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ज़िंदगी और रोज़गार दोनों ही हैं जरूरी, इसलिए कंटेनमेंट जोन को छोड़ अन्य जगहों पर कारोबार को अनुमति

ओडिशा के विशेष राहत आयुक्त प्रदीप जेना ने सफाई पेश की है और बताया है कि आखिर क्यों लॉकडाउन के दौरान ये छूट देना जरूरी है।

लॉकडाउन के दौरान कई सारे राज्यों ने विशेष तरह की छूट लोगों को देना शुरू कर दिया है, ताकि वापस से अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाया जा सके। कोरोना संक्रमण के बीच लोगों को दी जाने वाली ये छूट चिंता का विषय भी बनीं हुई है। कई लोगों के मन में यही सवाल बार-बार आ रहा है कि कहीं ये छूट गलत साबित ना हो और कोरोना वायरस लोगों के बीच में तेजी से ना फैल सके।

राज्य सरकारों द्वारा दी जा रही इस छूट पर ओडिशा के विशेष राहत आयुक्त प्रदीप जेना ने सफाई पेश की है और बताया है कि आखिर क्यों लॉकडाउन के दौरान ये छूट देना जरूरी है। आयुक्त प्रदीप जेना के अनुसार जीवन एवं जीविका दोनों ही आवश्यक हैै और हमें अर्थनीति का पुनरुद्धार (Restoration) करना होगा।

आयुक्त प्रदीप जेना के मुताबिक जीवन एवं जीविका में संतुलन जरूरी है। कोरोना वायरस के कारण लॉकडाउन लगाया गया है जो कि जीवन के लिए जरूरी है। लेकिन जीवन बचाते बचाते जीविका पर भी ध्यान देना होगा। नहीं तो जीविका खत्म हो जाएगी। आयुक्त प्रदीप जेना के अनुसार जीवन के इस युद्ध में जीविका प्रभावित न हो उसके लिए कड़े कदम उठाना जरूरी है।

कारोबार शुरू करने की है अनुमति

जेना ने आज बात करते हुए कहा कि इस समय कंटेनमेंट जोन को छोड़कर अन्य जगहों पर कारोबार को फिर से शुरू किया जा सकता है। इसलिए कृषि आधारित, उद्योग आधारित ए​वं निर्माण आधारित कार्य को अनुमति दी गई है। कृषि कार्यों के लिए श्रमिक एक जिले से दूसरे जिले में जा सकते हैं। हालांकि कोरोना वायरस के रेड जोन के शहरी क्षेत्रों में निर्माण कार्यों पर कुछ प्रतिबंध लगे रहेगे।

बस चलाने की अनुमति दी

जेना ने बताया कि ग्रीन जोन में बस आ​वागमन के लिए सरकार की और से अनुमति दे दी गई है। ताकि श्रमिकों के आने जाने में परेशानी ना हो। साथ में ही जेना ने गांव-गांव में लगाए गए बैरिकेड को सही नहीं माना है और इन्हें लगाना गैरकानूनी बताया है। जेना के अनुसार बैरिकेड लगाकर श्रमिकों को आने जाने से रोकना सही नहीं है। श्रमिकों को एक जिले से अन्य जिले में आने जाने की अनुमति दे दी है और ठेकेदार गाड़ी के जरिए उन्हें ले जा सकते हैं।

किए जाए गाड़ी की व्यवस्था

जेना ने कहा कि  जरूरत पड़ने पर जिलाधीश के ये आदेश में दिया जाएगा कि वो श्रमिकों के लिए गाड़ी की व्यवस्था करें ताकि ये लोग अपने काम पर जा सके। वहीं जो लोग इनके आने जाने में रुकावट पैदा करेंगे उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

राज्य से बाहर भी जा सकेंगे श्रमिक

आने वाले समय में एक राज्य से दूसरे राज्यों में जाने के लिए भी कुशल श्रमिक को अनुमति दी जाएगी। हालांकि ऐसे करने के लिए दोनों राज्यों की सहमति होना जरूरी है। अपने बयान में जेना ने आगे कहा कि मनरेगा में रोज 7.5 लाख श्रम दिवस चल रहा है। इसे बढ़ाने के भी निर्देश दिए गए हैं।

गौरतलब है कि लॉकडाउन के दौरान ही कई राज्यों ने फिर से जनजीवन को शुरू करने का फैसला लिया है और कई सारी दुकानों को खोल दिया गया है। साथ में ही लोगों को घरों से बाहर निकलने की अनुमति भी दे दी है। हालांकि ये अनुमति कुछ शर्तों के साथ दी गई है।

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