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उत्तर प्रदेश पुलिस ने अपनी FIR में स्वीकारा बदली गयी थी विकास दुबे की गाड़ी, किये कई खुलासे

बिकरु गोली कांड के मुख्य अपराधी विकास दुबे को उत्तर प्रदेश पुलिस और STF ने मुठभेड़ में उस दौरान मार गिराया जब वे उसे मध्य प्रदेश के उज्जैन से कानपुर लेकर आ रहे थे। पुलिस के बयान के अनुसार, रास्ते में गाय भैंस का झुंड आ गया था जिन्हें बचाने के चक्कर में गाड़ी पलट गई। इसी गाड़ी में विकास दुबे भी सवार था। विकास ने मौके का फायदा उठाया और वो भागने लगा, इस बीच उसने पुलिस की पिस्टल भी छीन ली और उससे पुलिस पर फायरिंग करना शुरू कर दिया। इसी के जवाब में पुलिस और STF की टीम ने आत्मरक्षा में गोलियां चलाई, जिसमें विकास दुबे की मौत हो गयी। 

इस घटना के बाद यूपी STF ने सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस को फॉलो करते हुए एक FIR भी दर्ज करवाई है। यह FIR सचेंडी थाने मे IPC की विभिन्न धाराओं में दर्ज है, जिसमें धारा 224, 307, 392 और 411 शामिल है। बता दें इस FIR को STF के CO टीबी सिंह ने लिखवाया है। जब इस FIR को देखा गया तो साफ हो गया कि विकास दुबे की गाड़ी बदली गयी थी।

यह लिखा गया था FIR में

 “अभियुक्त को सुरक्षा व सुविधा के अनुसार निरीक्षक श्री रमाकान्त पचौरी तथा कांस्टेबल प्रदीप कुमार के बीच ड्राइवर व पैसेंजर सीट के पीछे बीच में बैठाया गया था। तथा STF टीम की दोनों गाड़ियां इस गाड़ी के पीछे-पीछे उचित गति व फ़ासले पर राजमार्ग पर चल रही थी।  सुरक्षा व सुविधा की दृष्टि से अभियुक्त विकास दुबे को तीनों सरकारी गाड़ियों में अदलते-बदलते लाया जा रहा था।”

बाराजोर टोल तक बैठा था सफारी में लेकिन पलटी महिंद्रा 

इस FIR से साफ प्रतीत होता है कि पुलिस भी स्वीकार कर रही है कि विकास दुबे की गाड़ी को बदला गया था। दरअसल 10 जुलाई को जब पुलिस विकास को ले कर बाराजोर टोल से निकल रही थी तब मीडिया और बाकी लोगों ने उसे सफारी में बैठा हुआ देखा था, मगर घटना स्थल पर महिंद्रा पलटी हुई देखी गयी थी। तभी से विकास दुबे की गाड़ी को बदलने को ले कर काफी सवाल उठाए जा रहे थे। बता दें कानपुर रेंज के आईजी मोहित अग्रवाल ने कहा था कि विकास को उज्जैन से कानुपर तक एक ही गाड़ी में रखा गया था, कोई भी गाड़ी नहीं बदली गयी थी। मगर इसके बाद आई यह FIR कुछ और ही कहानी बयां करती है। 

दैवयोग से बचे STF CO टीबी सिंह 

 वहीं इस FIR के अनुसार दैवयोग की वजह से CO टीबी सिंह की जान बच पाई। FIR में लिखा गया कि टीबी सिंह और पीछे से आ रहे STF के उनके कुछ साथी विकास दुबे की तरफ़ भागे। विकास दुबे ने टीबी सिंह को जान से मारने की नीयत से गोली चलाई, मगर गोली “दैवयोग” से बुलेटप्रूफ़ जैकेट पर लगी। इसके बाद FIR में लिखा गया कि टीबी सिंह की जान बचाने के लिए पुलिस और STF की टीम ने एक साथ विकास दुबे पर फायरिंग शुरू कर दी। मगर इसके बाद भी विकास दुबे मुड़-मुड़कर, झुक-झुककर फ़ायर करता रहा। मगर इसी बीच विकास को गोलियां लगीं और वो कराहकर ज़मीन पर गिर गया। वहीं मौके पर ही विकास दुबे की मौत हो गई। मगर गौरतलब है, कि पुलिस अधिकारियों के प्राथमिक बयान एवं ये FIR आपस में मेल नहीं खाती। 

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