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कोरोना में बेरोजगारी की मार: चंद पैसो के लिए दुनिया का सबसे खराब काम भी खुशी-खुशी कर रहे मजदूर

कोरोना वायरस (Corona Virus) ने दुनिया की हालत खस्ता कर रखी है। लगभग हर देश की अर्थव्यवस्था पर इसका गहरा असर पड़ा है। कोरोना काल में लगे लॉकडाउन की वजह से कइयों की जॉब भी चली गई। बहुत से लोग इस महामारी के दौर में बेरोजगार हो गए। उनके पास न खाने को पैसे हैं और न रहने को किराया है। ऐसे में इन दिनों चोरी और लूटपाट की घटनाएं भी तेजी से बढ़ी है। वहीं कुछ सुसाइड जैसा बड़ा कदम भी उठा रहे हैं। लेकिन आज हम आपको ऐसे मजदूरों से मिलाने जा रहे हैं जो अपना पेट पालने के लिए न तो चोर बने और न ही खुदखुशी के रास्ते पर चले। बल्कि ये तो मेहनत और लगन से दुनिया की सबसे गंदी जॉब कर पैसा कमाने को तैयार हो गए।

यह तस्वीर बांग्लादेश की राजधानी ढाका की है। यहां चंद पैसे कमाने के चलते लोग नदी में जमी गंदगी तक साफ करने को तैयार हो गए। फोटो में जिस तरह की गंदगी दिखाई दे रही है उसमे उतरना तो दूर, हम और आप उसकी तरफ देखना तक पसंद नहीं करेंगे। लेकिन भूखे पेट को भरने की मजबूरी के आगे इन मजदूरों को ये जॉब भी अच्छी लगती है। वहीं सोशल मीडिया पर लोग इन फोटोज को देख इसे ‘दुनिया की सबसे खराब जॉब’ बता रहे हैं।

दिल को झंझोड़ कर रख देने वाली यह तस्वीरें ढाका के सावर एरिया की बताई जा रही है। इन तस्वीरों में मजदूर गले तक डूबकर नाले से भी खराब हालात वाली इस नदी की सफाई कर रहे हैं। दरअसल इस कनाल का पानी पहले शहरों में पीने के लिए सप्लाई होता था लेकिन फिर इसमें पूरे शहर का कचरा डाला जाने लगा।

यह जॉब सिर्फ देखने में ही घिनौनी नहीं है, बल्कि इसमें कई तरह की बीमारियां होने का खतरा भी है। जैसा की तस्वीरों में देखा जा सकता है। यह मजदूर बिना कपड़े पहने ऐसे ही गंदगी साफ कर रहे हैं। इस कीचड़ को साफ करने के लिए इनके पास बस एक बांस का डंडा है।

इन्होने न तो मुंह पर मास्क लगा रखा है और न ही शरीर पर प्रोटेक्शन के लिए कुछ पहन रखा है। एक मजदूर ने कचरे में मिली एक थैली सिर पर बांध रखी है। आपको जान हैरानी होगी की इस कनाल में 24 किलोमीटर के दायरे तक कचरा फैला हुआ है। लॉकडाउन में यह कचरा और भी ज्यादा बढ़ता चला गया। चुकी अभी मानसून जल्द आने वाला है इसलिए इसकी सफाई स्टार्ट कर दी गई है।

यह मजदूर बिना ग्लव्स पहने अपने नंगे हाथो से ही प्लास्टिक और अन्य चीज से जाम चुके कचरे को बाहर निकाल रहे हैं। इनका पूरा शरीर इस कचरे में लिपटा हुआ है। यह सब देख बहुत दुख भी होता है। कुछ पैसे कमाने के लिए इन मजदूरों को कितना कुछ करना और सहना पड़ रहा है।

इस काम के बदले मजदूरों को कोई खास बड़ी रकम भी नहीं मिलती है। कम पैसा मिलने पर भी इन्हें कोई शिकायत नहीं है। यह इसे हंसी खुशी कर रहे हैं। इन्हें बस इसी बात की खुशी है कि कोरोना काल में इनका परिवार अब भूखे पेट नहीं सोएगा।

लोकल म्यूनिसिपैल्टी की माने तो बीते वर्ष इस कनाल से 200 टन कचरा निकाला गया था। लेकिन महज आधे साल में यहां फिर से ऐसे हालात हो गए।

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