राजनीति

CWC : राज्यों के चुनाव को बनाया गया बहाना, राहुल गाँधी को फिर एक बार सुरक्षित बचा लिया गया

देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस अभी बिना मार्गदर्शन के चल रही है. कल कांग्रेस पार्टी की CWC मीटिंग हुई जिसमे कयास लगाए जा रहे थे कि मुमकिन है अब कांग्रेस को कोई नया चेहरा मिल जाए. पार्टी के कुछ अभी भी राहुल गाँधी को अध्यक्ष बनाना चाह रहे थे लेकिन राहुल खुद भी इसमें कोई इंट्रेस्ट नहीं ले रहे थे.

अब अध्यक्ष के चुनाव की समय सीमा एक बार फिर आगे बढ़ गई है. अब संगठन की सर्वोच्च निर्णायक संस्था कांग्रेस कार्यसमिति ने जून 2021 तक पार्टी अध्यक्ष का चुनाव कर लेने का फैसला किया है। मतलब छह महीने और इंतज़ार और जिस तरह से कांग्रेस का घटनाक्रम चल रहा है, लगता नहीं कि उस वक़्त भी कोई बड़ा समाधान निकल पाएगा. बता दें कि विधानसभा चुनावों को बहाना बनाकर यह फैसला जून तक आगे खिसका दिया गया है.

आपको बता दें कि देश कि सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस अब तक के सबसे बुरे समय से गुजर रही है. हाल फ़िलहाल पार्टी की कमान सोनिया गाँधी के पास है लेकिन वह भी अंतरिम अध्यक्ष है. वही पार्टी के कुछ बड़े नेता मौजूदा अध्यक्ष सोनिया गाँधी के काम-काज से खुश नहीं है. अध्यक्ष के कामकाज के खिलाफ आवाज़ उठाने वाले नेता संजय झा को पार्टी ने बाहर का रास्ता दिखा दिया था.

इस मीटिंग के दौरान कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के बीच नोंकझोंक भी देखने को मिली. इस मामले मे राहुल गांधी के बीच-बचाव के बाद मामला शांत हुआ उससे भी बड़े नेताओं में गहराते मतभेदों को साफ़ देखा जा सकता है. कयास तो ये भी है कि जून तक समय सीमा बढ़ाने के पीछे राहुल गांधी को अध्यक्ष बनने के लिए उन्हें राजी करने और पार्टी में शीर्षस्तर पर मुताबिक अनुकूल माहौल बनाने के लिए बढ़ा दी गई है.

अगर जून में भी राहुल पद भार लेने के लिए राज़ी नहीं हुए तो किसी गैर-गांधी को अध्यक्ष बनाया जाएगा. इसके लिए र कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए उसी तरह चुनाव होगा जैसा कि नरसिंह राव के बाद शरद पवार, सोनिया गांधी, सीताराम केसरी, राजेश पायलट और सोनिया गाँधी के बीच हुआ था. अगर गाँधी परिवार से कोई नहीं आगे आया तो उम्मीद है कि दिग्वजिय सिंह, अशोक गहलोत और कई अन्य बड़े नाम इस चुनाव का हिस्सा बन सकते है.

एक नज़र राहुल का राजनैतिक सफर
यह विवाद इतना क्यों गर्माया हुआ है ये तो बताने की जरुरत नहीं है. राहुल गांधी ने 2019 के लोकसभा चुनावों के बाद अध्यक्ष पद से इस्तीफे देने के बाद से ही पार्टी अपने नए अध्यक्ष की तलाश में जुटी हुई है. राहुल से पहले सोनिया गाँधी कांग्रेस की अध्यक्ष थी और राहुल के बाद उन्हें फिर से अध्यक्ष बना दिया गया है. 2019 लोकसभा चुनाव के बाद से कांग्रेस किसी भी चुनाव में कुछ खास नहीं कर पाई है. राहुल गांधी की बात करे तो वह वर्ष 2004 में पहली बार नेहरू-गांधी परिवार की पुस्तैनी सीट अमेठी संसदीय क्षेत्र से सांसद चुनाव लड़े और जीते. इसके बाद राहुल ने लगातार इसी सीट से 2009 और 2014 में भी चुनाव जीता. पार्टी के अंदर राहुल 2007 में महासचिव बने, 2013 में कांग्रेस उपाध्यक्ष और फिर 2017 में उन्हें बिना किसी विरोध के अध्यक्ष बना दिया गया. राहुल के नेतृत्व में कांग्रेस ने 2017 में हुए यूपी चुनावों और 2019 में हुए लोकसभा चुनावों में हार का मुँह देखा.

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