राजनीति

पवार की नाराजगी को दूर करने के लिए पीछे हटे उद्धव, कहा- भी’मा कोरे’गांव मामले की NIA जांच नहीं होगी

भीमा कोरेगांव मामले को लेकर NCP प्रमुख शरद पवार की नाराजगी को दूर करने के लिए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने एक बयान दिया है और अपने बयान में उद्धव ठाकरे ने कहा है कि ‘एलगार परिषद और भीमा कोरेगांव का मामले दो अलग मामले हैं। भीमा कोरेगांव का मामला दलित भाइयों से जुड़ा हुआ मामला है और इस मामले की जांच करने का अधिकार केंद्र के हाथ में नहीं। जबकि एलगार परिषद मामले को केंद्र सरकार द्वारा देखा जा रहा है। दरअसल हाल ही में  मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने  मामले की जांच करने के लिए राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को अनुमति दे दी थी और उद्धव ठाकरे के इस फैसले से राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) प्रमुख शरद पवार (Sharad Pawar) नाराज थे।

पावर की इसी नाराजगी को देखते हुए मंगलवार को महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे ने एक बयान देकर कहा, एलगार परिषद का मामला और भीमा कोरेगांव का मामला 2 अलग-अलग मामले हैं। भीमा कोरेगांव मामला मेरे दलित लोगों से संबंधित है और मामले से संबंधित जांच अभी तक केंद्र को नहीं दी गई है और इस मामले को आने वाले समय में भी केंद्र को नहीं सौंपा जाएगा। जबकि केंद्र ने एलगार परिषद मामले को संभाल लिया है।

भीमा कोरेगांव मामला जातिगत मतभेदों की आग में घी डाल कर दूसरे समूह से घृणा और हिंसा भड़काने के लिए सुर्खियों में आया था। पुणे पुलिस ने खुलासा किया कि पीएम मोदी की हत्या करने की साज़िश बनी जा रही है
पुणे पुलिस ने कहा था, “माओवादी नेताओं सहित रोना विल्सन और भगोड़े किशन दा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या की साजिश रच रहे थे

एल्गार परिषद मामले ने सबसे खराब तरह के शहरी माओवादियों को उजागर किया, जो संभवतः अपनी योजनाओं के संदर्भ में सबसे सक्रिय और सबसे कपटी हैं। अब शरद पवार एवं उनकी  पूरी पार्टी  कुछ बेहद ख़ास वजहों  से, यह भीमा कोरेगांव ‘शहरी माओवादियों’ के पीछे अपनी पूरी ताक़त लगा रहे हैं।

NCP नेता, नवाब मलिक, जो उद्धव ठाकरे के मंत्रिमंडल में मंत्री होने के अलावा पार्टी के मुख्य प्रवक्ता भी हैं, उन्होंने  महाराष्ट्र के गृह मंत्री, NCP नेता अनिल देशमुख पर स्पष्ट रूप से एक समानांतर जांच स्थापित करने के लिए आवश्यक कदम उठाने पर जोर दिया है।

केंद्र पर लगाए थे आरोप

शरद पवार ने जनवरी महीने में ही केंद्र सरकार पर आरोप लगाया था कहा था कि भंडाफोड़ होने के डर से भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले की एनआईए जांच की जा रही है। पवार ने कहा था कि अन्याय के खिलाफ आवाज उठाना नक्सलवाद नहीं होता है। मेरे ख्याल से सरकार को डर है कि सरकार का भंडा फूट जाएगा और इस डर से मामले को एनआईए को सौंपा गया है। शरद पवार ने एलार परिषद मामले में भी (SIT) गठित करने की मांग की थी और कहा था कि इस मामले की जांच कराने के लिए सेवानिवृत न्यायाधीश के नेतृत्व में विशेष जांच दल (SIT) गठित करना चाहिए।

 

शरद पवार ने पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर भीमा कोरेगांव की जांच सही से ना करना का आरोप भी लगाया था और शरद पवार ने कहा था कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस मामले में दखल दिया था और  पुलिस अधिकारियों की मदद से सामाजिक और मानवाधिकार के लिए संघर्ष करने वाले लोगों के ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया था।

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