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कहानी : मूर्तिकार ने पत्थर को तोड़ना शुरू किया, लेकिन बहुत प्रयास के बाद भी पत्थर नहीं टूटा

कुछ ऐसे लोग होते हैं जो कि कामयाबी ना मिलने पर अपने सपनों को बीच में ही छोड़ देते हैं और मेहनत करना बंद कर देते हैं। इस विषय से एक कथा जुड़ी हुई है जो कि हमें इस बात की सीख देती है कि व्यक्ति को जीवन में तब तक मेहनत करती रहनी चाहिए, जब तक उसे कामयाबी ना मिल जाएगा। क्योंकि कई बार हम कामयाबी के बेहद ही करीब होते हैं। लेकिन बीच में ही मेहनत करना छोड़ देते हैं और ऐसा होने पर कामयाबी होते-होते रहे जाते हैं।

एक लोक कथा के अनुसार एक राजा को गुफा के अंदर बेहद ही सुंदर और विशाल पत्थर मिलता है। राजा ने ऐसा पत्थर अपने जीवन में कभी नहीं देखा होता है। ये पत्थर देखते ही राजा को विचार आता है कि वो क्यों ना इस पत्थर से अपनी मूर्ति बनवाएं। राजा तुरंत अपने मंत्री को आदेश देता है और कहता है कि राज्य का सबसे अच्छा मूर्तिकार उनके पास लेकर आएं। राजा का आदेश पाकर मंत्री राज्य के सबसे बेहतरीन मूर्तिकार को राज महल बुलाता है। मूर्तिकार से मिलकर राजा कहता है, मैंने एक गुफा के अंदर बेहद सुंदर और विशाल पत्थर देखा था और ये पत्थर गुफा से उठाकर मेरे सैनिक राज महल में ले आएं हैं। मैं चाहता हूं कि इस पत्थर से तुम मेरी मूर्ति बनाओं। मूर्तिकार राजा का आदेश का पालन करता है और पत्थर को तोड़कर मूर्ति बनाने लग जाता है। कई दिन निकल जाते हैं पर मूर्तिकार से पत्थर नहीं टूट पाता है। लेकिन फिर भी मूर्तिकार पत्थर को तोड़ने में लगा रहता है और ऐसा करते हुए एक महीना बीत जाता है। एक महीने बाद मूर्तिकार हार मान लेता है और राजा से कहता है कि ये पत्थर बेहद ही कठोर है और इसे तोड़ पाना नामुकिन है। एक महीने से मैं इस पत्थर को तोड़ने की कोशिश कर रहा हूं लेकिन ये पत्थर जरा सा भी नहीं टूटा। इसलिए आप मुझे माफ करें और किसी और मूर्तिकार को ये कार्य सौंप दें।

मूर्तिकार की ये बात सुनकर राजा निराश हो जाता है और मंत्री को अन्य मूर्तिकार को लाने का आदेश देता है। राजा का आदेश पाते ही मंत्री एक और मूर्तिकार को ले आता है और राजा उसे पत्थर तोड़कर अपनी मूर्ति बनाने को कहता है। ये मूर्तिकार तुरंत ही पत्थर को तोड़ने में लग जाता है और महज एक दिन में ही पत्थर टूटने लग जाता है। जब राजा को पत्थर टूटने की बात पता चलती है तो राजा तुरंत मूर्तिकार के पास जाता है और उसे कहता है कि, तुमने महज एक दिन के अंदर ही ये कठोर पत्थर कैसे तोड़ दिया। तुमसे पहले एक मूर्तिकार आया था और वो एक महीने तक ये पत्थर तोड़ने की कोशिश में लगा रहा लेकिन नाकाम रहा।

मूर्तिकार राजा से कहता है, महाराजा मेरे से पहले वाले मूर्तिकार ने इस पत्थर पर इतना प्रहार किया की ये कमजोर हो गया और जैसे ही ये पत्थर टूटने के लायक हो गया। उस मूर्तिकार ने हार मान ली और इसे बीच में ही छोड़ दिया। अगर आज मेरी जगह वो मूर्तिकार इस पत्थर को तोड़ता तो ये पत्थर जरूर टूट जाता और उसे जरूर अपने कार्य में कामयाबी मिल जाती है। लेकिन उसने बीच में ही हार मान ली और मेहनत करना छोड़ दिया।

प्रसंग की सीख

इस प्रसंग की सीख यह है कि जीवन में तब तक मेहनत करें जब तक आपको कामयाबी ना मिल जाएगा। कई बार हम कामयाबी के करीब होते हैं। लेकिन निराश होकर मेहनत करना छोड़ देते हैं और असफलता रहे जाते हैं।

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