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भारत-चीन युद्ध के कारण अब तक कुंवारे हैं 82 वर्षीय रतन टाटा, शादी होते-होते रह गई थी

भारत और चीन की सीमा पर इन दिनों भयंकर तनाव चल रहा है. इसी के साथ देश में चीनी उत्पादों के बहिष्कार पर जोर भी दिया जा रहा है. ऐसे ही कुछ हालात दोनों देशों की 1962 में हुई जंग के दौरान भी थे. तब स्थिति बहुत तेजी से बदली थी. जहां पहले हिंदी चीनी भाई-भाई के नारे लगाए जाते थे वहां हिंदी चीनी बाय-बाय बोला जाने लगा. इसी दौर में देश के बड़े बिजनेसमैन रतन टाटा की शादी भी होते-होते रह गई थी. 82 वर्षीय रतन टाटा आज तक कुंवारे हैं. एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया था कि मौके कई आए थे लेकिन हर बार किसी न किसी वजह से मेरी शादी होते होते रह जाती थी.

चीनी लड़की संग रिलेशनशिप में थे रतन टाटा

ऐसा ही एक किस्सा उन्होंने कुछ समय पहले एक  इंटरव्यू में शेयर किया था. उन्होंने बाताया कि कैसे भारत – चीन के युद्ध के कारण उनकी शादी नहीं हो पाई थी. ये उन दिनों की बात है जब रतन टाटा अमेरिका के लॉस एंजिल्स में रहते थे. उस दौरान वे एक चीनी युवती को डेट कर रहे थे. मामला इतना सीरियस हो गया था कि दोनों ने शादी करने का मन तक बना लिया था. लेकिन अफ़सोस की भारत चीन की जंग के कारण ऐसा नहीं हो पाया.

लगभग तय हो चुकी थी शादी

इंटरव्यू में रतन टाटा बताते हैं कि – तब लॉस एंजिल्स में एक चीनी लड़की से प्यार हो गया था. शादी का मन बना लिया था. लगभग हमारा विवाह तय ही था. उस समय मैंने सोचा कि कुछ समय के लिए भारत आ जाता हूँ. इस बहाने अपनी बीमार दादी की देखभाल हो जाएगी. वे उन दिनों बीमार थीं. तब मैं जिस से शादी करना चाहता था उसे भी अपने साथ इंडिया ले जाना चाहता था. लेकिन बीच में चीन भारत की 1962 की जंग आ गई. ऐसे में चीनी युवती के परिजनों ने उसे इंडिया जाने की इजाजद नहीं दी. और इस तरह हमारा रिश्ता समाप्त हो गया.

माता पिता का हुआ था तलाक

अपने बचपन का जिक्र करते हुए रतन टाटा बताते हैं कि वो दौर बहुत अच्छा था. हालाँकि तब हमारे माता पिता का तलाक हो गया था. इस कारण मैं और बड़े भाई परेशान रहते थे. स्कूल में इस चीज को लेकर रैगिंग भी होती थी. मेरी माँ ने दूसरी शादी रचा ली थी. ऐसे में स्कूल के बच्चे उनके बारे में कुछ भी कहते रहते थे. हालाँकि मेरी दादी ने सिखाया था कि चाहे कुछ भी हो जाए अपना सम्मान बचा के रखना.

पिता से नहीं बनती थी

रतन टाटा बताते हैं कि मेरी और पिताजी की सोच एक दूसरे से बहुत विपरीत थी. जैसे मुझे वॉयलन बजाने की इच्छा होती थी तो वे पियानो बजाने को कहते थे. कॉलेज पढ़ाई के लिए मुझे अमेरिका जाना था लेकिन वे ब्रिटेन भेजना चाहते थे. मैं आर्किटेक्ट बनना चाहता था लेकिन पिता चाहते थे कि मैं इंजीनियर बनू. मेरी दादी मेरा समर्थन करती थी. उन्हीं की बदौलत मैं अमेरिका जा पाया था.

वैसे आप लोगों को रतन टाटा की ये स्टोरी कैसी लगी हमें कमेंट सेक्शन में जरूर बताएं.

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