राजनीति

अब चीन के लिए गधे पैदा करेगा पाकिस्तान, जानिए आखिर क्यों?

विश्व भर में बाजार का स्वरूप बढ़ता जा रहा है, तमाम राष्ट्र एक दूसरे को जरूरत की चीजें निर्यात और आयात करते हैं. इसके लिए सभी राष्ट्र अपने अपने देश में आयात और निर्यात नीतियां भी बनाते हैं. आयात निर्यात करने से दो देशों के बीच नजदीकियां बढती हैं और सामरिक रिश्तों में सुधार होता है. लेकिन अब चीन और पाकिस्तान एक दूसरे से गधों के सहारे दोस्ती बढ़ाएंगे. जी हां! अब चीन और पाकिस्तान के बीच दोस्ती का सबसे बड़ा जरिया गधे होंगे.

पाकिस्तान चीन के लिए गधों का उत्पादन करेगा :

चीन को गधों की जरूरत है और पाकिस्तान चीन के लिए गधों का उत्पादन करेगा. क्या आपने कभी गधों के उत्पादन के बारे में सुना है. नहीं न! तो आज जान लीजिये कि पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रोविंस की सरकार का पहला फोकस गधों का उत्पादन बढ़ाने पर होगा. एक तरफ जहां भारत का मेक इन इंडिया प्रोजेक्ट और इसरो के प्रोजेक्ट्स दुनिया में गौरव की नजर से देखे जा रहे हैं तो वहीं पाकिस्तान गधों का उत्पादन कर चीन की जरूरत पूरी करेगा.

खैर आपको बता दें कि पाकिस्तान को इस इससे बहुत ज्यादा मुनाफा होने वाला है. दरअसल पाकिस्तान ने ‘खैबर पख्तूख्वा चाइना सस्टेनेबल डंकी डेवेलपमेंट प्रोग्राम’ की शुरुआत की है. इसका उद्देश्य चीन को गधे निर्यात करना और गधों की ब्रीडिंग के लिए मदद करना है. एक खबर के मुताबिक पाकिस्तान को प्रति गधा 18 से 20 हजार रूपये तक का मुनाफा होगा. इस लिहाज से पाकिस्तान के लिए यह काफी मुनाफेमंद सौदा है.

इस प्रोग्राम के तहत पाकिस्तानी सरकार ने अपने यहां गधों की संख्या बढ़ाने की योजना तैयार की है साथ ही गधा प्रजनन की योजनाओं को सरकारी प्रोत्साहन भी दिया जायेगा. सरकार का उद्देश्य है कि गधा निर्यात करने में किसी भी तरह से गधों की कमी नहीं होनी चाहिए इसके लिए गधा पालने वाले लोगों को खास मुनाफा भी मिलेगा. सरकार गधा पालन को बढ़ावा देगी ताकी गधा पालने वाले लोगों की आर्थिक स्थिति में सुधार आये.

दरअसल चीन में दवाइयों के उत्पादन में गधों की चमड़ी से बनने वाले जिलेटिन का प्रयोग बहुतायत होता है इसके लिए चीन को गधों की आवश्यकता है चीन पाकिस्तान के इस प्रोजेक्ट पर लगभग 50 अरब अमेरिकी डॉलर का निवेश कर रहा है.

गौरतलब है कि पाकिस्तान ने साल 2015 में गधों के विलुप्त होने की आशंका पर गधों की चमड़ी के निर्यात पर अस्थायी प्रतिबन्ध लगाया था. वहीं चीन में एक दशक पहले गधों की संख्या करीब 1 करोड़ 10 लाख थी जो कि अब महज 60 लाख रह गई है.

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