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भारत-चीन विवादः 20 दिन की बच्ची की शक्ल भी नहीं देख पाए कुंदन, देश के लिए हुए शहीद

चीन ने वादा किया था किया था कि वो अपने सैनिकों को पीछे हटने का आदेश देंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ

भारत और चीन के बीच लद्दाख बॉर्डर पर काफी समय से तनाव चल रहा है। 16 जून की देर रात को गलवान घाटी में भारत और चीनी सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई जिससे दोनों देशों के जवानों को नुकसान झेलना पड़ा। गलवान घाटी में हुई इस हिंसक झड़प में भारत ने कुल 20 जवान खो दिए। चीन के साथ भारत के इस संघर्ष में बिहार के भोजपुर का एक वीर सपूत शहीद हो गया। बिहार के बिहिया थाना क्षेत्र के पहरपुर गांव के रहने वाले रविशंकर ओझा के 28 साल के बेटे कुंदन ओझा ने देश के लिए अपनी जान दे दी। उनकी शहादत ने सबको तोड़कर रख दिया है। परिवार को उनके जाने का सदमा लगा है और दुख इस बात का है कि कुंदन अपने पहले बच्चे को देख तक नहीं पाए।

20 दिन की बच्ची की शक्ल भी नहीं देख पाए शहीद

कुंदन ओझा अपने तीन भाईयो में मंझले थे। पूरे परिवार में सिर्फ कुंदन थे जो कमाते थे और घर का खर्च चलता था। उनके चाचा धर्मनाथ ओझा आरा में वकील हैं। बताया जा रहा है कि किसान रविशंकर ओझा के बेटे कुंदन ओझा की 10 साल पहले नौकरी लगी थी। वहीं दो साल पहले उनकी शादी हुई थी। हाल ही में उन्हें एक बच्ची पैदा हुई जो महज 20 दिन की है। घर में पहली बेटी होने से खुशी का मौहाल था, लेकिन कुंदन अपनी फूल सी बच्ची को एक बार देख भी नहीं पाए।

गांव के ही एक व्यक्ति प्रवीण ओझा ने बताया कि इन लोगों का परिवार करीब 30 साल पहले से ही झारखंड राज्य के साहेबगंज जिले के बिहारी ग्राम में रहते हैं। कुंदन व उनका परिवार गांव के हर फंक्शन में शामिल होने के लिए आता रहता था। परिवार वालों ने बताया कि शहीद कुंदन के ससुर दिल्ली में ही नौकरी करते हैं उनकी सास घर पर हैं। जैसे ही उनके ससुराल में खबर पहुंची की कुंदन शहीद हो गए तो घर में कोहराम मच गया।

उसी परिवार के शख्स विवेक कुमार दूबे ने बताया कि नेहा तीन बहने हैं। बड़ी बहन निधि और छोटी निशा है। दो भाई हेमंत और लक्की है। घर पर उनकी सास पुतुल देवी और दादा-दादी भी हैं। शहीद का पार्थिव शरीर पहुंचने पर सभी सदस्य डिहारी जाएंगे। पड़ोसियों ने बताया कि कुंदन एक साल पहले ससुराल आए थे और वो काफी मिलनसार व्यक्ति थे। जब भी आते थे तो सबसे मिलते थे।

चीन ने दिखाया दोहरा चेहरा तो भारत ने लिया बदला

बता दें कि 6 जून को हुई बैठक में चीन ने वादा किया था कि वो अपने सैनिकों को पीछे हटने के आदेश देंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इसके बाद जब भारतीय सेना चेकिंग के लिए पहुंची तो दोनों देशों के सैनिक आमने-सामने आ गए। भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई जिसमें भारत के 20 जवान शहीद हो गए और कुछ चीनी सैनिक भी मारे गए।

गौरतलब है कि ऐसा करीब 45 साल बाद हुआ है जब भारत-चीन बॉर्डर पर किसी तरह की हिंसा में इतनी जानें गई हैं।अब चीन ने अपील की है कि भारत विवाद छोड़कर बातचीत करें। बता दें कि इस हिंसक झड़प में करीब 43 चीनी सैनिकों के मरने के खबर भी सामने आई है, लेकिन इसे खुले रुप में चीनी सेना ने स्वीकार नहीं किया है।

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