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तस्वीरें: 5 दिनों में तय की 500 किमी की दूरी, बुजुर्ग को कंधे पर लाद दिल्ली से पहुंचाया लखनऊ

देश में 21 दिनों का लॉकडाउन घोषित होने के बाद से लाखों की संख्या में लोग अपने गांव की और पलायन कर रहे हैं। सरकार की और से बस और रेलवे की सेवा बंद किए जाने के बावजूद भी ये लोग पैदल ही अपने गांवों के लिए निकल रहे हैं। इन्हीं लोगों में से एक सालिगराम भी हैं। जिन्होंने 500 किमी की दूरी तय की है और शनिवार को लखनऊ पहुंचे हैं। सालिगराम की आयु 80 वर्षीय की है और इनको लोग ने कंधे पर उठाकर लखनऊ तक पहुंचाया है। सालिगराम ने अपनी 500 किलो मीटर की यात्रा पांच दिनों में तय की है। वहीं लखनऊ पहुंचते ही जब इनको एक पुलिस अधिकारी ने देखे तो उन्होंने आगे बढ़कर इनकी मदद की।

सालिगराम शनिवार दोपहर लखनऊ के शहीद पथ पर पहुंचे थे और इस जगह पर आईपीएस नवनीत सिकेरा भी मौजूद थे। आईपीएस नवनीत सिकेरा ने देखा कि चार लोगों ने बल्लियों में बंधे कपडे़ में एक बुजुर्ग को बैठाया है और इसे कंधे पर उठाया है। जिसके बाद नवनीत सिकेरा इनके पास चले गए। नवनीत सिकेरा ने देखा की कपड़े के अंदर 80 साल का बुजुर्ग व्यक्ति बैठा है और ये लोग उसे उसके गांव तक लेकर जा रहे हैं। इन लोगों से जब नवनीत सिकेरा ने बात की तो पाया की इन्होंने 500 किलोमीटर का सफर इसी तरह से तय किया है। नवनीत सिकेरा ने इन लोगों की मदद की और इन्हें सबसे पहले फल खाने को दिए। इसके बाद विभूतिखंड इंस्पेक्टर श्याम बाबू शुक्ला भी इसी जगह पर आए और उन्होंने इन लोगों के लिए खाने का इंतजाम किया।

सालिगराम श्रावस्ती के इकौना बाजार के रहने वाले हैं और उनके साथ उन्हीं के गावं के लोग मौजूद थे। जिसमें गांव के युवक, महिलाएं और बच्चे शामिल थे और इन लोगों की संख्या 67 थी। ये सभी लोग कई सालों से दिल्ली में मेहनत-मजदूरी कर रहे थे। वहीं लॉकडाउन के चलते पांच दिन पहले इन सभी ने एक साथ दिल्ली छोड़ दी और पैदल ही अपने गांव की और निकल पड़े। इन्हें रास्ते में कोई लोगों ने सवारी भी दी। एक ट्रक वाले ने इनको एक्सप्रेस-वे तक छोड़ा। वहां से सभी पैदल चलने लगे। वहीं इस दौरान सालिगराम के शरीर के निचले हिस्से में लकवा हो गया। जिसके कारण वो चल नहीं सके। ऐसे में गांव के जगराम, सुरेश कुमार, मुन्ना, रामू व अन्य ने दो बल्लियों के बीच चादर बांधकर झूला बनाया और उन्हें बैठा दिया। इसके बाद बल्लियों को बारी-बारी से कंधे पर लेकर आगे बढ़ते रहे।

नवनीत सिकेरा के अनुसार गांव वालों की मदद के लिए उन्होंने विभूतिखंड इंस्पेक्टर को बुलाया और उनके आने तक इन लोगों को फल खाने को दिए। वहीं विभूतिखंड इंस्पेक्टर के पहुंचने पर इन सबको खाना खिलाया गया। वहीं जब इन लोगों की सूचना कुछ सामाजिक कार्यकर्ता को मिली तो वो भी इस जगह आए और उन्होंने ग्रामीणों के आराम की व्यवस्थाएं कीं।

पुलिस ने तत्काल ही इन लोगों के लिए बसों का इंतजाम भी करवाया और इन लोगों को उनके गांव तक पहुंचाया। आईपीएस अफसरों ने रोडवेज बस के एमडी राजशेखर से बात कर बस का इंतजाम करवाया और बस आने के बाद इनको रवाना कर दिया गया।

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