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अयोध्या की ये राजकुमारी बनीं थी कोरिया की महारानी’ हजारों साल पहले कोरिया जाकर की थी शादी

आज हम आपको अयोध्या की एक ऐसी राजकुमारी के बारे में बताने जा रहे हैं। जिन्होंने कोरिया के राजकुमार से विवाह किया था। बेहद ही कम लोगों को अयोध्या नगरी की इस राजकुमारी के बारे में पता है। इस महारानी का नाम सुरीरत्ना था और कोरिया के राजकुमार से शादी करने के बाद इन्होंने अपना नाम बदल कर हियो ह्वांग-ओक रख लिया था। कोरिया के इतिहास के अनुसार भारत के अयोध्या ( उस समय साकेत) से 2000 साल पहले राजकुमारी सुरीरत्ना दक्षिण कोरिया के ग्योंगसांग प्रांत के किमहये शहर गई थीं और यहां आकर इन्होंने राजकुमार से विवाह किया था।

इस प्रकार से हुई थी राजकुमारी की शादी

चीनी भाषा में लिखे गए कोरिया के दस्तावेज सामगुक युसा में इनके विवाह के बारे में लिखा है कि ईश्वर ने अयोध्या की राजकुमारी के पिता को सपने में आकर ये निर्देश दिया था कि वो अपनी बेटी को उनके भाई के साथ राजा किम सू-रो से विवाह करने के लिए किमहये शहर भेजें। जिसके बाद राजकुमारी को उनके भाई के साथ इस देश भेजा गया था।

कोरिया के इतिहास के अनुसार यहां आकर राजकुमारी सुरीरत्ना दक्षिण की मुलाकात राजा किम सू-रो से हुई। जिसके बाद इन्होंने राजा किम सू-रो से विवाह कर लिया था और यहां कि राजकुमारी बन गई। विवाह करने के बाद इनका नाम हियो ह्वांग-ओक रखा गया। राजा किम सू-रो प्राचीन कोरियाई राज्य कारक के संस्थापक हुआ करते थे। वहीं इस विवाह से इन्हें कुल 12 बच्चे हुए थे। जो कि कारक गोत्र के थे।

आज कोरिया में कारक गोत्र के तकरीबन 60 लाख लोग खुद को राजा किम सू-रो और अयोध्या की राजकुमारी के वंश का बताते हैं। माना तो ये भी जाता है कि दक्षिण कोरिया के पूर्व राष्ट्रपति किम डेई जंग और पूर्व प्रधानमंत्री हियो जियोंग और जोंग पिल-किम भी कारक गोत्र से नाता रखते हैं।

बनाई गई है राजकुमारी की बड़ी प्रतिमा

किमहये शहर में महारानी हियो ह्वांग-ओक की एक बड़ी प्रतिमा भी है। दक्षिण कोरिया के अलावा अयोध्या में भी राजकुमारी की प्रतिमा बनाई गई है। ये प्रतिमा अयोध्या के सरयू नदी के किनारे पर है।

संभालकर रखें है राजकुमारी के पत्थर

कहा जाता है कि कारक गोत्र के लोगों ने आज तक उन पत्थरों को संभालकर रखा है जो अयोध्या की राजकुमारी अपने साथ लेकर आई थी। इतिहासकारों के अनुसार अयोध्या की राजकुमारी अपनी समुद्री यात्रा के दौरान नाव को संतुलित रखने के लिए कई सारे पत्थर अपने संग लेकर इस देश आई थी।

अयोध्या आते हैं कोरिया के लोग

दक्षिण कोरिया में राजकुमारी का निधन हुआ था और इस जगह इनकी कब्र बनाई गई है। इनकी कब्र को बनाने के लिए अयोध्या से पत्थर लाए गए थे और इन्हें कब्र पर लगाया गया था। वहीं हर साल कारक वंश के लोगों का एक समूह फरवरी-मार्च महीने में राजकुमारी की मातृभूमि यानी अयोध्या आता है और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करता है।

साल 2018 में जब दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून जे-इन की पत्नी किम जोंग-सूक भारत के दौरे पर आई थी। उस दौरान ये महारानी की स्मारक पर भी गई थी और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की थी।

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