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सुशांत सिंह और दिशा सलियन की मौत से जुड़े वो 7 रहस्य जो अब सुलझ गए

सुशांत सिंह राजपूत और उनकी पूर्व मैनेजर दिशा सलियन की मौत के बाद कई सवाल उठ रहे हैं। कोई इसे सुसाइड बता रहा है तो कोई सोची समझी साजिश के तहत की गई हत्या करार दे रहा है। हर किसी की इस केस को लेकर अपनी एक थ्योरी है। कइयों का यह भी मानना है कि इन दोनों की मौत के बीच की कड़ी आपस में जुड़ी भी हो सकती है। ऐसे में आज हम दिशा व सुशांत की मौत और पोस्टमार्टम से जुड़े कुछ खास सवालों के जवाब देने जा रहे हैं। इन सवालों के जवाब दिशा सलियन केस के इन्वैस्टिगेशन ऑफिसर और सुशांत का पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर जवाबों के आधार पर है।

पहला सवाल: दिशा की मौत 9 जून को रात 2 बजे हुई थी, फिर उसका पोस्टमार्टम 11 जून को क्यों हुआ?

इस केस की जांच कर रहे मुंबई पुलिस अधिकारियों का कहना है कि अब पोस्टमार्टम के पहले मृतक का कोविड-19 टेस्ट करना भी अनिवार्य है। दिशा की बॉडी को मौत के बाद पोस्टमार्टम के लिए हॉस्पिटल तुरंत ले जाया गया था। वहां पहले उनका कोरोना टेस्ट हुआ। इसकी रिपोर्ट आने में 24 से 36 घंटों का समय लगता है। तब तक दिशा की बॉडी को मुर्दाघर में रखा गया था। जब दिशा की कोविड-19 रिपोर्ट नेगेटिव आई तब उसका 11 जून को पोस्टमार्टम किया गया।

दूसरा सवाल: दिशा का योनि स्वैब लिया गया था। उसका रिजल्ट कहां है?

योनि स्वैब और अन्य स्वैब मादकता (नशा) की जांच के लिए फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला (Forensic Science Laboratories) द्वारा लिए गए थे। उन्हें जल्द रिपोर्ट देने के लिए कहा गया है।

तीसरा सवाल: सुशांत सिंह राजपूत का पोस्टमार्टम सूर्यास्त के बाद क्यों हुआ था? क्या वो 14 जून को ही हुआ था?

पुलिस अधिकारी हमारे पास बॉडी को लेकर उसी समय आए थे, उन्होने पोस्टमार्टम की रिक्वेस्ट की थी, इसलिए उसे उसी समय किया गया था। ऐसा कोई नियम नहीं है कि पोस्टमार्टम रात को नहीं किया जा सकता है। 2013 में जारी हूर एक परिपत्र के अनुसार अब पोस्टमार्टम रात में किया जा सकता है।

चौथा सवाल: क्या मजिस्ट्रेट ने सूर्यास्त के बाद सुशांत का पोस्टमार्टम करने की इजाजत दी थी?

मजिस्ट्रेट की अनुमति तभी आवश्यक होती है जब केस 176 CrPC (हिरासत या दंगे में मौत) के तहत दर्ज हो। 174 CrPC के अंतर्गत दर्ज केस में पुलिस के पास पोस्टमार्टम करवाने का अधिकार होता है।

पांचवा सवाल: पोस्टमार्टम के समय सुशांत के परिवार से कौन कौन मौजूद था?

हमे याद नहीं कि पोस्टमार्टम के समय उनके परिवार से कौन कौन मौजूद था। पुलिस उनकी बहन द्वारा साइन किए गए स्टेटमेंट के साथ आई थी और हमसे पोस्टमार्टम करने को कहा था। बाद में सुशांत के जीजा, ADG हरयाणा पुलिस (ओपी सिंह) और बहन पोस्टमार्टम सेंटर पर आए थे।

छठ सवाल: सुशांत की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मेनशन है कि उनके ऊपर ligature marks (संयुक्ताक्षर निशान) थे। तो फिर ऐसा क्यों कहा गया कि कोई भी चोटें नहीं आई?

यदि आप पोस्टमार्टम रिपोर्ट के 7वें कालम को पढ़ेंगे तो पाएंगे कि ligature marks का जिक्र मेनशन है, हालांकि उसके अतिरिक्त और कोई भी चोटें नहीं थी।

सांतवा सवाल: अप्राकृतिक मौत वाले केस (जैसे कि सुशांत) में शव परीक्षण के दौरान आमतौर पर दो से तीन घंटों का समय लगता है, फिर सुशांत के केस में यह 90 मिनट में कैसे हो गई?

एक सामान्य पोस्टमार्टम प्रक्रिया कम से कम एक घंटे का समय लेती है, लेकिन इसमें कोई टाइम लिमिट नहीं होती है। हमने पोस्टमार्टम डेढ़ घंटे में पूरा कर लिया था और शव परीक्षण के बाद आंत को सुरक्षित रख लिया था।

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