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80 वर्ष की कमलाथल 1 रुपए में बेचती हैं इडली, घर के बाहर सुबह ही लग जाती हैं लंबी लाइन

60 साल के बाद लोग रिटायर हो जाते हैं और आराम से अपनी बची हुई जिंदगी को गुजारते हैं। लेकिन तमिल नाडु के वादीवेलमपालयम में रहने वाली कमलाथल जी ने 80 साल की उम्र होने पर भी अपने काम को नहीं छोड़ा है और इस उम्र में भी अपने कार्य को पूरे जोश के साथ कर रही हैं। कमलाथल जी पिछले 30 सालों से इडली और सांभर बेचने का कार्य कर रही हैं और 80 की आयु होने पर भी इन्होंने अपना ये काम जारी रखा है। कमलाथल जी का ये हौंसला युवाओं के लिए काफी प्रेरणादायक हैं।

कमलाथल जी कई वर्षों से इडली और सांभर बेच रही हैं और ये रोज सुबह जल्दी उठकर इस कार्य में लग जाती है। कमलाथल जी सुबह उठकर सबसे पहले नहाती हैं और उसके बाद पूजा पाठ करती है। पूजा पाठ पूरा करने के बाद कमलाथल जी अपने बेटे के साथ खेतों से जाकर वहां से ताजी सब्जियां लेकर आती है और इन सब्जियों को खुद काटकर इनसे सांभर तैयार करती हैं। संभार बनाने के बाद कमलाथल सिलबट्टे पर चटनी पीसती हैं और उसके बाद इडली तैयार करती हैं। 80 साल की कमलाथल जी इडली और सांभर बनाने के लिए किसी की भी मदद नहीं लेती हैं और खुद से इन्हें तैयार करती हैं।

कमलाथल जी के हाथों की इडली और सांभर काफी प्रसिद्ध है और दूर-दूर से लोग इन्हें खाने के लिए आते हैं। इनके घर के बाहर सुबह होते ही इडली और सांभर खाने के लिए लोगों की लंबी लाइन लग जाती है।

कमलाथल जी इडली और सांभर महज एक रुपए में बेचा करती हैं। इतना ही नहीं ये इडली और सांभर के साथ तीखी चटनी भी देती हैं, जो ये खुद अपने हाथों से तैयार करती हैं। मात्र एक रुपए में कमलाथल द्वारा बेचे जाने वाली इडली बेहद ही स्वादिष्ट होती है और इस इडली को खाने के लिए लोग लंबी लाइनों में लगे रहते हैं।

कमलाथल जी के अनुसार वो  6 किलो चावल और उड़द दाल को पीसकर इडली और सांभर बनाती है और 4 घंटे में सांभर, इडली और चटनी बनाकर तैयार कर लेती हैं। इडली और सांभर बनाने के लिए कमलाथल जी रात को ही चावल और उड़द की दाल पीस लेती हैं और सुबह होते ही गरमा गर्म इडली बनाती हैं। कमलाथल जी के अनुसार वो हर रोज 1 हजार इडली बनाकर बेचा करती है और दोपहर तक ही इडली बेचने का कार्य करती है। दोपहर के बाद कमलाथल जी अगले दिन के लिए इडली और सांभर बनाने की तैयारियों में जुट जाती है।

कमलाथल जी का मानना है कि बाजार में बिकने वाला खाना बहुत महंगा होता है और गरीब लोग रोज  15 या 20 रुपए का नाश्ता नहीं कर सकते हैं। इसलिए वो सस्ती इडली बेचा करती हैं, ताकि गरीब लोग कम पैसों में नाशता कर सकें और उनका पेट भी भर सके। कमलाथल जी के अनुसार सस्ता खाना खाने से मजदूर लोगों को पैसे जोड़ने में मदद मिलती है, जिससे वो अपने परिवार की अन्य जरूरतों को पूरा कर पाते हैं।

एक दिन 1000 इडली बेचकर कमलाथल जी 200 रुपए प्रति दिन मुनाफा कमा लेती हैं। वहीं  इडली के अलावा कमलाथल जी उझुंतू बोंडा भी बेचा करती हैं और इसको ये 2.50 रुपए बेचती हैं।

कमलाथल जी  के मुताबिक वो पहले 50 पैसे में इडली बेचा करती थी। लेकिन अब उन्होंने 1 रुपए में इडली बेचना शुरू कर दिया है और आने वाले सालों में वो इडली को एक रुपए भी ही बेचना चाहती हैं। ताकि गरीब लोग आसानी से कम खर्चा किए इडली खा सकें।

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