अध्यात्म

गौतम बुद्ध कथा: जीवन में केवल वही कामयाब हो सकता है, जिसके अंदर धैर्य होता है

जीवन में धैर्य होना बेहद ही जरूरी है। बिना धैर्य के जिंदगी में कुछ भी हासिल नहीं किया जा सकता है। इस संदर्भ से एक कथा जुड़ी हुई है जो कि गौतम बुद्ध के समय की है। कथा के अनुसार एक बार गौतम बुद्ध ने महासभा करने का सोचा। गौतम बुद्ध ने अपने शिष्यों को इस बात की जानकारी दी और उनसे कहा कि मैं कुछ समय बाद एक बड़ी सभा करुंगा और लोगों को प्रवचन दूंगा। तो ये बात आसपास के गांव तक पहुंचा दो। ताकि जो भी लोग मेरे प्रवचन सुनने की इच्छा रखें। वो इस सभा में आ जाएंगा।

गौतम बुद्ध के आदेश को मानते हुए उनके शिष्यों ने दूर-दूर के गांवों तक ये बात पहुंचा दी। लोगों को जब गौतम बुद्ध के प्रवचन देने की बात पता चली तो हर कोई उत्सुक हो गया। सभा वाले दिन तय समय से पहले ही लोग वहां पहुंच गए और धीरे-धीरे 150 से अधिक लोग प्रवचन सुनने के लिए जमा हो गए। कुछ समय बाद गौतम बुद्ध वहां आए और पीपल के पेड़ के नीचे बैठ गए। लोग काफी उत्साह के साथ गौतम बुद्ध को देखने लगे और इंतजार करने लगे की कब गौतम बुद्ध उन्हें प्रवचन देंगे। लेकिन गौतम बुद्ध थोड़ी देर तक पेड़ के नीचे बैठने के बाद वापस चले गए और उन्होंने अपने शिष्यों से कहा कि इन लोगों को कहे दो कि मैं कल प्रवचन दूंगा।

शिष्यों ने प्रवचन सुनने आए लोगों तक गौतम बुद्ध का संदेश पहुंचाया और लोगों को कल आने को कहा। सभी निराश होकर वापस घर लौट गए। अगले दिन फिर से सभी लोग प्रवचन सुनने के लिए आए। लोगों को लगा की आज तो गौतम बुद्ध जरूर प्रवचन देंगे। लेकिन गौतम बुद्ध कुछ समय के लिए आए और बिना कुछ बोले वापस लौट गए। गौतम बुद्ध ने लोगों को एक बार फिर से कल आने को कहा।

तीसरे दिन लोगों की संख्या कम हो गई और 150 से कम लोग प्रवचन सुनने के लिए आए। गौतम बुद्ध तीसरे दिन भी बिना कोई प्रवचन दिए वापस लौट गए और लोगों को अगले दिन आने को कहा। चौथे दिन सभा में आने वाले लोगों की संख्या 100 के करीबी रह गई। लोगों को लगा की आज तो जरूर गौतम बुद्ध उन्हें प्रवचन देंगे। लेकिन गौतम बुद्ध सभा में आए और फिर से बिना कुछ प्रवचन दिए वापस चले गए। पांचवें दिन सभा में आने वाले लोगों की संख्या 50 ही रह गई और इस दिन भी गौतम बुद्ध ने प्रवचन नहीं दिया।

इसी प्रकार छठा दिन आया और छठे दिन 15 लोग ही सभा में आए। 15 लोगों को देख गौतम बुद्ध हल्का सा मुस्कुराए और पेड़ के नीचे बैठ गए। लोगों को लगा की शायद आज भी गौतम बुद्ध कोई प्रवचन नहीं देंगे और वापस चले जाएंगे। लेकिन इस दिन गौतम बुद्ध ने प्रवचन दिया और 15 लोगों ने उत्साह के साथ उनका प्रवचन सुना। प्रवचन खत्म होने के बाद सभा में आए व्यक्ति ने गौतम बुद्ध से एक सवाल करते हुए पूछा कि आपने इतने दिनों से कोई प्रवचन क्यों नहीं दिया। इसका क्या कारण था? तब बुद्ध ने कहा मैं केवल उन्हीं लोगों को प्रवचन देना चाहता था जो की सच्चे मन से मेरे प्रवचन सुनने आए थे। यहां वो ही टिक सका जिसमें धैर्य है। जिसमें धैर्य नहीं था उन्होंने आना बंद कर दिया। वहीं जिसमें धैर्य है वो आज मेरे प्रवचन सुन रहा है। जीवन में कामयाब होने के लिए धैर्य होना बेहद ही जरूरी है।

गौतम बुद्ध की ये बात सुनकर सभा में बैठे लोगों को समझ आ गया कि जीवन में कामयाब होने के लिए धैर्य काफी जरूरी है।

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