अध्यात्म

शनि प्रदोष व्रत की ये पौराणिक कथा पढ़ने से मिल जाएगा संतान सुख और हो जाएगी हर कामना पूरी

21 मार्च यानी आज शनि प्रदोष व्रत है। शनि प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव जी और शनि देव की पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन अगर सच्चे मन से शिव जी की पूजा की जाए तो हर कामान पूरी हो जाती है और शनि देव के प्रकोप से रक्षा होती है। शनि प्रदोष व्रत से एक पौराणिक कथा भी जुड़ी हुई है। इस कथा के अनुसार एक सेठ बेहद ही अमीर हुआ करता था और इस सेठ के पास किसी भी चीज की कमी नहीं थी। ये सेठ हर किसी की मदद किया करता था।

इस सेठ की कोई संतान नहीं थी। जिसकी वजह से ये दुखी रहा करता था। कई तरह की पूजा करने के बाद भी इस सेठ को संतान का सुख प्राप्त नहीं हुआ। जिसके बाद इस सेठ ने ये तय किया की ये अपनी पत्नी के साथ तीर्थयात्रा पर जाएगा। सेठ को लगा की तीर्थयात्रा पर जाने से शायद इसकी कामना पूरी हो जाए और संतान का सूख मिल जाए। ये सोच कर ये सेठ अपनी पत्नी के साथ तीर्थयात्रा  के लिए निकल गया।

तीर्थयात्रा के लिए जैसे ही ये सेठ अपने गांव से बाहर निकला तो इसे एक साधु मिला। साधु को देख सेठ ने सोचा की यात्रा शुरू करने से पहले साधु का आशीर्वाद ले लें। सेठ ने अपनी पत्नी के साथ मिलकर इस साधु के पैर छू और साधु से कहा कि वो उन्हें आशीर्वाद दें की उनकी यात्रा सफल हो और उन्हें संतान की प्राप्ति हो जाए। साधु ने सेठ से कहा कि तुम संतान प्राप्ति के लिए शनि प्रदोष व्रत करो। ये व्रत करने से तुम्हें संतान मिल जाएगी। साधु की बात सुनने के बाद ये दोनों तीर्थयात्रा पर निकल गए। तीर्थयात्रा पूरी करने के बाद सेठ-सेठानी ने प्रदोष व्रत को करना शुरू कर दिया और शिव भगवान की पूजा की। जिसके बाद इन्हें संतान का सुख हासिल हो गया।

इस तरह से करें प्रदोष व्रत

  • प्रदोष व्रत के दिन आप स्नान करें और मंदिर में जाकर शिवलिंग की पूजा करें। शिवलिंग की पूजा करते समय उन्हें दूध और जल अर्पित करें। शिवलिंग के पास एक दीपक भी जला दें। इसके बाद नीचे बताए गए मंत्र को पढें।

हे रुद्रदेव शिव नमस्कार।
शिवशंकर जगगुरु नमस्कार।।

हे नीलकंठ सुर नमस्कार।
शशि मौलि चन्द्र सुख नमस्कार।।
हे उमाकांत सुधि नमस्कार।
उग्रत्व रूप मन नमस्कार।।
ईशान ईश प्रभु नमस्कार।
विश्‍वेश्वर प्रभु शिव नमस्कार।।

  • शिवलिंग की पूजा करने के बाद शनिदेव की पूजा करें। शनि देव की पूजा करते समय उनके पास एक सरसों के तेल का दीपक जला दें और शनि देव के मंत्र का उच्चारण करें।
  • पूजा पूरी होने के बाद भगवान के सामने अपनी मनोकामना बोल दें।
  • इस दिन आप व्रत रखें और केवल दूध-फल का ही सेवन करें।

शनि प्रदोष व्रत के लाभ

  • ये व्रत रखने से हर कामना पूरी हो जाती है।
  • जिन लोगों की कुंडली में शनि ग्रह भारी होता है उन लोगों के लिए ये व्रत रखना लाभकारी होती है। इस व्रत को करने से शनि देव शांत रहते हैं और जीवन में किसी भी तरह की परेशानी नहीं आती है।

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