अध्यात्म

भोजन करने से पहले थाली के चारों ओर छिड़का जाता है जल, शास्त्रों में वर्णित है यह वजह

भारत को परंपराओं का देश कहा जाता है और आज भी कई लोग भारतीय परंपराओं का पालन करते हैं। अक्सर आप लोगों ने देखा होगा कि कई लोग भोजन खाने से पहले, भोजन की थाली के चारों तरफ तीन बार जल छिड़कते हैं और उसके बाद मंत्र का जाप करते हैं।

पानी का छिड़काव और मंत्र पढ़ने के बाद ही भोजन आरंभ करने की ये परंपरा बेहद ही पुरानी है और उत्तर भारत में इसे आचमन और चित्र आहुति के नाम से जाना जाता है। जबकि तमिलनाडू में इस परंपरा को परिसेशनम कहा जाता है।

शास्त्रों में इस परंपरा का जिक्र करते हुए लिखा गया है कि भोजन खाने से पहले जल का छिड़काव करना अन्न के प्रति सम्मान प्रकट करना होता है। ऐसे करने का अर्थ है कि हम अन्न देवी का आभार व्यक्त करते हैं। हालांकि इस परंपरा से कुछ स्वास्थ्य लाभ भी जुड़े हुए हैं। लेकिन बेहद ही कम लोगों को इन लाभों के बारे में जानकारी है।

इस परंपरा से जुड़े स्वास्थ्य लाभ

नहीं पहुंच पाते कीड़े-मकोड़े

पुराने समय में लोग जमीन पर ही बैठकर खाना खाया करते थे। खाना खाते समय कीड़े-मकोड़े भोजन पर ना चढ़ सकें। इसलिए भोजन की थाली के आसपास जल छिड़काव किया जाता था। जल छिड़काव से एक सुरक्षा का घेरा बन जाता था। घेरा बनने से कीड़े-मकोड़े खाने से दूर रहते थे और खाना आराम से खा लिया जाता था।

खाना रहता था शुद्ध

पहले के दौर में लोगों के घर कच्चे हुआ करते थे और फर्श को मिट्टी से बनाया जाता था। फर्श कच्चा होने से उसपर धूल जमा रहती थी। वहीं खाना खाते हुए फर्श की मिट्टी भोजन में ना चली जाए। इसके लिए भोजन की थाली के पास जल छिड़काव किया जाता था और उसके बाद ही खाना खाया जाता था। ऐसा करने से मिट्टी के कण फर्श पर चिपके रहते थे और खाने में नहीं गिर पाते थे।

जमीन पर बैठकर किया जाता था भोजन

जल छिड़कने के अलावा जमीन पर बैठकर खाना खाने की परंपरा भी बेहद ही पुरानी है। जमीन पर बैठकर खाना खाना स्वास्थ्य की दृष्टि से बहुत लाभकारी माना जाता है। बैठकर खाना खाने से पाचन क्रिया सही से काम करती है और खाना अच्छे से पच जाता है। इसलिए जो लोग बैठकर खाना खाते हैं उन्हें भोजन पचाने में आसानी होती है और कब्ज, गैस जैसी समस्या भी नहीं होती है।

जमीन पर बैठकर खाना खाने से रीढ़ की हड्डी के निचले भाग पर जोर पड़ता है। जिससे शरीर को आराम मिलता है। साथ में ही कमर दर्द से राहत मिल जाती है। जमीन पर घुटने मोड़कर बैठने से मांसपेशियों को मजबूती मिलती है और हृदय भी सेहत मंद बना रहता है।

आप भी खाना खाने से जुड़ी इन पुरानी परंपराओं का पालन करें। हमेशा खाना जमीन पर बैठकर ही खाएं और भोजन शुरू करने से पहले थाली के पास जल का छिड़काव तीन बार करें। साथ में ही हाथ जोड़कर नीचे बताए गए मंत्र का जाप भी करें।

भोजन मंत्र –

ब्रह्मार्पणं ब्रह्महविर्ब्रह्माग्नौ ब्रह्मणा हुतम्।
ब्रह्मैव तेन गन्तव्यं ब्रह्मकर्म समाधिना।।

ॐ सह नाववतु।
सह नौ भुनक्तु।
सह वीर्यं करवावहै।
तेजस्विनावधीतमस्तु।
मा विद्‌विषावहै॥
ॐ शान्ति: शान्ति: शान्ति:॥

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