं में भी जुड़वा बच्चे होने की संभावना अधिक रहती है। लंबी महिलाओं के पेट में जुड़वा बच्‍चे होने पर उन्हें प्रीटर्म डिलीवरी का डेंजर कम रहता है।

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