बॉलीवुड

पैदा होते ही मीना कुमारी को अनाथ आश्रम के बाहर छोड़ गए थे पिता, वजह जान कर यकीं ना होगा

किस्मत ऐसी चीज है जो हर किसी की अच्छी हो ये जरूरी नहीं होता। आमतौर पर लोगों की जिंदगी में खुशी और गम दोनों का बराबर बैलेंस होता है लेकिन कुछ लोगों को हमेशा गम ही मिलते हैं और ऐसा ही जीवन मीना कुमारी का भी रहा है। बॉलीवुड की बेहतरीन एक्ट्रेस मीना कुमारी को उनके पिता अनाथालय में छोड़ आए थे उसके बाद उनके जीवन ने कैसी करवट ली चलिए आपको बताते हैं।

मीना कुमारी का सफर रहा संघर्षपूर्ण

बॉलीवुड में ट्रेजेडी क्वीन के नाम से फेमस मीना कुमारी का जन्म 1 अगस्त, 1933 को मुंबई के दादर इलाके में हुआ था। मगर इनके जन्म के बाद इनके पिता इतने दुखी हुए और माथा पकड़कर बैठ गये क्योंकि एक लड़की का जन्म हुआ था। मीना कुमारी के पिता लड़का चाहते थे लेकिन बेटी के जन्म हो जाने बाद वे मीना कुमारी को अनाथालय छो़ड़ आए। मीना कुमारी की मां का बहुत बुरा हाल हो गया था जिस वजह से उनके पिता फिर उन्हें घर वारस लेकर आए। मीना कुमारी का असली नाम मेहजबी था लेकिन उनकी पहचान मीना कुमारी के नाम से बनी और मात्र 6 साल की उम्र में उन्होंने फिल्मों में काम करना शुरु कर दिया था। मीना कुमारी और कमाल अमरोही की मुलाकात फिल्म तमाशा के सेट पर हुई थी।

इस दौरान दोनों ने प्यार किया और निकाह भी हो गया लेकिन साल 1964 में दोनों के बीच दरार आई और ये अलग रहने लगे। मीना कुमारी ने तीन दशकों तक फिल्मों में काम किया और अपने बेहतरीन अभिनय के कारण दर्शकों के साथ फिल्ममेकर्स की पसंद बनी रहीं। हिंदी सिनेमा में मीना कुमारी का एक बड़ा योगदान रहा है और 31 मार्च, 1972 को 39 साल की बहुत कम उम्र में उनका निधन हो गया था। ऐसा बताया जाता है कि वे फिल्मों में तो सफल थीं लेकिन जिंदगी से बहुत परेशान थीं और अक्सर वे शराब के नशे में डूबी रहती थीं। उनके जीवन में प्यार की कमी ने उन्हें हमेशा अंदर ही अंदर तोड़ा।

साल 1939 में मात्र 6 साल की उम्र में मीना कुमारी ने लेदरफेस में काम किया। इसके बाद उन्होंने पाकीजा, साहेब बीवी और गुलाम, दिल अपना और प्रीत पराई, काजल, दिल एक मंदिर, आजाद, मेरे अपने, फूल और पत्थर, परिणीता, भीगी रात, कोहीनूर, बहू बेगम, दायरा, दुश्मन, बहारों की मंजिल, सांझ और सवेरा, मिस मैरी, चिराग कहां रोशनी कहां जैसी कई सफल फिल्मों में काम किया। मीना कुमारी ने बॉलीवुड में 94 फिल्मों में काम किया जिनमें से आधे से ज्यादा फिल्में सुपरहिट रहीं। उनका जीवन बहुत कम समय में ही खत्म हो गया लेकिन इतने कम समय में ही उन्होने ऐसी याद बनाई जिसके लिए आज भी हिंदी सिनेमा में उनका नाम लिया जाता है।

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