विशेष

कभी थे डिप्रेशन के शिकार मगर आज हैं बिहार के सुपर कॉप, बड़ी दिलचस्प है IPS अमित लोढ़ा की कहानी

भारत की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक होती है यूपीएससी, इसको पार करने के लिए अथक परिश्रम और धैर्य की जरूरत पड़ती है। इसके साथ-साथ एक और महत्वपूर्ण चीज़ चाहिए होती है जिसे सकारात्मकता कहते हैं। मगर, जब कोई दुनिया छोड़ने की सोच रखने वाला बिहार का टॉप आईपीएस अफसर बन जाये तो हैरानी होती है। जी हां, हम बात कर रहे हैं बिहार के श्रेष्ठतम आईपीएस अफसर अमित लोढ़ा की।

बता दें अमित लोढ़ा वर्तमान में आईजी अर्थात पुलिस महानिरीक्षक के पद पर सेवा दे रहे हैं, इसी पद पर रहते हुए उन्हें अपनी सराहनीय सेवा के लिए राष्ट्रपति पुलिस पदक के साथ- साथ पुलिस पदक और आंतरिक सुरक्षा पदक से भी सम्मानित किया गया। मगर आज जहां अमित लोढ़ा आत्म विश्वास से परिपूर्ण है तो अपने स्कूल और कॉलेज के दिनों में वे डिप्रेशन तथा आत्मसन्देह जैसी मनोवैज्ञानिक बीमारी से ग्रसित थे। आइए जानते हैं क्या कहती है इस जाबांज आईपीएस अधिकारी की कहानी – 

IPS अमित लोढ़ा के अनुसार उनके नाना एक IAS अफसर थे। छोटे अमित अपने नाना और उनके आस-पास रहने वाले पुलिसकर्मी और उनकी वर्दी से काफी ज्यादा प्रभावित थे। आईपीएस अमित लोढ़ा के अनुसार, वे बचपन में एक कमजोर और शर्मीले बच्चे थे। उनके आत्म-विश्वास की बढ़ोतरी पुलिस सेवा में आने के बाद हुई।

अमित लोढ़ा का गृहप्रदेश राजस्थान है, अपनी प्रारंभिक पढ़ाई इन्होंने जयपुर के  सेंट ज़ेवियर स्कूल से की थी। अमित लोढ़ा एक बुद्धिमानी विद्यार्थी थे, इतनी विलक्षण बुद्धि कि उन्होंने पहले ही एटेम्पट में IIT दिल्ली की प्रवेश परीक्षा पास कर ली थी। परन्तु इसके बाद भी अमित कॉलेज में बिताये हुए उनके समय को, अपने जीवन का सबसे बुरा दौर मानते हैं। उनके अनुसार कॉलेज का समय उनके लिये हीन भावना से परिपूर्ण था। 

अपने अनुभव को साझा करते हुए अमित कहते हैं कि, ” शुरुआती पलों में मैंने महसूस किया कि हर कोई मुझसे कॉलेज में बेहतर था, और मुझसे कई ज़्यादा शानदार था। यहां तक कि उन लोगो से मेरा कोई मुकाबला ही नहीं था। मगर आज जब मैं पीछे मुड़कर देखता हूं, तो मुझे खुद पर हंसी आती है कि मैंने ऐसा क्यों महसूस किया। मैंने भी उनमें से अधिकांश की तरह ही पहले प्रयास में योग्यता के आधार पर परीक्षा को पास किया था। मगर जब मैंने अपने आप को बता दिया कि मैं कुछ भी नहीं कर सकता तब मैं सबसे सरल कार्यों और परीक्षाओं में भी असफल होता रहा। उस वक्त मैं लगभग हर चीज में असफल हो रहा था। स्थिति इतनी बिगड़ गयी थी कि मैं डिप्रेशन और आत्मघाती विचारों से पीड़ित होने लगा था। मुझे उस वक्त महसूस होता था कि मैं दुनिया का सबसे बदकिस्मत व्यक्ति हूं। मेरे ग्रेड सबसे खराब थे और यहां तक कि मेरे दोस्त भी मुझसे दूर हो रहे थे क्योंकि मैं काफी शांत रहता था और औरों से अलग था इसलिए अजीब माना जाता था।”

 अमित के जीवन में टर्निंग पॉइंट तब आया जब उन्हें एक बार एक लड़के ने स्क्वैश खेलने से मना कर दिया था, साथ ही उनका यह कह कर मजाक भी बनाया था कि यह खेल तुम्हारे जैसों के लिए नहीं है। अमित को इस बात का बहुत बुरा लगा,लेकिन उनके अंदर एक सकारात्मक ऊर्जा का विकास हुआ। अब उन्होंने हर दिन रात 1 बजे अभ्यास शुरू किया। और तीन महीने बाद कॉलेज  स्क्वाश टीम में शामिल हो कर उसी व्यक्ति को हराया। इस सफलता के बाद उनके अंदर आत्म-विश्वास आया। इसके बाद जो हुआ वो आपके सामने है, आज जो अमित लोढ़ा है, उन्हें दुनिया सलाम कर रही है। 

Back to top button