अध्यात्म

लुप्त होने के कगार पर है बाण गंगा, जिसे प्यास बुझाने के लिए राम जी ने तीर मारकर किया था प्रकट

भगवान राम जी ने प्यास बुझाने के लिए अपने तीर से एक जलस्रोत निकाला था और इस जलस्त्रोत से पानी पीकर अपनी प्यास बुझाई थी। ये जलस्रोत बाणगंगा सरोवर के नाम से जाना जाता है। दुख की बात ये है कि मुंबई की आध्यात्मिक व प्राचीन धरोहर वालकेश्वर स्थित बाणगंगा सरोवर का जलस्रोत अब लुप्त हो रहा है और इसे बचाने के लिए लोग महाराष्ट्र सरकार से गुहार लगा रहे हैं।

बाण गंगा में 24 घंटे शुद्ध जल का आता है। जो कि किसी चमत्कार से कम नहीं है। लेकिन हाल के दिनों में बाण गंगा जलकुंड के समीप ही एनएचपी ग्रुप और डिवनिटी रियल्टीने ने एक बिल्डिंग निर्माण कार्य को शुरू किया। जिसके लिए खुदाई की गई। इस खुदाई का असर बाण गंगा पर पड़ा और गंगा का पानी गंदा हो गया।

हिंदू जनजागृति समिति के प्रवक्ता उदय धुरी ने बताया कि सितंबर 2020 में एक इमारत के निर्माण के लिए बाण गंगा जलकुंड के बगल में खुदाई का काम किया गया था। इस खुदाई से बाण गंगा पर असर पड़ा और काम शुरू होने के कुछ दिन बाद ही बाण गंगा का साफ पानी कीचड़ से भर गया। जिसके बाद हिंदू जनजागृति समिति और गौड़ सारस्वत ब्राह्मण मंदिर ट्रस्ट के प्रतिनिधिमंडल ने मुंबई की मेयर किशोरी पेडणेकर से मुलाकात की और उन्होंने बाण गंगा के जलकुंड को बचाने को कहा।

हिंदू जनजागृति समिति और गौड़ सारस्वत ब्राह्मण मंदिर ट्रस्ट के पदाधिकारियों ने मेयर पेडणेकर से मिलकर उन्हें कहा कि हाल ही में  हुए विधान मंडल के शीतकालीन सत्र में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने राज्य की सांस्कृतिक धरोहर और प्राचीन मंदिरों का संवर्धन करने की घोषणा की है। लेकिन मुंबई में ही पवित्र बाणगंगा का जलस्रोत लुप्त होने की कगार पर पहुंच गया है। ये शिकायत मिलने के बाद मेयर किशोरी पेडणेकर ने तुरंत इमारत निर्माण के कार्य को रुकवाने का आदेश दिया।

बाण गंगा से जुड़ी कहानी

बाण गंगा से जुड़ी कथा के अनुसार वनवास के दौरान इस जगह पर भगवान राम और लक्ष्मण जी आए थे। एक दिन राम जी को बेहद ही प्यास लगी। अपनी प्यास को बुझाने के लिए राम जी ने अपना बाण चलाया। जहां पर जाकर राम जी का बाण लगा वहां पर पाताल गंगा या भोगवती प्रकट हो गई। जिसके बाद पानी पीकर राम जी ने अपनी प्यास को शांत किया। वहीं तभी से इसका नाम बाणगंगा सरोवर पड़ गया। आज दूर-दूर से लोग इस जगह पर आते हैं। दक्षिण मुंबई के बाण गंगा तालाब का धार्मिक महत्व है और यहां पर हिंदुओं के हर प्रकार के कर्मकांड जैसे श्राद्ध, यज्ञोपवित संस्कार आदि किए जाते हैं।

बाण गंगा के पास ही एक मंदिर भी है। इस मंदिर से जुड़ी कथा के अनुसार लक्ष्मण जी प्रतिदिन पूजा करने के लिए काशी जाते थे और वहां से अपने भाई राम के लिए शिवलिंग लेकर आते थे। ताकि वे बिना किसी बाधा के पूजा कर सकें। एक दिन किसी कारण से लक्ष्मण जी समय पर नहीं लौट सके। तब राम ने यहीं पर बालू का लिंग बनाया और ये स्थान बालू का ईश्वर के नाम से प्रचलित हो गया। ये मंदिर आज भी बाण गंगा सरोवर के पूर्वी तट पर है।

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