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दलाई लामा की अरुणाचल यात्रा से बौखलाया चीन, भारत को दी गंभीर नुकसान की चेतावनी!

बौद्ध धर्म गुरु और तिब्बत के अलग राष्ट्र का स्वप्न रखने वाले दलाई लामा की अरुणाचल यात्रा पर एकबार फिर चीन ने आग उगली है, इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि उनकी यात्रा की खबर से चीन बौखला गया है. चीन इस बात से चिढ़ गया है कि भारत ने दलाई लामा को अरुणाचल यात्रा की अनुमति क्यों दी.

बीते एक महीने में ये चीन की तरफ से दूसरी चेतावनी है जिसमें भारत और चीन के बीच द्विपक्षीय रिश्तों को गंभीर नुकसान पहुंचने की बात कही गयी है. चीन ने भारत को चेताया है कि भारत की ऐसी गतिविधियों से दोनों देशों के रिश्तों को गंभीर नुकसान पहुंच सकता है, इसके अलावा चीन ने कहा कि उसके राजनैतिक हितों और प्रण का सम्मान किया जाना चाहिए.

शुक्रवार को चीन के विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा कि, चीन दलाई लामा की अरुणाचल यात्रा से काफी चिंतिंत है. इस मामले पर चीन का रुख बिल्कुल स्पष्ट और अडिग है.

चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ली कंग ने कहा कि दलाई लामा और उनका गिरोह तिब्बत में अलगाववादी गतिविधियों में शामिल रहा है, इसलिए भारत को सतर्क रहना चाहिए और चीन के हितों का ध्यान रखना चाहिए. ली कंग ने कहा कि ये बातें जानते हुए भी भारत दलाई लामा को अरुणाचल यात्रा की अनुमति दे रहा है, इससे दोनों राष्ट्रों के द्विपक्षीय संबंधों को गंभीर नुकसान पहुंच सकता है.

चीन तिब्बत को मानता है अपना हिस्सा :

गौरतलब है कि चीन तिब्बत को अपना अभिन्न हिस्सा मानता है और दलाई लामा उसे एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में विश्वपटल पर लाना चाहते हैं. इतना ही नहीं भारत के राज्य अरुणाचल प्रदेश को भी चीन दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा मानता है, भारत इसे चीन की विस्तारवादी नीति के रूप में देखता है, चीन बिना किसी पारंपरिक आधार के ही इन हिस्सों पर अपने अधिकार का दावा करता है.

दलाई लामा की यात्रा की खबर से बौखलाया :

4 से 13 अप्रैल के बीच दलाई लामा अरुणाचल यात्रा पर जाने वाले हैं, ऐसे में चीन इस खबर से बौखला गया है और उसकी चिंता ऐसे बयानों से साफ जाहिर हो रही है. चीन हाल ही में लगातार दो बार ऐसे बयान जारी कर भारत को चेतावनी दे चुका है.

पहले भी भारत को दे चुका है चेतावनी :

इससे पहले 3 मार्च को भी चीन के विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर दलाई लामा की अरुणाचल यात्रा का विरोध किया था. तब भी चीन ने दोनों देशों के रिश्तों के द्विपक्षीय रिश्तों को गंभीर नुकसान पहुंचने की बात कही थी. चीन ने दोनों देशों के विकासशील होने की दुहाई देते हुए कहा था कि दोनों देश पड़ोसी हैं और विकासशील हैं, ऐसे में दोनों के रिश्ते अच्छे होना बेहद जरूरी है.

गौरतलब है कि पिछले साल चीन ने अमेरिका के तत्कालीन राजदूत रिचर्ड वर्मा की अरुणाचल प्रदेश यात्रा का बहुत विरोध किया था. एक तरफ तो चीन अरुणाचल प्रदेश को दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा बताता है और दलाई लामा की अरुणाचल प्रदेश यात्रा को अनुमति दिए जाने पर अपने हितों की दुहाई देते हुए गंभीर नुकसान की चेतावनी देता है.

वहीं दूसरी तरफ भारत के राजनैतिक हितों को लगातार नुकसान भी पहुंचाता है, चीन ने संयुक्त राष्ट्र में मसूद अजहर को आतंकी घोषित किये जाने के भारत के प्रस्ताव का विरोध किया था इतना ही नहीं न्यूक्लिर सप्लायर ग्रुप और MTCR में भारत की सदस्यता का भी चीन ने विरोध किया था.

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