राजनीति

कॉमनवेल्थ घोटाले में पूर्व पीएम मनमोहन सिंह पर कस सकता है शिकंजा, पीएसी ने विवादित रिपोर्ट को स्वीकारा!

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह एक बार फिर विवादों में घिरते नजर आ रहे हैं. उनके खिलाफ कामनवेल्थ खेलों से जुड़ी एक रिपोर्ट को संसद की पब्लिक एकाउंट्स कमेटी (पीएसी) ने स्वीकार कर लिया है. इस रिपोर्ट में उनके खिलाफ कई ऐसे आरोप हैं जिनके अनुसार कॉमनवेल्थ गेम्स घोटाले में पीएमओ ने ढुलमुल रवैया अपनाया और सही मायने में काम नहीं किया. इसमें तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर शिकंजा कस सकता है. इस रिपोर्ट में खेल मंत्रालय और कांग्रेस के नेताओं के मनमाने रवैये को उजागर किया गया है.

मनमोहन सिंह सबकुछ जानते हुए भी उसे अनदेखा कर रहा थे :

यह मामला साल 2010 में भारत मे हुए कॉमनवेल्थ खेलों का है. यह रिपोर्ट एक विवादित रिपोर्ट मानी जाती है क्योंकि इसमें तत्कालीन प्रधानमंत्री और खेल मंत्री समेत कई बड़े कांग्रेस नेताओं पर संगीन आरोप हैं. पीएसी ने इस विवादित रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया है. इस रिपोर्ट में कांग्रेस नेता सुरेश कलमाड़ी को खेलों की आयोजन समिति का अध्यक्ष बनाये जाने पर कई कड़े और तीखे सवाल किये गए थे. इसके अलावा रिपोर्ट में पीएमओ पर भी कई आरोप लगाए गए थे और पीएमओ की निंदा की गई थी. रिपोर्ट में कहा गया था कि खेलों की तैयारी के लिए बनाई गई समिति भ्रष्टाचार कर रही थी और पीएमओ सबकुछ जानते हुए भी उसे अनदेखा कर रहा थे .

इसके अलावा 14 जनवरी 2005 को हुई एक मंत्री समूह की बैठक का लिखित जवाब नहीं देने पर पीएमओ ने कहा था कि इस मामले में लिखित ब्यौरा नहीं देने की वजह खेल मंत्रालय ही दे सकता है. पीएमओ पर मामले को टालने के रवैया रखने का भी आरोप लगा.

दोबारा जांच के आदेश:

इसपर रिपोर्ट में कहा गया था कि कॉमनवेल्थ एक राष्ट्रीय महत्व का मुद्दा है ऐसे मामले में पीएमओ को नजर रखनी चाहिए और अपनी सक्रियता दिखानी चाहिए लेकिन पीएमओ पर अपनी जिम्मेदारी टालने के रवैया दिखा जो कि ठीक नहीं है. रिपोर्ट में कड़े शब्दों में इस बात की निंदा की गई थी कि बैठक के ब्यौरे से जुड़े सवाल पर पीएमओ का जवाब था कि इस मामले में खेल मंत्रालय ही वजह बात सकता है, इससे यह पता चलता है कि पीएमओ ने गोलमोल जवाब देने की कोशिश की.

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और इस मामले को लेकर शिकंजा कसने लगा है ऐसे में एकबार फिर वह जांच के दायरे में आ सकतें हैं. संसद की पब्लिक एकाउंट्स कमेटी इस मामले में नए सिरे से जांच कर सकती है.

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