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सामूहिक खुदखुशी: एक ही घर से निकली 4 अंतिम यात्रा, एक चिता पर थे माता पिता तो दूसरी पर 2बेटियां

राजस्थान के सीकर में एक परिवार ने रविवार को सामूहिक खुदखुशी कर ली। सोमवार को जब परिवार के चारों लोगों की अंतिम यात्रा निकली तो नजारा देख हर किसी की आंखें नम हो गई। एक चिता पर पति पत्नी को जलाया गया तो दूसरी चिता पर उनकी दोनों बेटियों का अंतिम संस्कार हुआ। ये मार्मिक दृश्य देख वहां मौजूद हर किसी का कलेजा कांप उठा।

दरअसल मृतक 48 वर्षीय हनुमान प्रसाद अपने 18 साल के बेटे अमर की मौत का सदमा सहन नहीं कर सके थे। उनके बेटे की हार्ट अटैक आने से मौत हो गई थी। ऐसे में बेटे के जाने के गम में उन्होंने अपनी 45 साल की पति तारा और 2 बेटियों पूजा और अन्नू संग सामूहिक आत्महत्या कर ली।

अपने बेटे और उसके परिवार की चिता को दहकते हुए देख बूढ़े मां- बाप की आँखों से आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे। वे रोते रोते बार बार कह रहे थे कि बेटा तुझे इतना भी क्या गम था जो अपनी दोनों जवान बेटियों के जीवन का भी नहीं सोचा। मृतक हनुमान सैनी की  70 वर्षीय मां तो रोते रोते कई बार बेहोश भी हो गई। लोग उन्हें जैसे तैसे दिलासा देकर समझा रहे हैं।

मृतक हनुमान प्रसाद भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद दिवंगत मदनलाल सैनी के भतीजे भी थे। वे सीकर के पुरोहित जी ढाणी इलाके में रहते थे। वे सरकारी स्कूल में फोर्थ क्लास कर्मचारी के तौर पर कार्य करते थे। बीवी तारा एक हाउस वाइफ थी। वहीं बड़ी बेटी पूजा (24) MSc कर रही थी जबकि छोटी बेटी चीकू (22) BSc की पढ़ाई कर रही थी।

27 सितंबर को उनके परिवार के इकलौते बेटे अमर की दिल का दौरा पढ़ने से मौत हो गई थी। बेटे के जाने के बाद हनुमान प्रसाद इतने कमजोर पड़ गए थे कि सिर्फ ड्यूटी जाने के लिए घर से बाहर निकलते थे। वहीं उनकी पत्नी और दोनों बेटियां घर में ही रहती थी। सभी आस-पड़ोस में भी किसी से कोई बात नहीं करते थे।

वे अपने सुसाइड की काफी दिनों से तैयारी भी कर रहे थे। चार दिन पहले ही उन्होंने एक मिस्त्री से कमरे में लोहे के गर्डर लगवाए थे। फिर किसी से ककार रस्स भी बुलवाई थी। इसके बाद रविवार की शाम परिवार सहित लटक कर जान दे दी।

शाम को जब दूधवाला आया तो कोई भी बाहर नहीं आया। उसने हनुमान के फोन पर कॉल किया। रिंग की आवाज घर से सुनाई दे रही थी लेकिन कोई जवाब नहीं दे रहा था। ऐसे में दूधवाले ने हनुमान के भाई घनश्याम को बुलाया। जब दरवाजा तोड़ा गया तो अंदर परिवार के चारों लोगों के शव लटके देख सभी हैरान रह गए। तुरंत इसकी सूचना पुलिस को भी दी गई।

उन्होंने एक सुसाइड नोट भी छोड़ा। इसमें लिखा कि हम सभी पूरे होश में अपनी ज़िंदगी को अलविदा कह रहे हैं। हमने अपने बेटे को बचाने की पूरी कोशिश की थी लेकिन उसका निधन हो गया। जब वही हमे छोड़ चला गया तो हम रहकर क्या करेंगे। अब किसी काम में मन नहीं लगता। घर में कोई परेशानी नहीं है। हमारे पास सरकारी नौकरी, दुकान, मकान सबकुछ है लेकिन बस बेटा ही नहीं है। उसके बिना ये सब व्यर्थ है। पुलिस से अनुरोध है कि हमारे किसी रिश्तेदार को परेशान नहीं किया जाए।

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