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दुनियां में सिर्फ ये 3 प्राणी हैं अमर, इन्हें काट दो तो भी रहते हैं जिंदा

इस दुनियां में जो एक बार जन्म लेता हैं उसकी मृत्यु होना भी निश्चित हैं. ये प्रकृति की विधान हैं. हालाँकि मनुष्य की यही इच्छा होती हैं कि काश वो अमर हो जाता हैं. जब बात अमरता की आती हैं तो हमें ये बात प्राचीन जमाने की कथाओं जैसी लगती हैं. हालाँकि आपको जान हैरानी होगी कि इस दुनियां में तीन प्राणी ऐसे भी हैं जो असल में अमर केटेगरी में आते हैं. आज हम आपको इन्ही प्राणियों के बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं.

अमर जीव

1. प्लैनरियन फ्लैटवर्म (Planarian Flatworm)

इस प्राणी की खासियत ये हैं कि ये ना सिर्फ अमर हैं बल्कि इसके 200 से अधिक टुकड़े करने पर भी ये जिंदा ही रहता हैं. दरअसल ये अपने टुकड़े होने पर खुद को दोबारा एक नए जीव में विकसित कर लेता हैं. यानी इसके जितने टुकड़े होंगे उतनी ही संख्या में ये दोबारा पहले जैसा बन जाएगा. यहाँ तक की विकसित दिमाग और नर्वस सिस्टम के टुकड़े होने पर भी ये उन्हें पुनः विकसित कर लेता हैं. इस जीव का ये तथ्य सबसे हैरान करने वाला हैं.

2. हीड्रा या हाइड्रा (Hydra)

इसका आकार एक ढेर सारे सिर वाले सांप या जलव्याल की तरह होता हैं. इसके भी आप चाहे जितने टुकड़े कर दे ये खुद को पुनः जीवत कर लेता हैं. ये देखने में आपको काफी हद तक ऑक्टोपस जैसा भी लग सकता हैं.

3. इमोर्टल जेलिफ़िश (Immorta Jelly Fish / Turritopsis dohrni)

जेलीफिश में एक Turritopsis dohrni नाम की प्रजाति आती हैं जिसे इमोर्टल जेलिफ़िश भी कहा जाता हैं. इस प्रजाति की जेली फिश की सबसे ख़ास बात ये हैं कि यह कभी बूढी ही नहीं होती हैं. दरअसल ये अपने सेल्स को बदलकर दोबारा युवा अवस्था में पहुँच जाती हैं. इस तरह ये चक्र हमेशा चलता ही रहता हैं. यही वजह हैं कि इसे इमोर्टल यानी अमर जेली फिश कहा जाता हैं.

विषम स्थिति में जिंदा रहने वाले जीव

अब हम उन जीवों के बारे में जानेंगे जो कठिन हालातों में भी जीवित रहने की क्षमता रखते हैं.

टार्डीग्रेड (Tardigrade)

4 mm लंबा एवं 8 पैरो वाला ये जीव बिना कुछ खाए पिए 30 सालों तक जिंदा रह सकता हैं. ये दुनियां के किसी भी कौने में रहने की शक्ति रखता हैं. मसलन पर्वत, महासागर, माइनस 272 डीग्री  ठण्ड, 150 डीग्री की गर्मी गर्मी और यहाँ तक कि अन्तरिक्ष में भी जिंदा रह सकता हैं. इसकी आयु इंसानों की तुलना में कई गुना अधिक होती हैं.

अलास्कन वुड फ्रॉग (Alaskan wood frog)

इस प्रजाति का मेंढक फ्रोजन फ्रॉग भी कहलाता हैं. इसकी वजह ये हैं कि जब अलास्का का तापमान – 20°c होता हैं तो इसका शरीर 80 प्रतिशत तक बर्फ में जम जाता हैं. इसकी सांस और दिल की धड़कन तक बंद हो जाती हैं. हालाँकि जब बसंत शुरू होता हैं और इसके शरीर की बर्फ हटती हैं तो ये पुनः जीवित होकर चलने फिरने लगता हैं.

लंग फिश (Lung Fish)

अफ्रीका में मिलने वाली ये मछली बिना खाए पिए 5 सालों तक जिंदा रह सकती हैं. सूखे के दौरान ये खुद को जमें में दफ़न कर लेती हैं. फिर बरसात के मौसम में वापस बाहर आ जाती हैं.

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