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मजदूर ने बेटे की परीक्षा के लिए 105 किलोमीटर चलाई थी साइकिल, अब आनंद महिंद्रा ने किया ऐसा काम

भारत के मशहूर बिजनेसमैन आनंद महिंद्रा अपने सामाजिक सरोकार के लिए भी जाने जाते हैं। आनंद महिंद्रा का एक ट्वीट इन दिनों सोशल मीडिया में बड़ा वायरल हो रहा है। इस ट्वीट में आनंद महिंद्रा ने उस मजदूर पिता का जिक्र किया है, जिन्होंने अपने बेटे को परीक्षा दिलाने के लिए 105 किलोमीटर साइकिल चलाई है। आनंद महिंद्रा ने इस मजदूर पिता को एक ऐसा तोहफा दिया है, जो उनके बेटे की जिंदगी संवारने वाला है।

आनंद महिंद्रा ने अपने ट्वीट में मध्यप्रदेश के धार जिले के रहने वाले उस शोभाराम का जिक्र किया है, जो कि मजदूरी करके अपने परिवार का पेट पाल रहे हैं। शोभाराम ने 105 किलोमीटर तक साइकिल चलाकर अपने बेटे आशीष को दसवीं की परीक्षा देने के लिए परीक्षा केंद्र तक पहुंचाया था। उस वक्त उनकी तस्वीर सोशल मीडिया में बड़ी वायरल हो गई थी।

सोशल मीडिया में इस मजदूर पिता की तस्वीर आने के बाद हर कोई उनके जज्बे को सलाम करता नजर आ रहा था। इस मजदूर पिता की हर ओर तारीफ हो रही थी कि उन्होंने अपने बेटे की पढ़ाई की अहमियत को कितनी अच्छी तरह से समझा है और अपने बेटे को परीक्षा केंद्र तक पहुंचाने के लिए 105 किलोमीटर की दूरी साइकिल से तय करने में उन्हें जरा भी तकलीफ नहीं हुई।

आनंद महिंद्रा का ट्वीट

बिजनेसमैन आनंद महिंद्रा की नजर इस तस्वीर पर पड़ गई है। उन्होंने शोभाराम के बेटे की पढ़ाई का खर्च उठाने का निर्णय कर लिया है। आनंद महिंद्रा के इस कदम की अब सोशल मीडिया में बड़ी सराहना होने लगी है। आशीष के पिता शोभाराम ने भी आनंद महिंद्रा के प्रति अपना आभार प्रकट किया है।


आनंद महिंद्रा ने ट्विटर पर एक स्टोरी शेयर की है। उन्होंने इसके कैप्शन में लिखा है कि इस पिता के जज्बे को मैं सलाम करता हूं। ये अपने बच्चों के लिए सुनहरे भविष्य का सपना देख रहे हैं। ऐसे ही सपने इस देश को आगे बढ़ा रहे हैं। आशीष की आगे की पढ़ाई का पूरा खर्च हमारी संस्था उठाने वाली है।

वैसे, आनंद महिंद्रा ने अपने ट्वीट में आशीष के परिवार से संपर्क करवाने की गुजारिश भी एक पत्रकार से की है। आनंद महिंद्रा के इस ट्वीट को अब तक हजारों लोग लाइक कर चुके हैं और हजारों लोगों ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया भी व्यक्त की है।

सोशल मीडिया में तारीफ

एक यूजर ने आनंद महिंद्रा की तारीफ करते हुए लिखा है कि इसी तरह के सहयोग की देश में जरूरत है। वाकई, आप असली सुल्तान हो। उसी तरह से एक और यूजर ने लिखा है कि यही चीजें आपको दूसरों से अलग बनाती हैं। जरूरतमंदों की सहायता करने के लिए आपका बहुत-बहुत आभार। एक और यूजर ने लिखा है कि सर जी नमन है आपको और आपके द्वारा किए गए इस सराहनीय कार्य को।

क्या था मामला?

हुआ दरअसल यह था कि जो बच्चे मध्यप्रदेश में दसवीं और बारहवीं की परीक्षा में अनुत्तीर्ण हो गए हैं, उनके लिए मध्य प्रदेश शिक्षा बोर्ड ने ‘रुक जाना नहीं अभियान’ प्रदेश में चलाया हुआ है। इसके तहत इन्हें एक और अवसर दिया जा रहा है। इसी के तहत आशीष को भी तीन विषयों की परीक्षा देनी थी। समस्या तब हो गई, जब उसका परीक्षा केंद्र घर से लगभग 105 किलोमीटर की दूरी पर धार के एक स्कूल में पड़ गया।

ऐसे में आशीष के पिता शोभाराम ने अपने बेटे को साइकिल पर बैठाया और 7 घंटे तक साइकिल चलाकर परीक्षा शुरू होने से 15 मिनट पहले उसे परीक्षा केंद्र पर पहुंचा दिया। कोरोना संकट की वजह से बसें नहीं चल रही थीं। इसलिए शोभाराम को साइकिल चलाकर ही जाना पड़ा। शोभाराम अपने बेटे को अफसर के रूप में देखना चाहते हैं।

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