अध्यात्म

वसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती को ऐसे करें प्रसन्न, होगी अपार कृपा

वसंत का मौसम आने वाला है। वसंत हर किसी को पसंद होता है। वसंत को मौसमों का राजा कहा जाता है। इस ऋतु में न तो ज्यादा गर्मी होती है न ज्यादा ठंड होती है। यह सबसे सुहाना मौसम होता है। हर किसी के मन को सुकुन देने वाला ये मौसम अब दस्तक देने ही वाला है। वसंत ऋतु के बारे में जितना कहें कम लगता है। इस मौसम की एक और खासियत ये है कि इस ऋतु के लगते ही इसके पांचवे दिन वसंत पंचमी का त्यौहार आता है। ये दिन विद्या की देवी माता सरस्वती के जन्मोत्सव का दिन होता है। इस दिन माता सरस्वती की पूजा धूमधाम से मनाई जाती है। इस दिन माता सरस्वती की पूजा की प्रथा सदियों से चली आ रही है। हमारे देश में इस दिन लगभग सभी विद्यालयों, महाविद्यालयों में माता सरस्वती की पूजा की जाती है। मां सरस्वती के बारे में माना जाता है कि सृष्टि के निर्माण के समय देवी सरस्वती वसंत पंचमी के दिन प्रकट हुई थीं।

इसलिए इस दिन मां सरस्वती के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। यही कारण है कि माता सरस्वती की धूमधाम से पूजा अर्चना की जाती है। इस वर्ष वसंत पंचमी की बात करें तो 29 जनवरी 2020 बुधवार  को पड़ रहा है। लेकिन माना जा रहा है कि ये कई जगहों पर 30 जनवरी 2020 गुरूवार को भी मनाया जाएगा। ऐसा इसलिए क्योंकि अलग अलग जगहों पर अलग अलग मत चलते हैं। बता दें कि यह त्यौहार हिंदू माह के माघ महीने के शुक्ल पक्ष पंचमी को मनाया जाता है। इसी दिन ब्रह्मा ने माता सरस्वती की रचना की थी। इस त्यौहार का खास महत्व है। माना जाता है कि इस दिन अगर सरस्वती की पूजा करें तो बुद्धि, विद्या में बढ़ोत्तरी होती है। तो आइये जानते हैं माता सरस्वती की पूजा कैसे करें।

इस दिन सरस्वती की विशेष पूजा का आयोजन किया जाना चाहिए। पूजन के लिए सर्वप्रथम माता सरस्वती की प्रतिमा या तस्वीर जो भी उपलब्ध हो उसे सामने रखना चाहिए। इसके बाद कलश स्थापना करनी चाहिए। इसके बाद प्रथम पूजनीय भगवान गणेश और नवग्रह की पूजा करने का प्रावधान है। इसके तुरंत बाद माता सरस्वती की पूजा आरंभ करें। इसके लिए सर्वप्रथम माता सरस्वती का स्नान कराएं और आचमन करेँ। तत्पश्चात माता सरस्वती को केसरिया फूल और माला चढ़ाएं। माता सरस्वती को श्रृगांर करें। श्रृगांर में सिन्दूर एवं अन्य श्रृगांर के सभी सामान अर्पित करें।

माता सरस्वती के चरणों में गुलाल अवश्य चढ़ाएं। वसंत पंचमी के दिन गुलाल चढ़ाने का विशेष महत्व है। इसके बाद माता सरस्वती को श्वेत वस्त्र अर्पित करें क्योंकि देवी श्वेत वस्त्र धारण करती हैं। श्वेत वस्त्र  चढ़ाने के बाद पीले रंग का फल चढ़ाएं। मौसमी फलों के अलावा बूंदी जरूर अर्पित करें। बता दें कि बूंदी के अलावा अगर क्षमता हो तो मालपुए और खीर का भी भोग लगा सकते हैं।

 

देवी सरस्वती के नाम का हवन भी करना चाहिए। हवन करने के लिए भूमि के चारों तरफ सवा हाथ नापकर निशान लगा दें। इसके बाद उस जगह को कुश और गंगा जल छिड़ककर शुद्ध कर लें। इसके बाद वहां आम की छोटी छोटी लकड़ियां बिछा लें। और अग्नि प्रजवल्लित करें। सरस्वती माता के नाम से ‘ॐ श्री सरस्वतयै नम: स्वाहा’ इस मंत्र से 108 बार हवन करें। ध्यान रहे गणेश और नवग्रह के नाम का हवन भी जरूर करें। हवन के बाद माता सरस्वती की आरती करें। इस तरह से पूजन करने पर माता सरस्वती का आशीर्वाद अवश्य मिलेगा।

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