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ये है भूतों का मेला, बाल नोचकर और झाड़ू से पीटकर शरीर से भगाए जाते हैं भूत – Photos

भूत, पिशाच, चुड़ेल और आत्मा जैसी चीजों में अधिकतर मॉडर्न सोच के लोग यकीन नहीं करते हैं। हालांकि भारत में आज भी कई ऐसे लोग मौजूद हैं जो इन अलौकिक शक्तियों में विश्वास रखते हैं। आप ने भी कई बार लोगों को कहते सुना होगा कि फलाने व्यक्ति के शरीर पर भूत ने कब्जा कर लिया है। फिर वह उस व्यक्ति को तांत्रिक के पास ले जाकर झाड़-फूंक करते हैं। लेकिन मध्य प्रदेश में एक जगह ऐसी भी है जहां हर साल भूतों का पूरा मेला लगता है। यहां दूर दूर से लोग अपने शरीर के अंदर का भूत भगाने आते हैं।

यहां लगता है भूतों का मेला

दरअसल हम यहां जिस जगह की बात कर रहे हैं वह मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के बैतूल (Betul) जिले के मलाजपुर गांव (Malajpur Village) में आती है। यहां बैतूल के चिचोली (Chicholi) विकासखंड में मलाजपुर में गुरु बाबा (Guru Baba) की एक समाधि है। हर साल पौष मास (Paush Maas) की पूर्णिमा (Purnima) में यहां भूतों का मेला (Ghost Fair) लगता है।

यह गुरु साहब का यह मेला यहां पिछले 400 सालों से लगता आ रहा है।

ऐसे भगाए जाते हैं शरीरी से भूत

इस मेले में भूतों को भगाने का दावा किया जता है। ऐसी मान्यता है कि यदि आप यहां मौजूद गुरु बाबा (Guru Baba) की समाधि की परिक्रमा लगा लो तो आपके शरीर से भूत भाग जाता है।

इसके अलावा यहां के बाबा लोग भूत भगाने के लिए पीड़ित व्यक्ति के बाल नोचते हैं और झाड़ू से उन्हें मरते भी हैं। इस इलाज के बाद उनके शरीर का भूत भाग जाता है।

इन लोगों का भी होता है इलाज

शरीर से भूत भगाने के अलावा यहां निसंतान दंपति को संतान देने, मानसिक रूप से पीड़ित (Mental Illness) व्यक्ति को ठीक करने और सर्पदंश से पीड़ित मरीज इलाज करने का दावा भी किया जाता है।

कुछ लोग इसे अंधविश्वास (Superstition) कहते हैं तो कुछ को इसमें गहरी आस्था होती है। यहां आने वाले लोगों का कहना है कि भले लोग इसे अंधविश्वास कहे लेकिन यहां आने वाले लोग बीमारी से ठीक होकर ही वापस जाते हैं।

क्या कहता है चिकित्सा विज्ञान?

चिकित्सा विज्ञान की माने तो वह इन सभी चीजों को अंधविश्वास से ज्यादा कुछ नहीं बताता है। मेडिकल ऑफिसर रजनीश शर्मा के अनुसार मानसिक बीमारी (Mental Illness) कई प्रकार की होती है। इनका अलग अलग माध्यमों से इलाज करवाया जाता है। बाल खींचने या झाड़ू मारने से किसी गंभीर बीमार का इलाज संभव नहीं है।

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