अध्यात्म

श्रीकृष्ण की इस बात से रूठ गई थी मां लक्ष्मी, नाराज होकर करने लग गई थी तपस्या- पढ़ें कथा

वृंदावन के बेलवन मेें स्थित एक मंदिर में सदियों से मां लक्ष्मी भगवान श्रीकृष्ण जी का इंतजार कर रही हैं। इस मंदिर से जुड़ी कथा के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण से एक बार मां लक्ष्मी रूठ गई थी और नाराज होकर जंगल चले गई थी। जिसे जंगल में मां लक्ष्मी रूठकर गई थी वहां पर ही बेलवन नामक ये मंदिर बनाया गया है। इस जगह पर हर साल मेले का आयोजन भी किया जाता है और इस दौरान खिचड़ी बनाई जाती है और इसे प्रसाद के रूप में बांटा जाता है।

बेलवन वृंदावन से यमुना पार मांट की ओर जाने वाली सड़क पर स्थित है। ये काफी प्रसिद्ध मंदिर है और काफी पुराना मंदिर है। कहा जाता है कि इसी जगह पर प्राचीन काल में बेल के पेड़ों का जंगल हुआ करता था। जिसके कारण इस जगह को बेलवन के नाम से जाना जाता है। इस जंगल में श्रीकृष्ण और बलराम अपनी गाए चराने आया करते थे। इन्‍हीं जंगलों के बीच मां लक्ष्मी का ये मंदिर स्थित है। जहां वो कन्हैया से रूठने के बाद आई थीं।

पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार मां लक्ष्मी को श्रीकृष्ण की रासलीला देखने का मन हुआ औैर वो वृंदावन आई गई। मां लक्ष्मी को पता था की थी कृष्ण जी बज्र में अपनी गोपियों के साथ होंगे। ऐसे में वो यहां पहुंच गए। लेकिन श्रीकृष्ण की रासलीला देखने की अनुमति केवल गोपियों को थी। इसलिए मां लक्ष्मी को बाहर की रोक दिया गया। इस बात से मां लक्ष्मी को काफी गुस्सा आया और वो नाराज हो गई। मां लक्ष्मी नाराज होकर वृंदावन की ओर मुख करके बैठ गईं और तपस्‍या करने लगीं।

कृष्ण जी को बनाकर खिलाई थी खिचड़ी

16,108 गोपियां  के साथ रासलीला करने के बाद कृष्ण जी बाहर आए। रासलीला करते हुए कृष्ण जी काफी थक गए थे और उन्हें बेहद ही भूख लग रही है। तपस्या में बैठी मां लक्ष्मी को जब कृष्ण जी के भूखा होने की बात पता चली, तो उन्होंने अपनी साड़ी का एक हिस्सा फाड़ा और उससे अग्नी जलाई। फिर इसी अग्नि पर उन्होंने खिचड़ी बनाकर कृष्ण जी को खिलाई। खिचड़ी खाकर कृष्ण जी की भूख खत्म हो गई और वो प्रसन्न हो गए। फिर मां लक्ष्मी ने कृष्ण जी के सामने ब्रज में रहने की इच्‍छा जताई। कृष्ण जी ने यहां रहने की उन्हें अनुमति दे दी।

कहा जाता है कि ये कथा पौष माह की के दौरान की है और ऐसे में बज्र में इस महीने में बड़े मेले का आयोजन किया जाता है। मेले के दौरान गुरुवार के दिन खिचड़ी महोत्‍सव का आयोजन क‍िया जाता है। मेले में जो भी भक्त आते हैं वो यहां पर खिचड़ी जरूर बनाते हैं। वो यहां चूल्‍हा बनाते हैं और बैठकर उसमें खिचड़ी पकाते हैं और इस खिचड़ी को प्रसाद के रूप में भी बांटा जाता है। मान्यता है कि आज भी मां लक्ष्मी यहां पर कन्हैया की पूजा कर रही है।

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