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सुनिए ओली जी, असली राम किस अयोध्या के हैं? हम आपको प्रमाण सहित बताते हैं

हिन्दू धर्म की आस्था का केंद्र रहे राम पर लोगों की जितनी श्रद्धा है, उतने ही उनके नाम पर विवाद भी कई रहे हैं। बरसों की लड़ाई के बाद अब जा कर अयोध्या में राम जन्मभूमि की जगह पर भव्य मंदिर बनाने की इजाजत मिली तो अब भारत के सांस्कृतिक पड़ोसी नेपाल के प्रधानमंत्री ओली ने एक नई बहस छेड़ दी है। डूबती सरकार के मुखिया केपी ओली जी, अब अपनी कुर्सी बचाने के लिए हर हद से गुज़र जाने को तैयार लग रहे हैं। चीनी कठपुतली बन बैठे ओली का अब लगता है, मानसिकता संतुलन भी बिगड़ता जा रहा है। और इन सब का प्रमाण है, सोमवार को दिया गया उनका विवादित बयान। 

नेपाल के प्रधानमंत्री ने किया भारत पर सांस्कृतिक हमला

हर तरह से असफल साबित हो रहे ओली से जब कुछ ना बन पाया तो उन्होंने भारत पर सांस्कृतिक हमला कर यह तक कह दिया कि भारत की अयोध्या नकली है, असली अयोध्या तो नेपाल में है।  अपने बेतुके बयान को सही साबित करने के लिए वे यह तक कह गए कि उस वक्त कोई ट्रांसपोर्ट के साधन नहीं थे, ना ही मोबाइल फोन फिर वे विवाह के लिए इतनी दूर कैसे आ गए? 

हालांकि उनका यह बैतुका बयान उनकी जनता को ही हजम नहीं हो रहा है। वहीं नेपाल की राष्ट्रीय प्रजातांत्री पार्टी के सह-अध्यक्ष कमल थापा ने प्रधानमंत्री को हिदायत दी है कि ऐसे निराधार, अप्रमाणित बयानों को नहीं देना चाहिए। अपने ट्वीट में थापा ने लिखा कि, “ऐसा लग रहा है कि पीएम तनावों को हल करने के बजाय नेपाल-भारत संबंधों को और खराब करना चाहते हैं।”

अयोध्या का सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व

इसके बावजूद भी अगर ओली जी आप ऐतिहासिक दृष्टिकोण नहीं रखते हैं तो कोई बात नहीं, हम आपकी मदद किये देते हैं।  वाल्मीकि रामायण जो कि दुनिया भर की रामायण का उद्गम ग्रंथ है, अपनी रामायण की शुरुआत में ही वे लिखते हैं कि “अष्टचक्रा नवद्वारा देवानां पूरयोध्या” जिसका अर्थ होता है, ईश्वर का नगर यानी राम का नगर…अयोध्य! 

 सरयू तट पर 12 योजन लंबाई और तीन योजन की चौड़ाई में बसा वो शहर जो सूर्यवंश की सत्ता का प्रतीक रहा है, उसे अयोध्या कहा गया है। इसी अयोध्या का वर्णन युग पुरूष तुलसी और वाल्मीकि के अपने महाकाव्य में इस तरह किया है कि प्रविश नगर कीजे सब काजा, हृदय राखि कौशलपुर राजा। धार्मिक ग्रंथों के आधार से यह समझना मुश्किल नहीं होगा कि राम और अयोध्या दोनों में कोई अंतर नहीं है। राम को सदियों से अपने में सहेजे अयोध्या अपने आप में एक देव भूमि है। 

अयोध्या का इतिहास राम से भी ज़्यादा पुराना

वहीं अगर देखा जाए तो अयोध्या का इतिहास राम से भी पहले का है। सूर्यवंशियों का राज कौशल प्रदेश अयोध्या से ही संचारित होता था जिसमें राम से पहले 50 राजाओं ने यहां पर राज किया था। और राम के बाद 30 राजाओं ने राज किया है। जिसमें राम के बाद कुश को उनका उत्तराधिकारी चुना गया था। 

केपी ओली जी आपको जानकर हैरानी होगी कि सूर्यवंशियों की 100 पीढ़ियों ने बीते चार युगों से अयोध्या पर शासन किया है। जिसमें सतयुग में राजा हरिश्चंद्र जिनकी सत्यता के किस्से आज भी भारत की कई लोककथाओं में मिलते हैं,  त्रेतायुग में जहां राम के बाद कुश आखिरी शासक थे तो वहीं द्वापर युग में वृहत्रछत्र आखिरी शासक बने, माना जाता है कि इसी के बाद कलयुग की शुरुआत हुई थी। आज भी भले राज खत्म हो गया हो मंगर वंश बेल आज भी कायम है। और केपी ओली जी यह सारी बातें आपकी तरह हवा में नहीं है, हर बात का प्रमाण मौजूद है। तो अगली बार जब कोई भी बयान दो तो उसकी ऐतिहासिक पुष्टि जरूर कर लीजिएगा वरना पूरी दुनिया में बस आप मज़ाक के पात्र ही रह जाएंगे। 

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