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आचार्य चाणक्य की इस सीख का इस्तेमाल कर सकते हैं आप दूसरों का व्यवहार जानने के लिए!

आचार्य चाणक्य के बारे में कौन नहीं जानता है। वह अपने समय के महान विद्वान और महान सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य के गुरु और उनके मंत्री थे। चाणक्य को बहुत सारे विषयों का ज्ञान था, यही वजह है कि उन्होंने सभी चीजों के बारे में लोगों को जानकारी दी थी। वे अपने ज्ञान को कभी भी अपने तक सीमित नहीं रखना चाहते थे। इसलिए उन्होंने अपने ज्ञान को अपनी किताब चाणक्य नीति के जरिये लोगों में बांटा। उस समय तो उनका दिया हुआ ज्ञान लोगों की जिंदगी बदल ही देता था, लेकिन आज हजारों साल बाद भी उनके ज्ञान की उतनी ही महत्ता है।

घिर जाते हैं जीवन में कई परेशानियों से:

आज भी जो चाणक्य की कही हुई बातों को अपने जीवन में अपनाता है, वह खुश और सुखी रखता है। जो लोग चाणक्य की बातों का मजाक उड़ाते हैं और इसे बस बकवास मानते हैं, वह जीवन में कई परेशानियों से घिर जाते हैं। चाणक्य ने चाणक्य नीति में कुछ बहुत ही जरूरी बातें कही हैं, जो हर किसी को जीवन में अपनाना चाहिए। चाणक्य की इन बातों को ध्यान में अवश्य रखें।

श्लोक:
दण्डे प्रतीयते वृत्तिः।
अर्थ:

इसका मतलब है कि जिस प्रकार एक राजा अपने राज्य में दंडनीति का निर्धारण करता है, उससे उस राजा के व्यवहार का पता चल जाता है। राजा की दंडनीति को देखकर ही समझा जा सकता है कि राजा योग्य है या अयोग्य, भावना से भरा हुआ है या भावनाहीन है, लोगों का चहेता है या लोगों से नफरत करने वाला, लालची है या जनता के बारे में सोचने वाला, सत्य मार्गी है या झूठ के रास्ते पर चलने वाला।

श्लोक:
विवेकसम्मत हो दंड दण्डो हि विज्ञाने प्रणीयते।
अर्थ:

किसी भी राजा से न्याय करने से पहले यह उम्मीद की जाती है कि वह दंड देने से पहले काफी सोच-समझकर फैसला ले।

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