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आखिर कैसे दिखेंगे अच्छे दिन काम तो अभी तक अधूरे हैं आपके!

उत्तर प्रदेश में चुनाव प्रचार चरम पर, सभी राजनैतिक दलों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है, ऐसे में सूबे के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव अपनी रैलियों में बार बार कह रहे हैं कि अच्छे दिन कहाँ हैं, कोई मुझे बताये, कहाँ हैं अच्छे दिन. फिर वो खुद ही कहने लगते हैं कि काम बोलता है. दरअसल उनका इशारा इस बात पर है कि अगर काम बोलता तो अच्छे दिन जरुर आते. लेकिन 5 साल राज करने के बाद भी उन्हें नहीं दिख रहा कि अच्छे दिन कहाँ हैं.

यूपी में अच्छे दिन कैसे आयेंगे :

दरअसल काम बोलता तो है लेकिन उससे भी पहले दिखता है, और यूपी में अखिलेश यादव का काम साफ़ तौर पर दिख रहा है. अखिलेश यादव हर रोज नई नई योजनओं का उद्घाटन तो कर रहे हैं लेकिन एक भी योजना का लाभ अभी तक जनता को नहीं मिल पाया है. क्योंकि जब काम अधूरा ही रहेगा तो कहाँ से जनता को लाभ मिलेगा.

ऐसे में अधूरा काम चिल्लायेगा और बोलेगा भी, और जब तक पूरा नहीं हो जायेगा तबतक दिखेगा भी. बस यही बात है अखिलेश यादव जी इसीलिए आपको अच्छे दिन नहीं दिख रहे हैं. अधूरे हाई वे प्रोजेक्ट्स, अधूरे मेट्रो स्टेशन, अधूरा आईटी पार्क, अधूरे वादे और ना जाने क्या क्या? जब सबकुछ अधूरा ही है तो कैसे दिखेंगे अच्छे दिन.

और ये सच है कि यूपी के अच्छे दिन नहीं आये, क्योंकि यूपी में आपकी सरकार थी. कहीं ना कहीं यूपी के अच्छे दिन नहीं आने के पीछे आप खुद जिम्मेदार हैं. आपके काम की लिस्ट बनाई जाये तो क्या मिलेगा, हज हाउस का निर्माण, जगह जगह साइकिल पथ का निर्माण जिसकी वास्तव में कोई जरूरत नहीं थी, आज कितने लोग साइकिल पथ पर साइकिल चला रहे हैं.

अखिलेश यादव जी जनता की जरूरत की योजनाओं पर फोकस कीजिये, अपने मन की योजनायें बनाकर उन्हें जनता पर मत थोपिए, यूपी में अच्छे दिन कैसे आयेंगे, अभी तो सैकड़ों योजनायें कागज पर ही हैं, जमीन पर आयीं भी नहीं, अगर कुछ आयी भी हैं तो 5 साल में भी पूरी नहीं हो पायीं हैं.

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