राजनीति

मनसे कार्यकर्ताओं की गुंडागर्दी: मराठी नहीं आने पर मजदुर की पिटाई कर उसका वीडियो वायरल कर दिया

महाराष्ट्र राज्य अगर किसी बात के लिए लोकप्रिय हैं तो वह है, पहला मुंबई माया नगरी, दूसरा माया नगरी में बाला साहब ठाकरे के नियम और सबसे आखिर में आता है, यहाँ के किसानों का मसला. महाराष्ट्र में आए दिन किसी न किसी की पिटाई सिर्फ इस वजह से हो जाती हैं कि उसे मुंबई या महाराष्ट्र में रहते हुए मराठी नहीं आती हैं.हालिया मामला भी कुछ ऐसा ही हैं.

मामला हैं वाशी टोलनाके का, जहां पर एक कारचालक की एक कर्मचारी से इस सिर्फ बात पर बहस हो गई कि वह मराठी में बात क्यों नहीं कर रहा है. वह कार मालिक टोल कर्मचारी पर चिल्ला रहा था कि अगर महाराष्ट्र में रहना है तो मराठी सीखनी होगी. मामला मुंबई के वाशी से सामने आया हैं, जहां पर मनसे कार्यकर्ता ने आम नागरिक के साथ मारापीटी कर दी हैं. वह नागरिक भी उनका मराठी भाई ही था.

इस मामले में जब कार मालिक मजदुर को मराठी भाषा के बारे में चिल्ला रह था, तो वहीं से एक अन्य मजदुर उसे बचाने के लिए आया और कहा कि नहीं आती जाओ ‘राज साहेब से बोल दो, जाओ.’ इसके बाद कार चालक ने उस कर्मचारी से भी सवाल किया कि वह मराठी भाषी होकर हिंदी भाषी की तरफदारी क्यों कर रहा है? इसके बाद उन दोनों की अन्य बातें तो कही दूर रह गई और दोनों की लड़ाई हिंदी बनाम मराठी की शुरू हो गई.

इतना होने के बाद उस मराठी भाषी मजदूर की मनसे कार्यकर्ताओं ने मनसे कार्यालय में बुलाकर भी खूब पिटाई की और उसके साथ हुई इस मारापीटी का वीडियो वायरल कर दिया. इस मजदुर का केवल इतना दोष दोष था कि उसने कार चालक को सिर्फ इतना कह दिया, ‘जाओ राज़ साहेब से बोल दो’ उसके बाद मानो जैसे उस मजदुर की शामत आ गई हो. उसके ऊपर मनसे वाले टूट पड़े और उसकी बेरहमी से पिटाई कर दी.

आपको बता दें कि महाराष्ट्र में राज़ ठाकरे की बात बिना मारा-पीटी के नहीं चलती हैं. वह और उनकी पार्टी इसी काम के लिए जानें जाते है. खैर महाराष्ट्र की राजनीति भी इसी से शुरू होती है. महाराष्ट्र में बाला साहब ठाकरे ने ही यही ट्रेंड सेट किया हैं. उन्होंने अपनी राजनीति का हथियार ही भाषा को बनाया. आज उन्ही के नक़्शे कदम पर उनका बेटा उद्धव ठाकरे और भतीजा राज़ ठाकरे भी चल रहे हैं. लेकिन अब समय बदल रहा हैं, जनता ने अपना विजन भी बदल लिया हैं.

अगर राज़ ठाकरे और उनकी पार्टी मनसे और कार्यकर्ता अभी नहीं संभले तो बहुत देर हो जाएगी. उनके भटके हुए कार्यकर्ता उनकी पार्टी की दिशा और दशा को भटका रहे हैं. इसी के कारण मनसे विस्तार नहीं कर पा रही है. उनको राजनीति बालासाहेब से सीखना चाहिए कि बालासाहेब ने स्थानीयता के मुद्दे से राजनीति शुरू की थी. बाद में उसका विस्तार किया और हिन्दू ह्रदय सम्राट बने. राज़ ठाकरे और उनकी पार्टी मनसे अभी सिर्फ छोटे- मोटे मुद्दों में ही उलझकर रह जाती हैं और समाज के सामने अपनी इमेज खराब कर रही है.

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