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मैरी कॉम से ले कर विद्या वालन तक, बेहद ही प्रेरणादायक है इन 8 भारतीय महिलाओं की कहानी

जिंदगी में कुछ हासिल करने के लिए मन में विश्वास होना जरूरी होती है। विश्वास के दम पर ही हम जीवन में सफलता पा सकते हैं। आज हम आपको ऐसी ही 8 महिलाओं के बारे में बताने वाले हैं। जिन्होंने अपने विश्वास के दम पर अपने सपनों को सच किया है और करोड़ों लोगों के बीच अपनी एक पहचान कायम की है।

मैरी कॉम

मैरी कॉम का नाम हर कोई जानता है और इनकी जिंदगी पर एक फिल्म भी बनाई गई है। मैरी कॉम एक भारतीय महिला बॉक्सर हैं जिन्होंने साल 2012 के ओलम्पिक में कांस्य पदक जीता था। इतना ही नहीं ये पहली ऐसी भारतीय महिला बॉक्सर खिलाड़ी भी हैं, जिन्होेंने ओलम्पिक में क्वालीफाई किया था। ओलम्पिक में कांस्य पदक हासिल करने के अलावा मैरी कॉम ने पांच बार विश्व मुक्केबाज़ी चैंपियनशिप भी अपने नाम की है।

मैरी कॉम का जन्म बेहद ही गरीब परिवार में हुआ था। लेकिन इन्होंने अपने परिवार की आर्थिक हालत को अपने सपनों के बीच में नहीं आने दिया और दिन रात एक कर आज ये मुकाम हासिल किया है।

साइना नेहवाल

साइना नेहवाल भारतीय महिला बैडमिंटन खिलाड़ी हैं और इन्होंने साल 2012 में ओलंपिक में अच्छा प्रदर्शन करते हुए एकल स्पर्धा में कांस्य पदक जीता था। साइना नेहवाल ने छोटी सी आयु में ही बैडमिंटन खेलना शुरू कर दिया था और इनके नाम अनगिनत रिकॉर्ड कायम है। इतना ही नहीं इन्हें भारत सरकार द्वारा भी कई सारे पुरस्कार दिए गए हैं।

हिमा दास

हिमा दास ने 400 मीटर दौड़ में स्वर्ण पदक जीतकर भारत का नाम रोशन किया है। ये पहली ऐसी भारतीय एथलेटिक्स महिला है जिन्होंने आई ए एफ अंडर 20 में ये पदक जीता हुआ है। इन्होंने महज 18 साल की आयु में देश का नाम रोशन किया है। हालांकि इस मंजिल तक पहुंचना हिमा दास के लिए बेहद ही संघर्ष भरा था। लेकिन उन्होंने जीवन के सभी संघर्षों का सामान करते हुए अपने सपनों को पूरा किया।

तानिया सचदेव

तानिया सचदेव एक शतरंज खिलाड़ी हैं और इन्होंने शतरंज में कई सारे अवॉर्ड जीत रखे हें। अंतर्राष्ट्रीय मास्टर, आई ऍम और महिला ग्रैंड मास्टर डब्लू जी का खिताब इनके नाम ही है। इसके अलाव इन्होंने साल 2002 में हुए एशियाई जूनियर गर्ल्स चैंपियनशिप को भी जीता था।

विद्या बालन

बॉलीवुड अभिनेत्री विद्या बालन को देश की बेहतरीन अभिनेत्री में गिना जाता है। हालांकि एक्टर बनने के लिए विद्या बालन को बेहद दी संघर्ष करना पड़ा था। कहा जाता है कि विद्या बालन के करियर की पहली फिल्म की शूटिंग बीच में ही रूक गई थी। जिसकी वजह से ये फिल्म नहीं बन पाई थी। वहीं फिल्म के ना बनने पर फिल्म के निर्देशक ने विद्या बालन को अपशगुन कहा दिया था।  लेकिन विद्या बालन ने एक्टर बनने के सपने को टूटने नहीं दिया और खूब मेहनत की और आज इसी मेहनत के कारण ही ये कायम अभिनेत्री बन पाई हैं।

रश्मि बंसल

सुपुत्री रश्मि बंसल एक खगोल भौतिकी वैज्ञानिक हैं और इन्होंने कई सारी किताबें भी लिख रखी हैं। सुपुत्री रश्मि बंसल ने अपने कॉलेज के दिन में ही किताबें लिखना शुरू कर दिया था और ये उन सभी महिलाओं के लिए प्रेरणादायक हैं जो खगोल भौतिकी वैज्ञानिक बनना चाहती हैं।

भक्ति शर्मा

भक्ति शर्मा भारतीय तैराक हैं जिन्होंने अंटार्कटिका महासागर में 1.4 मील तैराकी महज़ 52 मिनट में कर विश्व रिकॉर्ड बनाया है। आपको बता दें कि जिस वक्त भक्ति शर्मा ने अंटार्कटिका महासागर में तैराकी की थी उस समय वहां का तापमान 1 डिग्री था। इसके अलावा भक्ति ने विश्व के 5 महासागरों में तैराकी करने का रिकॉर्ड भी बना रखा है। वहीं साल 2010 में भक्ति को तेनज़िंग नार्वे पुरस्कार से नवाजा भी किया था।

हर्षिणी कान्हेकर

हर्षिणी कान्हेकर पहली भारतीय महिला फायर फाइटर है। हर्षिणी कान्हेकर ने नेशनल फायर सर्विस कॉलेज में दाखिला लिया था और हर्षिणी कान्हेकर इस कॉलेज में प्रवेश लेने वाली पहली महिला थी। वहीं कहा जाता है कि हर कोई चाहता था कि वो इस कॉलेज को छोड़ दें। लेकिन हर्षिणी कान्हेकर ने अपने हौसलों को बुलंद रखा और अपने कोर्स को पूरा कर देश की पहली भारतीय महिला फायर फाइटर बन गई।

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