बॉलीवुड

इस कॉमेडियन ने 61 सालों तक फिल्म इंडस्ट्री में दिया बड़ा योगदान, अब पहचानना भी मुश्किल है

बॉलीवुड में कई ऐसे सितारे हैं जिन्होंने अपने बेहतरीन काम से लोगों को खूब मनोरंजित किया है। कुछ ऐसे लेजेंड्स हैं जिनका अभिनय लाजवाब था और उस जगह को आज तक कोई नहीं ले पाया। उन्हीं में एक हैं एक्टर जगदीप, जिन्होंने बहुत 60, 70, 80 और 90 के दशक में कई फिल्मों में अपना बेहतरीन योगदान दिया। 80 साल के जगदीप को आईफा अवॉर्ड दिया गया और उन्हें उनके दोनों बेटे जावेद और नावेद व्हील चेयर पर लेकर आए थे। इस कॉमेडियन ने 61 सालों तक फिल्म इंडस्ट्री में दिया बड़ा योगदान, इऩ्होने अपने कई किरदारों से लोगों को खूब हंसाया।

इस कॉमेडियन ने 61 सालों तक फिल्म इंडस्ट्री में दिया बड़ा योगदान

29 मार्च, 1939 को मध्य प्रदेश के दतिया में जन्में जगदीप ने अपने करियर में 400 से ज्यादा फिल्मों में काम किया है। उन्हें सबसे ज्यादा फिल्म शोले के सुरमा भोपाली के किरदार के लिए याद किया जाता है। जगदीप ने फिल्म इंडस्ट्री में अपने करियर की शुरुआत साल 1951 में फिल्म अफसाना से की थी और इसमें उन्होने बतौर बाल कलाकार काम किया था। इसके बाद जगदीप को साइड हीरो और कॉमेडियन का किरदार हर दूसरी या तीसरी फिल्मों में मिलता गया। ‘अब दिल्ली दूर नहीं’, ‘मुन्ना’, ‘आर पार’, ‘दो बीगा जमीन’ और ‘हम पंछी एक डाल के’ जैसी फिल्में इनकी सुपरहिट फिल्में थीं।

इन फिल्मों के बाद जगदीप की लोकप्रियता इतनी मिली कि ये फिल्मों में लीड एक्टर के तौर पर भी नजर आने लगे। इन फिल्मों में ‘भाभी’ और ‘बरखा’ शामिल हैं और इसके बाद जगदीप ने ‘ब्रह्माचारी’ फिल्म से बतौर कॉमेडियन खुद को स्थापित कर लिया। जगदीप की आखिरी फिल्म साल 2012 में आई गली गली चोर है में नजर आए। जगदीप के पोते मीजान जाफरी ने हाल ही में फिल्म मलाल से बॉलीवुड में डेब्यू किया। जब जगदीप को आईफा अवॉर्ड दिया गया तब उनके पोते भी वहां मौजूद थे और इन सभी तस्वीरों में समय के साथ जगदीप का लुक बदलता ही गया।

इन फिल्मों में किया काम

जगदीप ने बॉलीवुड में कॉमेडियन के रूप में जो छाप छोड़ी है वो आज के दौर के कॉमेडियन तो भूल ही गए हैं। बिना डबल मीनिंग का इस्तेमाल किए इनके डायलॉग्स बोलने के अंदाज से ही लोग ठहाके लगाकर हंसते नजर आए। जगदीप ने शोले, सूरमा भोपाली, अंदाज अपना अपना, आर-पार, दो बीघा जमीन, नगीना, फूल और कांटे, भाभी, सास भी कभी बहू थी, निगाहें, गोरा और काला, स्वर्ग नरक, ब्रह्मचारी, खिलौना, कहीं प्यार ना हो जाए, हम पंक्षी एक डाल के, शहंशाह, पुराना मंदिर, तीन बहुरानियां, फिर वही रात जैसी सफल फिल्मों में शानदार काम किया।

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