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पढ़ें हिमालयी क्षेत्र के दशरथ मांझी ‘लामा’ की कहानी, जिन्होंने अपने दम पर पहाड़ काट बना दी सड़क

लद्दाख के एक बुजुर्ग व्यक्ति ने पहाड़ को काटकर 38 किलोमीटर लंबी सड़क बना दी। इस बुजुर्ग को इस कार्य के लिए पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। इनका नाम लामा त्सुलटिम छोंजोर है और इनकी आयु 70 वर्षीय है। लामा त्सुलटिम छोंजोर की कहानी की अब खूब चर्चा हो रही हैं और सोशल मीडिया पर भी ये छाए हुए हैं। हर कोई इनके बारे में जाना चाहता है।  लामा त्सुलटिम छोंजोर लद्दाख की जंस्कार घाटी के स्तोंग्दे गांव के रहने वाले हैं। जंस्कार घाटी के लोग इन्हें ‘मेमे छोंजोर’ कहते हैं। इसका अर्थ है दादा छोंजोर।

जिस जगह पर इन्होंने ये सड़क बनाई है, वहां पर अब गाड़ियां चलने लगी हैं, जिससे गांव के लोग काफी खुश हैं। इस सड़क के माध्यम से लद्दाख व हिमाचल प्रदेश दोनों राज्यों को लाभ मिला है। दारचा से शिंकुला दर्रा होकर गुजरने वाली इस सड़क को लेह लद्दाख के कारगिल जिला के उपमंडल जंस्कार के पहले गांव करग्या तक बनाया गया है।

साल 2014 में की सड़क बनाने की शुरूआत

लामा त्सुलटिम छोंजोर के गांव में कोई सड़क नहीं थी और आजादी के इतने सालों से ये बस उस दिन का इंतजार कर रहे थे। जब इनका गांव भी सड़क से जुड़ सके। लेकिन ऐसा न होने पर, इन्होंने खुद से ही पहाड़ को काटकर रास्ता बनाने का सोचा। साल 2014 में इन्होंने पहाड़ को काटने का काम अकेल शुरू कर दिया। उस वक्त इन्हें भी ये उम्मीद नहीं थी कि ये इस कार्य में सफल होंगे, लेकिन आज इन्होंने अपने गांव को सड़क से जोड़ दिया है। आपको जानकर हैरानी होगी कि लामा त्सुलटिम छोंजोर ने अकेले अपने दम पर इस रास्ते को बनाया है और इसके लिए किसी से भी मदद नहीं ली है। सड़क बनाने के लिए इन्होंने अपने खेतों तक को बेच दिया था और जो पैसे मिले उसे सड़क बनाने में लगा दिए।

लामा ने अपनी संपत्ति बेचकर सड़क बनाने के लिए 57 लाख की मशीनरी भी खरीदी थी। इस मशीनरी को खरीदने के बाद इन्होंने कारगिल जिले के जंस्कार के करग्या गांव से हिमाचल प्रदेश की सीमा तक सड़क बनाने का कार्य शुरू कर दिया। इसी बीच सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने भी जंस्कार घाटी को लाहुल से जोड़ने के लिए शिंकुला र्दे से सड़क बनाने का कार्य शुरू कर दिया। लाहुल की ओर जब बीआरओ शिंकुला पहुंच गया तब भी लामा त्सुलटिम छोंजोर ने जंस्कार की तरफ से सड़क निर्माण का कार्य जारी रखा गया। बॉर्डर रोड टास्क फोर्स (बीआरटीएफ) के तत्कालीन कमांडर एसके दून ने लामा त्सुलटिम छोंजोर के कार्य को सराहा और सड़क निर्माण शुरू किया।

गांव वाले बैं बेहद ही खुश

हिमालयी क्षेत्र के दशरथ मांझी कहलाए जाने वाले लामा त्सुलटिम छोंजोर को मिले पद्मश्री पुरस्कार से हर कोई खुश है। इनके गांववालों को इस बात का यकीन तक नहीं हो रहा है। इतना ही नहीं लाहुल स्पीति प्रशासन ने 15 अगस्त 2016 को केलंग में लामा त्सुलटिम छोंजोर को सम्मानित किया था। वर्ष 2016 में बीआरओ के कमांडर कर्नल केपी राजेंद्रा ने भी लामा को शिंकुला में सम्मानित किया था। वहीं सड़क बनने पर लामा ने कहा है कि जंस्कार में सड़क संपर्क स्थापित होना ही उनके लिए सही इनाम होगा।

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