अध्यात्म

यूं ही नहीं मिला था ‘धन्वंतरि को देवता का पद, लेना पड़ा था दूसरा जन्म, पढ़ें इनकी रोचक कथा

पुराणों में कई सारे देवताओं का जिक्र किया गया है। ऐसा माना जाता है कि हर देवता की पूजा करने से अलग-अलग लाभ मिलता है। पुराणों में धन्वंतरि को भी देवता बताया गया है और पुराणों के मुताबिक धन्वंतरि चिकित्सा (Medical Science) के देवता हैं। इनकी पूजा करने से इंसान का स्वस्थ सही बना रहता है और रोगों से रक्षा होती है। शास्त्रों में धन्वंतरि के दो जन्मों का वर्णन किया गया है और इन्हें श्री हरी विष्णु का प्रथम अंश भी माना जाता है।

समुद्र मंथन से हुए थे उत्पन्न

पौराणिक कथाओं में धन्वंतरि का उल्लेख करते हुए बताया गया है कि धन्वंतरि का जन्म समुद्र मंथन (Samudra Manthan) से हुआ था। प्रचलित कथा के अनुसार कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी के दिन समुद्र मंथन से ये अमृत का कलश लेकर प्रकट हुए थे। अमृत के कलश से देवताओं ने अमृतपान किया था। जिससे की वो अमर हो गए थे।

नहीं माने गए थे देवता

समुद्र से बाहर आते ही धन्वंतरि ने देवता से सवाल करते हुए पूछा था कि इस लोक में मेरा क्या काम और स्थान है? धन्वंतरि के इस सवाल का जवाब देते हुए विष्णु जी ने कहा था कि तुमको धन्वंतरि प्रथम के नाम से जाना जाएगा। तुम देवताओं के पश्चात उत्पन्न हुए हो इसलिए तुम्हें देव नहीं माना जाएगा। हालांकि तुम्हारा फिर से जन्म होगा और तब तुम्हें देवता का स्थान दिया जाएगा।

देवता बनने के लिए फिर से लिया जन्म

धन्वंतरि को देवता का स्थान मिल सके इसके लिए विष्णु जी ने इनको वरदान दिया था कि दूसरे जन्म में तुम धन्वंतरि द्वितीय के नाम से जाने जाओंगे। द्वापर युग में जब तुम्हारा जन्म होगा तब तुम्हें देवता का दर्जा दिया जाएगा। लोगों द्वारा तुम्हारी पूजा की जाएगी। तुम आयुर्वेद का अष्टांग विभाग भी करोगे।

काशीपति धन्व के यहां लिया जन्म

धन्वंतरि देवता ने द्वापर युग में फिर से जन्म लिया। कथा के अनुसार काशीपति धन्व को संतान नहीं थी। संतान ना होने पर इन्होंने पुत्र प्राप्ति के लिए घोर तपस्या की। इनकी तपस्या से खुश होकर भगवान शिव जी ने इनको पुत्र का वरदान दिया और इनके यहां पुत्र के रूप में धन्वंतरि हुए। धन्वंतरि ने बड़े होकर ऋषि भारद्वाज से आयुर्वेद विद्या ग्रहण की और कोई सारी आयुर्वेदिक दवाओं को बनाया।

पूजा करने से मिलता है लाभ

मान्यता है कि जो लोग भगवान धन्वंतरि की पूजा करते हैं उनको रोग नहीं लगते हैं। इसी प्रकार से कोई रोग होने पर भगवान धन्वंतरि की पूजा करना लाभदायक होता है और इनकी पूजा करने से रोग दूर हो जाता है। इसके अलावा धन्वंतरि का पूजन करने से यश की प्राप्ति भी होता है।

इस तरह से करें धन्वंतरि का प्रसन्न

भगवान धन्वंतरि को प्रसन्न करने के लिए नीचे बताए गए मंत्रों को पढ़ें –

पहला मंत्र

1. ॐ धन्वंतराये नमः॥

दूसरा मंत्र

2. ॐ नमो भगवते महासुदर्शनाय वासुदेवाय धन्वंतराये:
अमृतकलश हस्ताय सर्व भयविनाशाय सर्व रोगनिवारणाय
त्रिलोकपथाय त्रिलोकनाथाय श्री महाविष्णुस्वरूप
श्री धनवंतरी स्वरूप श्री श्री श्री औषधचक्र नारायणाय नमः॥

तीसरा मंत्र

3.पवित्र धन्वंतरि स्तो‍त्र :

ॐ शंखं चक्रं जलौकां दधदमृतघटं चारुदोर्भिश्चतुर्मिः।
सूक्ष्मस्वच्छातिहृद्यांशुक परिविलसन्मौलिमंभोजनेत्रम॥
कालाम्भोदोज्ज्वलांगं कटितटविलसच्चारूपीतांबराढ्यम।
वन्दे धन्वंतरिं तं निखिलगदवनप्रौढदावाग्निलीलम॥

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