अध्यात्म

क्या आप जानते हैं श्री कृष्ण की नगरी ब्रज में कैसी-कैसी होली खेली जाती है? देखें वीडियो !

पूरे देश के लोग इस समय होली की तैयारियों में जुट गए हैं। हर तरफ होली का ही रंग है। बच्चे से लेकर बूढ़े तक इस रंग में रंगे हुए दिख रहे हैं। हर जगह रंग और गुलाल की दुकानें सज चुकी हैं। देश के हर प्रान्त में होली अपने-अपने तरह से मनाई जाती है, लेकिन श्री कृष्ण की नगरी में मनाई जाने वाली होली की बात ही अलग होती है। अभी देश में होली की तैयारियां की जा रही हैं जबकि कृष्ण की नगरी के लोग होली के रंग में डूब चुके हैं। यहाँ हर तरह की होली देखने को मिलती है।

मथुरा तीनों लोकों में है सबसे न्यारी नगरी:

आपको बता दें कि इस बार मथुरा में होली 8 मार्च को ही खेली जायेगी। मथुरा को तीनों लोकों में सबसे न्यारी नगरी माना जाता है और यह ब्रज का हृदय भी है। इसे न्यारी नगरी इसलिए माना जाता है, क्योंकि यहाँ की परम्पराएं सबसे निराली हैं। आप तो जानते ही हैं कि होली के त्यौहार को प्रेम के त्यौहार के रूप में जाना जाता है। इस दिन दुश्मन भी रंग-गुलाल लगाकर एक दूसरे से गले मिलते हैं। लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि कृष्ण की नगरी में होली के दिन भी लोग लाठियों और डंडों से होली खेलते हैं।

यहां जेठ भी रख देते हैं होली खेलने का प्रस्ताव:

यहां जेठ होने के बावजूद भी बलदेव ने राधा के सामने होली खेलने का प्रस्ताव रख दिया था। कहा जाता है जब भगवान कृष्ण बरसाना होली खेलने आए थे तो बरसाना वालों ने उन्हें इसी स्थान पर विश्राम कराया था और उनकी सेवा की थी। तब से लेकर आज तक बरसाना की लट्ठमार होली इसी स्थान पर नन्द से आने वाले हुरियारा परंपरा से मनाई जाती है। यहाँ खेली जाने वाली लट्ठमार होली भी कई प्रकार की होती है। बरसाना में होली खेलते वक़्त लाठियों के प्रहार को चमड़े से बने ढ़ाल से रोका जाता है तो किसी और जगह इसे लकड़ी के बने गदा से। राधा की जन्मस्थली रावल और मल्लपुरा में लाठियों के मार को टीन की बनी ढाल से रोका जाता है। यहाँ लट्ठमार होली खेले जाने के पीछे एक कहानी भी है।

देखें वीडियो-

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कृष्ण अकेले ही राधा से होली खेलने पहुँच गए थे बरसाना:

एक बार कृष्ण होली के मौसम में अकेले ही राधा से होली खेलने के लिए बरसाना पहुँच गए। जब वह वहां गए तो राधा की सखियों ने कृष्ण को पकड़ लिया और उन्हें रंगों से रंगकर और महिला के वस्त्र पहनाकर उन्हें वापस नंदगांव भेज दिया। जब वह घर आये और उनके दोस्तों ने उन्हें इस हालत में देखा तो उन्होंने कृष्ण से पूछा कि उनकी यह हालत किसने की। उन्होंने बताया कि राधारानी की सखियों ने उन्हें अकेले पकड़ लिया और उन्हें रंगकर लड़कियों के कपड़े पहना दिए।

 

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