अध्यात्म

14 जनवरी को खत्म हो रहा है खरमास, तारा अस्त होने के कारण नहीं कर पाएंगे अप्रैल तक शुभ काम

14 जनवरी को सूर्य ग्रह मकर राशि में प्रवेश करने वाले हैं। जिसके साथ ही खरमास खत्म हो जाएगा। वहीं पांच दिन बाद यानी 19 जनवरी को देव गुरु बृहस्पति भी अस्त हो जाएंगे और शुभ कार्यों पर रोक लग जाएगी। पंडितों के अनुसार देव गुरु बृहस्पति 16 फरवरी तक अस्त रहेंगे। वहीं देव गुरु के उदय होते ही शुक्र तारा अस्त हो जाएगा। जो कि 17 अप्रैल को उदय होगा। यानी 17 अप्रैल  के बाद ही शुभ और मांगलिक कामों की शुरू किया जा सकेगा।

दरअसल देवगरू बृहस्पति को धर्म और मांगलिक कामों का कारक माना जाता है। इसलिए इस ग्रह के अस्त होने पर धर्म और मांगलिक कामों को नहीं किया जाता है। देवगरू बृहस्पति  के अस्त होने पर किए गए मांगलिक काम सफल नहीं होते हैं। इसलिए गुरू तारा अस्त होने पर मांगलिक काम नहीं करने चाहिए। इस बार 19 जनवरी से 16 फरवरी तक यानी 28 दिनों तक विवाह और अन्य मांगलिक कामों नहीं किए जा सकते हैं।

वहीं जब देव गुरु बृहस्पति का उदय होगा, तब शुक्र तारा अस्त हो जाएगा। 16 फरवरी को शुक्र ग्रह मकर राशि में अस्त हो रहा है। इसके बाद 17 अप्रैल को सुबह ये ग्रह उदय होगा। शुक्र अस्त होने के दौरान भी शुभ काम नहीं किए जाते हैं। शास्त्रों के अनुसार शुक्र के अस्त होने से मौसम में अचानक बदलाव होने की संभावना बनती है। अस्त होने पर शुक्र का प्रभाव कम हो जाता है। इस साल शुक्र तारा 61 दिनों के लिए अस्त हो रहा है। यानी करीब दो महीनों तक शुभ कार्य नहीं किए जा सकेगे।

हालांकि 16 फरवरी को वसंत पंचमी का पर्व आ रहा है। इस दिन को ही शुभ माना जाता है। ऐसे में इस दिन देवी सरस्वती की पूजा के साथ ही शादी, वास्तु पूजा आदि मांगलिक काम किए जा सकते हैं। इस दिन नए काम की शुरुआत करने से उसमें सफलता जरूर मिलती है। इसलिए नींव पूजन, गृह प्रवेश, वाहन खरीदना, व्यापार का प्रारंभ, शादी और आदि जैसे काम इस दिन किए जा सकते हैं। लेकिन आप इस बात का ध्यान रखें की इन कार्यों को वसंत पंचमी के दिन शुभ मुहूर्त के दौरान ही करें।

मांगलिक कार्यों को करने के अलावा इस दिन देवी सरस्वती की पूजा भी जरूर करें। देवी सरस्वती की पूजा विधि इस प्रकार हैं।

  • वसंत पंचमी के दिन आप नहाने के बाद पीले रंग के वस्त्र धारण करें। उसके बाद मंदिर में एक चौकी रख दें।
  • इस चौकी पर भी पीले रंग का वस्त्र बिछाएं और इसपर मां सरस्वती की मूर्ति रख देँ।
  • मां को पीले रंग के फूल अर्पित करें और भोग भी पील रंग की चीजों का ही लगाएं।
  • अब एक दीपक जला दें।
  • जिस कला के क्षेत्र से जुड़े हुए हैं, उससे जोड़ी कोई वस्तु चौकी व उसके पास जरूर रखें और मां के साथ-साथ उसकी पूजा भी करें।
  • छात्र इस दिन चौकी पर अपनी किताब रखकर पूजा करें। ऐसा करने से सरस्वती मां की कृपा बन जाती है और विद्या की प्राप्ति होती हैं।

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