अध्यात्म

अगर आप भी किसी से अपने मन मुताबिक काम करवाना चाहते हैं तो करें ऐसा, सामने वाला हो जायेगा धराशायी!

बहुत पहले की बात है, एक सम्राट हुआ करते थे। एक दिन उनके राज्य में एक अजनबी कहीं से घूमता हुआ पहुंचा। अजनबी ने अपने सिर पर एक सुन्दर सी पगड़ी बांध रखी थी और एक पगड़ी अपने हाथ में लिए हुए था। देखने में अजनबी काफी सुन्दर था। अजनबी की पगड़ी देखकर राजा ने कहा कि, “आपकी पगड़ी बहुत सुन्दर है, ऐसी पगड़ी तो बहुत मुश्किल से मिलती है। यह आपको कहां से मिली?” अजनबी ने कहा हे राजन! यह पगड़ी मैं इस राज्य में बेचने के लिए ही आया हुआ हूं।

आप खरीद सकते हैं इस पगड़ी को:

मैं पहले ही कई राजदरबार में गया और वहां से वापस आ गया मगर किसी राजा ने इस पगड़ी को खरीदने की हिम्मत नहीं की। मुझे जब यह ज्ञात हुआ कि आप इस पगड़ी को खरीद सकते हैं तो मैं यहां आ गया। राजा ने पूछा की आपकी इस पगड़ी की कीमत क्या है? अजनबी ने जवाब दिया, 1000 स्वर्ण मुद्राएं! यह सुनकर राजा के वज़ीर को रहा नहीं गया और वह राजा के कान में फुसफुसाते हुए कहने लगा कि यह तो आपको ठगने की कोशिश कर रहा है। यह पगड़ी साधारण ही दिख रही है। यह 20-25 रूपये से ज्यादा की नहीं लग रही है।

बात राजा के स्वाभिमान पर आ गयी:

हालांकि वजीर ने राजा के कान में धीरे से कहा था लेकिन अजनबी युवक समझदार था उसने अंदाजा लगा लिया कि वजीर ने क्या कहा होगा। उसने तुरंत राजा से कहा कि, “राजन इसका मतलब मैं यह समझूं की आप भी इस पगड़ी को नहीं खरीद पाएंगे”। यह सुनकर राजा ने तुरंत अपने वजीर से कहा कि इस अजनबी युवक को 2000 स्वर्ण मुद्राएं दी जाएं और यह पगड़ी खरीद ली जाए। युवक की बात सुनकर राजा के स्वाभिमान पर बात आ गयी।

1000 की जगह 2000 में खरीदी गयी पगड़ी:

राजा ने कहा, “हालांकि पगड़ी 1000 स्वर्ण मुद्राओं की है, लेकिन यह युवक मेरे नाम से इस पगड़ी को बेचने आया है। इसलिए इसे 2000 स्वर्ण मुद्राएं दी जाएं। जब राजा ने पगड़ी ले ली तो अजनबी युवक ने धीरे से वज़ीर के कान में कहा कि, “जनाब आपको भले ही पगड़ी की असली कीमत मालूम हो लेकिन मुझे भी राजा की कमजोरियों का पता है।” उस युवक को सभी राजाओं की कमजोरियों का पता था इसलिए उसने 25 रूपये की पगड़ी को 2000 स्वर्ण मुद्राओं में बेच दिया ऐसे में वज़ीर की सारी सलाह बेकार चली गयी।

जब लोग अपनी मनमानी करने लगते हैं तो उन्हें किसी की सलाह से कोई फर्क नहीं पड़ता है। ऐसे में उन्हें हमेशा नुकसान ही उठाना पड़ता है।

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