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दिल्ली दंगा, ताहिर हुसैन को PFI के सदस्यों ने अलग-अलग लोगों के जरिए दिए थे नकद 1.10 करोड़ रुपए

दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल दिल्ली दंगों की जांच करने में लगी हुई है और दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल की ओर से कई सारे लोगों को इस मामले में पकड़ा भी जा चुका है। दिल्ली दंगों की जांच प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा भी की जा रही है और प्रवर्तन निदेशालय ये पता लगाने में लगा हुआ है कि आखिर ये दंगे करवाने के लिए कैसे और किसके द्वारा फंडिंग की गई थी। कहा जा रहा है कि दिल्ली दंगों की साजिश लंबे समय से रची जा रही थी। नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोध के नाम पर दिल्ली में ये दंगे किए गए थे। दिसंबर महीने में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोध में शाहीन बाग में धरना प्रदर्शन किया गया था और इसी दौरान इन दंगों की साजिश को रचा गया था।

देश-विदेश से भेज गए थे पैसे

दिल्ली में दंगे करवाने के लिए देश-विदेश से पैसे पापुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआइ) में भेज गए थे। जांच में पाया गया है कि पीएफआइ के बैंक खातों में देश-विदेश से 120 करोड़ रुपये आए थे। जिनका इस्तेमाल शाहीन बाग में हो रहे प्रदर्शन व दिल्ली दंगों के दौरान किया गया था। सूत्रों के मुताबिक जांच एजेंसियों को पता चला है कि ताहिर को दंगे से कुछ दिन पहले पीएफआइ सहित कई संदिग्ध संस्थाओं के जरिए पैसे दिए गए थे। उमर खालिद, खालिद सैफी और अन्य साजिशकर्ताओं ने करोड़ों रुपये ताहिर को मुहैया कराए थे। आपको बता दें कि पूर्व निगम पार्षद ताहिर हुसैन, उमर खालिद, खालिद सैफी सहित अन्य साजिशकर्ताओं पर दंगे रचने और दंगाइयों को रुपये बांटने का आरोप है।

जांच में पाया गया है कि ताहिर और उसके रिश्तेदारों के स्वामित्व कंपनियों को बड़ी मात्रा में पैसे संदिग्ध संस्थाओं और हवाला के जरिए मुहैया करवाए गए थे। ईडी ने दिल्ली, नोएडा और ग्रेटर नोएडा में ताहिर और उससे जुड़े सहयोगियों के ठिकानों पर भी छापा मारा था और यहां से ईडी के हाथ कई अहम सबूत लगे हैं। जनवरी में पहली बार इंडिया अगेंस्ट हेट के संस्थापक खालिद सैफी ने ताहिर और उमर खालिद को मिलाया था। इसके बाद इन लोगों ने दंगे की तैयारी की थी। 8 जनवरी को शाहीन बाग के पास पीएफआइ के कार्यालय में इनकी गोपनीय बैठक हुई थी। इस बैठक के कुछ दिन बाद उमर खालिद, खालिद सैफी व पीएफआइ के सदस्यों ने अलग-अलग लोगों के जरिए ताहिर को 1.10 करोड़ रुपये नकद दिला दिए थे। ये पैसे मिलने के बाद ताहिर ने इन्हें पिंजरा तोड़ संगठन की छात्रओं व जामिया कोआर्डिनेशन कमेटी के सदस्यों को दिया था।

इसके अलावा पुलिस को उमर खालिद और पीएफआइ के बीच गहरे रिश्ते होने का भी पता चला है। पुलिस ने पाया है कि उमर के पिता प्रतिबंधित संगठन सिमी के पदाधिकारी रहे चुके हैं। सिमी पर प्रतिबंध के बाद से पीएफआइ को मजबूत किया गया है और पीएफआइ के जरिए ही पैसों का इंतजाम किया गया।

गौरतलब है कि दिल्ली में फरवरी के महीने में दंगे करवाए गए थे। जिसमें कई लोगों की मौत हो गई थी। इन दंगों के आरोप में सबसे पहले ताहिर को पकड़ा गया था। जिसके बाद अब इस मामले में उमर की गिरफ्तारी की गई है।

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