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36 साल के शख्‍स से निकाह करने के बाद कोर्ट पहुंची 17 वर्ष की युवती, लगाई सुरक्षा की गुहार

पंजाब में एक जोड़े ने हाई कोर्ट में एक मांग पत्र देकर सुरक्षा देने की गुहार लगाई थी। जिस जोड़े की ओर से ये मांग पत्र दिया गया है, उनका कहना था कि परिवार वाले शादी से खुश नहीं हैं और उनकी जान को खतरा है। ऐसे में उन्हें सुरक्षा दी जाए। इस जोड़े ने हाल ही में मुस्लिम रीति रिवाज से निकाह किया था। मुस्लिम लड़की की आयु महज 17 साल की है। जबकि उसके पति की आयु 36 वर्ष की है। इनके परिवार वालों ने कोर्ट में इस निकाह पर एतराज भी जताया था। वहीं कोर्ट ने इनके विवाह को सही करार दिया और लड़की की 17 साल की आयु के तर्क को खारिज कर दिया।

दरअसल इन दोनों ने मुस्लिम रीति रिवाज से निकाह किया था। हाई कोर्ट ने मुस्लिम विवाह साहित्‍य और विभिन्न अदालतों के निर्णयों को आधार बनाकर अपना फैसला सुनाया और कहा कि मुस्लिम पर्सनल लाॅ के तहत 18 साल से कम उम्र में भी शादी कर सकते हैं। मुस्लिम पर्सनल लाॅ के तहत लड़की किसी से भी शादी करने के लिए स्वतंत्र है। इस मामले पर हाई कोर्ट की जस्टिस अलका सरीन ने ये फैसला सुनाया।

खबर के अनुसार मोहाली के एक मुस्लिम प्रेमी जोड़े की ओर से सुरक्षा की मांग संबंधी याचिका दायर की गई थी। दोनों ने 21 जनवरी को मुस्लिम रीति-रिवाज के अनुसार शादी की थी। दोनों की ये पहली शादी है। इनके परिवार व रिश्तेदार इस शादी से खुश नहीं थे। इन्होंने मोहाली के एसएसपी को 21 जनवरी को ही एक मांग पत्र देकर सुरक्षा देने की मांग की थी। लेकिन एसएसपी ने कोई कार्रवाई नहीं की। जिसके बाद ये लोग हाई कोर्ट में चले गए और याचिका दायर कर दी।

याचिका पक्ष ने कोर्ट में तर्क दिया कि मुस्लिम कानून में युवावस्था ही विवाह का आधार है। उनके धर्म में 15 वर्ष की उम्र को युवावस्था माना जाता है और लड़की या लड़का शादी के लिए योग्य होते हैं। हाई कोर्ट ने सर डी. फरदुनजी मुल्ला की पुस्तक प्रिंसिपल्स आफ मोहम्मदन के लेख 195 का हवाला देते हुए कहा कि एक मुस्लिम लड़का या मुस्लिम लड़की, जिन्हें यौवन प्राप्त हो चुका है, वो किसी से भी शादी कर सकते हैं। इस मसले पर अभिभावक हस्तक्षेप नहीं कर सकते हैं।

कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता विवाह योग्य है और मुस्लिम पर्सनल ला द्वारा आयु तय की गई है। ऐसे में उन्हें किसी से भी डरने की जरूर नहीं है और न ही किसी की सहमति की जरूरत है। संविधान ने उनको मौलिक अधिकार दिया है। जिससे वे वंचित नहीं हो सकते। इसके साथ ही कोर्ट ने एसएसपी मोहाली को याचिकाकर्ताओं के मांगपत्र पर उचित कार्रवाई करने को कहा और नियमानुसार उनके जीवन व स्वतंत्रता की रक्षा करने के आदेश दिए हैं।

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