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यदि आपका बच्चा 18 साल से कम उम्र का हैं तो उसे भूलकर भी ना दे ये 5 आज़ादियाँ, जिंदगीभर पछताओगे

ऐसा माना जाता हैं कि 18 वर्ष की उम्र के बाद बेटा या बेटी शयाने हो जाते हैं. इस एज के बाद वो अपने निर्णय लेने में पुर्णतः सक्षम होते हैं. इसलिए एक पेरेंट होने के नाते आपको अपने 18 साल से कम बच्चों को ये 5 आजादियाँ नहीं देना चाहिए.

1. बीड़ी, सिगरेट, तम्बाकू, शराब, ड्रग्स ऐसी कुछ चीजें हैं जो आपके बच्चे का भविष्य तबाह कर सकती हैं. यदि कम उम्र में ही वो इन चीजों का आदि हो गया तो उसका भविष्य काला ही होगा. फ़िल्में और दोस्तों को इस तरह की चीजों का सेवन करते हुए देख बच्चों को लगता हैं कि ये कूल चीज हैं. कुछ ये भी कहते हैं कि जीवन में सभी चीजों का मजा लेना चाहिए. लेकिन ये नहीं बताते कि मजा दुसरो चीजों से भी लिया जा सकता हैं. ये चीजें तो उल्टा आपका जीवन कम कर सकती हैं. कहने का मतलबी बस ये हैं कि जब तक आपका बेटा या बेटी 18 वर्ष का ना हो जाए तब तक उसे इन सभी चीजों के नुकसान अच्छे से समझाइए. 18 का होने के बाद उसे ये काम करना हैं या नहीं वो खुद डिसाइड कर सकता हैं. क्योंकि कई बार बच्चे जो इन्हें पीना शुरू कर देते हैं इसके दुषपरिणामों से अवगत नहीं रहते हैं.

2. समय पर घर आने या कहीं जाने को लेकर पाबन्दी लगाना जरूरी हैं. फिर वो बेटा हो या बेटी. उन्हें इस मामले को लेकर खुली छूट ना दे. यदि उसकी उम्र 18 वर्ष से कम हैं तो वो खुद का अच्छे से ख्याल रखने में भी असमर्थ हैं. बच्चों को कहीं भी अकेले जाने देना और उन पर नज़र ना रखना कई बार खतरनाक भी साबित हो सकता हैं. आजकल का जमाना कैसा हैं आप जानते ही हैं.

3. प्यार और शारीरिक संबंध जैसी चीजों में आपको पूर्ण छूट नहीं देना चाहिए. आपको शायद ये बातें 18 साल के कम बच्चे के लिए सुनने में अजीब लगे, लेकिन इसे विस्तार से जाने. आज के जमाने में 18 से कम के बच्चे भी बॉयफ्रेंड गर्लफ्रेंड बनाते हैं. ऐसे में वो नए प्रयोग करने के चक्कर में, किसी के बहकावे में आकार या कोई फिल्म देखकर गलत काम भी कर लेते हैं. कुछ अभी से शादी के सपने देखने लगते हैं. ऐसे में अपने लिए सही लव पार्टनर चुनने की समझ उनमे नहीं आ पाती हैं. इसलिए आपको उन्हें गाईड करना चाहिए. लेकिन हाँ यदि एक बार वो 18 के ऊपर हो गए तो फिर उन्हें अपना निर्णय स्वयं लेने दे. तब आप ज्यादा दखलअंदाजी ना करे.

4. कुछ मामलो में अपने सपनो या करियर को लेकर भी बच्चो में नासमझी होती हैं. मसलन कोई सिंगर बनना चाहता हैं, कोई क्रिकेटर बनना चाहता हैं तो कोई एक्टिंग में जाना चाहता हैं. अब इसमें कोई बुराई नहीं हैं. लेकिन यदि आपके बच्चे के अंदर वो हुनर हैं ही नहीं तो फिर उस दिशा में बढ़ने और पढ़ाई लिखाई पर कम ध्यान देने का कोई सेन्स नहीं बनता हैं. इसलिए उसे पढ़ाई के महत्व को समझाए. वो एक बार बेसिक पढ़ाई कर ले ताकि उसकी ड्रीम जॉब ना लगने पर कोई दूसरी नौकरी भी कर सके.

5. कई पेरेंट्स अपने बच्चों को बाइक या कार चलता देख बहुत खुश होते हैं. हालंकि 18 वर्ष के कम उम्र के बच्चो का इन्हें चलाना लीगल नहीं हैं. साथ ही बच्चे बड़ी स्पीड में गाड़ी भगाते हैं. तो सुरक्षा के लिहाज से भी ये सही नहीं हैं. इसलिए बच्चो को 18 का होने के बाद ही वाहन चलाने की आज़ादी दे.

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