अध्यात्म

कुंडली में पितृ दोष होने पर करें ये काम, तिथि पता न हो तो इस दिन कर दें पितरों का श्राद्ध

आश्विन मास के कृष्ण पक्ष से पितृ पक्ष यानी श्राद्ध शुरू हो जाते हैं। श्राद्ध के दौरान अपने पितरों की पूजा की जाती है और लोगों को खाना खिलाया जाता है। मान्यता है कि श्राद्ध में पितरों की पूजा और चीजों का दान करने से पितर खुश हो जाते हैं। जिन लोगों की कुंडली में पितृ दोष होता है, उन्हें विशेष तौर पर श्राद्ध के दौरान पूजा करने को कहा जाता है।

पितरों की आत्मा को मिलती है शांति

पितृदोष

पितृपक्ष के दौरान पितरों की पूजा करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और यही मुख्य वजह है कि श्राद्ध तर्पण क्रिया की जाती है। दरअसल पितरों के नाराज होने से और इनकी आत्मा अशांत रहने से जीवन पर बुरा असर पड़ता है। इसलिए ये बेहद ही जरूरी होता है कि आपके पितर शांत रहे। वहीं इन्हें शांत रखने के लिए ही श्राद्ध किया जाता है।

कब से शुरू हो रहे हैं पितृपक्ष

2 सितंबर से पितृपक्ष शुरू हो रहे हैं। जो कि 15 दिनों तक रहेंगे। इस बार पितृपक्ष के दौरान तीन गुरुवार पड़ रहे हैं। साथ में ही पितृपक्ष 17 सितंबर यानी गुरुवार को खत्म हो रहे हैं। जो कि अत्यंत शुभ माना जा रहा है।

कब करें श्राद्ध

  • पंचमी का श्राद्ध 7 सितंबर को है।
  • मातृ नवमी का श्राद्ध 11 सितंबर को है
  • चतुर्दशी का श्राद्ध 16 सितंबर को होगा।
  • 17 सितंबर गुरुवार के दिन अमावस्या का श्राद्ध पूर्ण होगा।

तिथि ज्ञात न होने पर कब करें श्राद्ध

  • अगर सुहागिन माताओं का देहांत हो गया हो और उनकी तिथि आपको नहीं पता है। तो आप नवमी तिथि को उनका श्राद्ध करें।
  • अकाल मृत्यु अथवा अचानक मृत्यु को प्राप्त हुए पूर्वजों का श्राद्ध चतुर्दशी तिथि को करें।
  • घर में यदि पितरों की मृत्यु तिथि पता ना हो, तो अमावस्या के दिन उनका श्राद्ध कर दें।
  • पितृपक्ष के आखिरी दिन यानी अश्विन माह की अमावस्या को भूले बिसरे पितरों का श्राद्ध किया जा सकता है।

कैसे करें श्राद्ध

  • दोनों हाथ की अनामिका उंगली में पवित्री धारण करें। उसके बाद हाथ मेें चावल, जौ, दूध, चंदन, तिल का मिश्रण ले लें। अब पूर्वजों का विधिवत तर्पण करें।
  • तर्पण के बाद पूर्वजों के निमित्त पिंड दान करें।
  • पिंडदान करने के बाद गाय, ब्राह्मण, कौआ, चींटी या कुत्ता को भोजन कराएं।
  • श्राद्ध के बाद ब्राह्मण को दक्षिणा दें और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करें।
  • वहीं पितृदोष होने पर आप पितरों की पूजा करने के साथ-साथ हवन भी जरूर करें। ऐसा करने से पितृ दोष खत्म हो जाएगा।

ना करें ये काम

  • पितृपक्ष के दौरान शुभ कार्य ना करें।
  • इस दौरान नए कपड़े खरीदने से बचें।
  • कोई भी नई चीज या वस्तु घर में ना लाएं।
  • पुरुष बाल और दाढ़ी नहीं कटवाएं। और ना ही महिलाएं अपने बाल काटें।
  • जिस दिन श्राद्ध कर्म हो उस दिन शरीर पर या बालों पर तेल ना लगाएं।
  • केवल सात्विक भोजन करें
  • श्राद्ध करते समय लोहे का बर्तन का इस्तेमाल ना करें। इस दौरान अन्य धातु से बनें बर्तन या पत्तल का प्रयोग करना उत्तम होता है।
  • पिंडदान के दौरान चटाई या लकड़ी के आसान का ही प्रयोग करें।

पिंडदान करते समय अपने पितरों की आत्मा की शांति की कामना जरूर करें। अगर किसी वजह से आप पितरों की पूजा नहीं कर पाते हैं, तो मंदिर जाकर खाने की चीजों को चढ़ा दें या किसी गरीब को भोजन करा दें। ऐसा करने से भी पितरों की आत्म को शांति मिल जाती है।

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