अध्यात्म

देश के इस गांव में नहीं होती है हनुमान जी की पूजा, जानें इसके पीछे की कहानी!

महावीर की महिमा के बारे में किसी को बताने की जरूरत नहीं है। हिन्दू धर्म मानने वाला शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति होगा, जिसके प्रिय महावीर ना हों। महावीर अथवा हनुमान जी अपने भक्तों की हमेशा सहायता करते हैं। कल हनुमान जयंती थी, कल के दिन देश भर के सभी हनुमान मंदिरों में हनुमान जी का जन्मदिन बड़े धूम-धाम से मनाया गया। हनुमान जी राम के सच्चे सेवक हैं। और राम के इस सेवक की जो भी सच्चे मन से सेवा करता है, वह उसकी हर इच्छा पूरी कर देते हैं।

नहीं है हनुमान जी की पूजा की अनुमति:

हनुमान जी से भूत-पिचाश, रोग सभी डरते हैं। जो भक्त सच्चे मन से आराधना करता है, उसे इन सभी चीजों का जरा भी डर नहीं होता है। मंगलवार और शनिवार के दिन देश भर के हनुमान मंदिर में हनुमान चालीसा की गूंज सुनी जा सकती है। पूरे देश में हनुमान जी की पूजा की जाती है, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि देश में एक ऐसा भी गांव है, जहां हनुमान जी की पूजा नहीं की जाती है। उस गांव के लोगों को हनुमान जी की पूजा करने की अनुमति नहीं है। ऐसा क्यों होता है आइये जानते हैं।

नाराजगी की वजह से नहीं करते हैं पूजा:

दरअसल हम जिस गांव की बात कर रहे हैं, वह उत्तराखंड के चमोली जिले में पड़ता है। इस गांव के लोग नाराजगी की वजह से हनुमान जी की पूजा नहीं करते हैं। इस गांव में यह परम्परा कई सालों से चल रही है। यह गांव द्रोणगिरी पर्वत पर स्थित है, इस वजह से इस गांव का नाम भी द्रोणगिरी पड़ गया। जब लक्ष्मण मुर्छित हुए थे तो उनकी जान बचाने के लिए हनुमान जी को संजीवनी बूटी लाने के लिए भेजा गया था। यहां के लोग मानते हैं कि हनुमान जी उस समय द्रोणगिरी पर्वत का भी एक हिस्सा उठाकर ले गए थे। इस वजह से तब से गांव के लोग हनुमान जी से नाराज हैं।

आज भी दिखाई देते हैं पहाड़ देवता:

गांव वालों के अनुसार जब हनुमान जी संजीवनी लेने आये थे, उस समय पहाड़ देवता ध्यान की मुद्रा में थे। हनुमान जी ने जल्दीबाजी में पहाड़ देवता से बिना अनुमति लिए ही पहाड़ उखाड़ दिया और उनकी साधना भंग कर दी। हनुमान जी ने पहाड़ देवता की दाईं भुजा भी उखाड़ दी। द्रोणगिरी के लोगों का मानना है कि आज भी पहाड़ देवता की दाईं भुजा से खून निकलता है। इसी वजह से यहां के लोग हनुमान जी से काफी नाराज हैं और इसीलिए वह हनुमान जी की पूजा भी नहीं करते हैं। गांव के लोगों का यह भी मानना है कि आज भी कभी-कभी पहाड़ देवता दिखाई देते हैं।

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