राजनीति

-प्रधानमंत्री मोदी ने की अपने मन की बात उस पर राकेश टिकैत ने पलटवार करते हुए की अपने मन की बात

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हर महीने के आखरी रविवार को रेडियो पर ‘मन की बात’ प्रोग्राम करते है. लिहाज़ा उन्होंने वर्ष 2021 में पहली बार मन की बात की. इस दौरान पीएम ने 26 जनवरी मंगलवार को हुई हिंसा का भी जिक्र किया. प्रधानमंत्री ने गणतंत्र दिवस पर लालकिले पर हुए उपद्रव के बारे में बोलते हुए कहा कि देश उस दिन तिरंगे का अपमान देख बहुत दुखी हुआ.

इस पर किसान नेता राकेश टिकैत ने पलटवार करते हुए कहा कि, तिरंगे का जिसने अपमान किया जाकर उसे पकड़ो. राकेश टिकैत ने कहा कि क्या तिरंगा सिर्फ प्रधानमंत्री का है? सारा देश तिरंगे को प्यार करता है, 26 जनवरी को जिसने तिरंगे का अपमान किया है सरकार उसे जाकर पकड़े.

आपको बता दें कि, मन की बात कार्यक्रम में बोलते हुए पीएम मोदी ने मंगलवार की घटना का जिक्र कर दुःख जताया. इस दिन लाल किले की प्राचीर पर प्रदर्शनकारी किसानों ने चढ़कर अपने धार्मिक झंडे फहरा दिए थे. किसानों के झुंड ने ठीक उस जगह पर झंडा लगया था, जहां हर साल 15 अगस्त पर प्रधानमंत्री तिरंगा फहराते हैं. इसके साथ ही हिंसक किसानों की भीड़ द्वारा लाल किले में जमकर तोड़फोड़ भी की गई थी.

इस मुद्दे पर टिकैत का कहना है कि, 26 जनवरी को जो कुछ भी हुआ, वह सिर्फ एक साजिश का परिणाम था. टिकैत ने कहा कि इस मामले की अच्छी तरह से जाँच होनी चाहिए. इसके साथ ही इस किसान नेता ने एक निजी न्यूज़ चैनल से बात करते हुए कहा कि तिरंगा सबसे ऊपर है. हम कभी तिरंगे का अपमान नहीं करेंगे. सदैव उसे ऊंचा रखेंगे.

भारतीय किसान यूनियन के नेता ने सरकार से दोबारा बातचीत शुरू करने को लेकर कहा है कि बंदूक की नोक पर तो बात आगे नहीं बढ़ाई जा सकती है. हम यह नहीं चाहते है कि सरकार या संसद हमारे आगे झुके, लेकिन वह देश भर के किसानों के आत्मसम्मान को भी समझे. जो किसान गिरफ्तार हुए है उन्हें छोड़ा जाए. किसान की पगड़ी का भी सम्मान होगा और देश के पीएम का भी. पीएम ने दोबारा से बात की पहल की है. इसके साथ ही किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा किसान को न तो कमजोर होने की जरूरत है और न ही हताश होने की जरूरत है. किसानों के मनोबल को गिराने के लिए बहुत षड़यंत्र किये गए. अब किसान इन सब से उबर चुका है. किसानों का मनोबल नहीं टूटेगा, अब किसान और भी मजबूती से लड़ेगा. इस लड़ाइआ में किसान अपनी जीत साथ लेकर ही जायेगा. किसान दिल्ली अपना हक लेने आए थे और अपना हक लेकर ही जाएंगे.

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