अध्यात्म

नवरात्रि के सातवें दिन इस तरह करें कालरात्रि मां की पूजा, ग्रहों की मार और काल से होगी आपकी रक्षा

नवरात्रि के सातवें दिन कालरात्रि मां की पूजा की जाती है। इन मां की पूजा करने से भय दूर हो जाता है और मां बुरी शक्तियों से आपकी रक्षा करती हैं। कालरात्रि मां की उपासना करने से सिद्धियां भी हासिल की जा सकती है। शास्त्रों में कालरात्रि मां का जिक्र करते हुए लिखा गया है कि इन देवी के तीन नेत्र हैं और ये तीनों नेत्र ब्रह्मांड के समान हैं। इनकी सांस से अग्नि निकलती है। इनके ऊपर उठे हुए दाहिने हाथे की मुद्रा वर है. जो कि भक्तों को वर यानी वरदान देती है। जबकि नीचे वाले हाथ अभय मुद्रा में है। इस मुद्र का मतलब हमेशा निडर और निर्भय रहना है। मां के बाईं तरफ के ऊपर वाले हाथ में लोहे का कांटा है और नीचे वाले हाथ में खड्ग है।

मां के शरीर का रंग नीला है और इनके बाल सदा खुले ही रहते हैं। मां के गले में विद्युत की तरह चमकने वाली माला भी है। ये गर्दभ की सवारी करती हैं और बुरी शक्तिों का विनाश कर देती हैं। इतना ही नहीं जो लोग मां की पूजा करते हैं मां उन लोगों की रक्षा काल से भी करती है।

खुल जाते हैं ब्रह्मांड के दरवाजे

ऐसा भी कहा जाता है कि कालरात्रि मां की उपासना करने से ब्रह्मांड की सारी सिद्धियों के दरवाजे खुल जाते हैं। इन मां का पूजन करने से बुरी शक्ति आप से दूर भाग जाती हैं और दानव, दैत्य, राक्षस और भूत-प्रेत आपसे दूर रहते हैं।

बांधाएं हो जाती हैं दूर

जिन लोगों की कुंडली में ग्रहों की चाल सही नहीं चल रही है वो लोग कालरात्रि मां की पूजा जरूर करें। कालरात्रि मां की पूजा करने से ग्रहों के कारण जीवन में जो बाधाएं आती हैं वो सब दूर हो जाती है और कोई भी ग्रह आपको हानि नहीं पहुंचा पाता है।

इस तरह से करें पूजा

  • आप नवरात्रि के सातवें दिन चौकी पर कालरात्रि मां की फोटो स्थापित कर दें। उसके बाद मां को फूल और फल अर्पित करें।
  • मां के सामने एक दीपक जला दें और मां को गुड़ का भोग लगाएं। दरअसल कालरात्रि मां को गुड़ बेहद ही पसंद है और गुड़ का भोग लगाने से मां प्रसन्न हो जाती हैं।
  • दुर्गा का पाठ करें।
  • पाठ पूरा करने के बाद कालरात्रि मां की आरती गाएं।
  • आरती खत्म करने के बाद मां को चढ़ाए गए गुड़ को प्रसाद के तौर पर लोगों में बांट दें।

मां कालरात्रि की आरती :

कालरात्रि जय जय महाकाली

काल के मुंह से बचाने वाली

दुष्ट संहारिणी नाम तुम्हारा

महा चंडी तेरा अवतारा

पृथ्वी और आकाश पर सारा

महाकाली है तेरा पसारा

खंडा खप्पर रखने वाली

दुष्टों का लहू चखने वाली

कलकत्ता स्थान तुम्हारा

सब जगह देखूं तेरा नजारा

सभी देवता सब नर नारी

गावे स्तुति सभी तुम्हारी

रक्तदंता और अन्नपूर्णा

कृपा करे तो कोई भी दुःख ना

ना कोई चिंता रहे ना बीमारी

ना कोई गम ना संकट भारी

उस पर कभी कष्ट ना आवे

महाकाली मां जिसे बचावे

तू भी ‘भक्त’ प्रेम से कह

कालरात्रि मां तेरी जय

कालरात्रि जय जय

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