अध्यात्म

पार्वती की इस शाप की वजह से स्वाहा हुई थी लंका, जानिए रावण को कैसे मिली लंका?

ये तो आप सभी जानते हैं कि रावण के सोने की लंका को हनुमानजी ने अपने पूंछ से आग लगाकर राख कर दिया था। हालांकि बहुत ही कम लोग इस बारे में जानते हैं कि रावण की लंका जलने के पीछे एक बड़ा रहस्य है और ये रहस्य शिव-पार्वती से जुड़ा हुआ है।

हिंदू धर्मशास्त्रों के अनुसार माता पार्वती के एक शाप के कारण लंका में आग लगी थी। राम भक्त हनुमना तो महज एक जरिया  थे, जिन्होंने माता पार्वती के उस शाप को पूरा किया। तो आइये जानते हैं, आखिर कैसे माता पार्वती के शाप के कारण लंका में आग लगी…

माता पार्वती के मन में जागी थी एक महल की इच्छा…

ये बात तो सभी जानते हैं कि रावण ने कुबेर से सोने की लंका छीन ली थी, लेकिन ये लंका कुबेर का भी नहीं था। बल्कि इसे तो स्वयं भगवान शिव और माता पार्वती ने बनवाया था। वैसे तो महादेव को किसी भवन की लालसा नहीं थी, वे बहुत ही साधाराण जीवन जीते थे मगर माता पार्वती की चाहती थी कि उनका कोई धाम हो।

दरअसल एक बार माता पार्वती ने भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी को कैलाश पर्वत पर आमंत्रित किया था। मां लक्ष्मी कैलाश की ठंड को  बर्दाश्त नहीं कर पाईं और ठंड से ठिठुरने लगी। तब उन्होंने पार्वती को कहा कि आप एक राजकुमारी हैं, फिर इतनी सर्द हवाओं को कैसे झेलती हैं। ये सुनकर उन्हें काफी बुरा लगा। इसके बाद माता लक्ष्मी ने शिव और पार्वती को बैकुंठ धाम बुलाया।

कुछ ही दिनों बाद महादेव और पार्वती बैकुंठ धाम पहुंचे। वहां का वैभव और धन संपत्ति देख माता पार्वती के मन में एक महल बनाने की इच्छा जागृत हुई। इसके बाद उन्होंने भगवान शिव से कहा कि एक महल का निर्माण करवाएं।

पहले तो भगवान शिव ने बहुत समझाने की कोशिश की, मगर पार्वती नहीं मानीं। इसके बाद महादेव ने विश्वकर्मा को एक महल निर्माण का कार्य सौंप दिया। कुछ ही दिनों में विश्वकर्मा ने एक भव्य और सुंदर सोने की लंका तैयार कर दी।

माता पार्वती सोने की लंका के निर्माण से काफी खुश थीं और उन्होंने सभी देवी देवताओं को महल में आने का न्योता भेजा। साथ ही इस महल की प्राण प्रतिष्ठा के लिए रावण के पिता ऋषि विश्रवा को बुलाया गया, जो बेहद ज्ञानी और विद्वान थे। ऋषि विश्रवा ने जब इस महल को देखा तो उनका मन मोहित हो गया।

ऋषि विश्रवा ने पूरे विधि विधान के साथ सोने की लंका का वास्तु प्रतिष्ठा की पूजा की। पूजा संपन्न होने के पश्चात भगवान शिव ने ऋषि विश्रवा से दक्षिणा के लिए पूछा। दक्षिणा में ऋषि ने सोने का महल ही मांग लिया। इसके बाद भगवान शिव उन्हें खाली हाथ जाने नहीं देना चाहते थे और दक्षिणा स्वरूप सोने की लंका ऋषि विश्रवा को दे दी।

 

ये सब देखकर माता पार्वती काफी क्रोधित हुईं और उन्होंने ऋषि को ये शाप दे दिया कि जिस सोने की लंका को आपने  दान में मांगा है वो एक दिन जलकर खाक हो जाएगी। इस तरह से माता पार्वती के शाप के कारण हनुमान जी ने सोने की लंका जला दी थी।

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