अध्यात्म

नवरात्रि: इस दिशा में रखे माँ की प्रतिमा, कलश और अखंड ज्योति, मिलेगा सर्वोत्तम लाभ

दोस्तों नवरात्रि का त्यौहार जल्द ही दस्तक देने वाला हैं. ऐसे में लोगो ने अभी से नवरात्रि की तैयारियां शुरू कर दी हैं. इन नौ दिनों हम माता के नौ रूपों की पूजा करते हैं. ये समय माता के भक्तों के लिए बेहद ख़ास होता हैं. ऐसा कहा जाता हैं कि इन दिनों आप माताजी से जो भी मुराद मांगते हो वो पूर्ण होती हैं. यही वजह हैं कि आपको नवरात्रि में कई लोग माता की भक्ति में डूबे हुए दिखाई देंगे. नवरात्रि में माता रानी की प्रतिमा स्थापित करने का भी रिवाज हैं. नौ दिनों तक माता को विराजित कर उनकी पूजा होती हैं और भक्त उनके सामने गरबे भी खेलते हैं. हर साल आप भी माता रानी की स्थापना जरूर करते होंगे. लेकिन क्या आप इस बात का ध्यान रखते हैं कि उन्हें किस दिशा में बैठना चाहिए.

माता रानी को बैठाने की दिशा

दरअसल वास्तु शास्त्र की माने तो हर देवी और देवता की एक निश्चित दिशा तय होती हैं. उन्हें यदि आप इस विशेष दिशा में स्थापित कर पूजन करते हैं तो आपो सबसे अधिक लाभ प्राप्त होता हैं. ऐसे में यदि आप माता रानी की स्थापना कर रहे हैं तो उन्हें नवरात्रि में पूर्व या दक्षिण दिशा में ही विराजित करे. इसमें से भी पूर्व दिशा सबसे ज्यादा उत्तम मानी जाती हैं. इस दिशा को ज्ञान, बुद्धि और विवेक की दिशा भी कहा जाता हैं. इस दिशा से सूर्य का उदय भी होता हैं. ऐसे में उसकी पॉजिटिव किरणें उस स्थान को भी सकारात्मक उर्जा से भर देती हैं. एक सकारात्मक माहोल में माता रानी की आराधना करने का अपना अलग लाभ होता हैं.

कलश रखने की दिशा

वैसे माता जी को बैठाने क एलिए ईशान कोण (पूर्व एवं उत्तर दिशा के मिलने का स्थान) भी सर्वोत्तम होता हैं. इस दिशा में आपको माता की प्रतिमा या कलश रखना चाहिए. वैसे आपकी जानकारी के लिए बता दे कि ईशान कोण का सिर्फ धार्मिक ही नहीं बल्कि वैज्ञानिक कारण भी हैं. दरअसल पृथ्वी की उत्तर दिशा में मैगनेटिक फिल्ड (चुम्बकीय उर्जा) अधिक प्रवाहित होती हैं. इस वजह से ये स्थान पॉजिटिव एनर्जी से भरा रहता हैं. इसलिए आप इस ईशान कोण का इस्तेमाल भी माता रानी के पूजा स्थल के रूप में कर सकते हैं.

दीपक लगाने की दिशा

नवरात्रि में लोग माता रानी के समक्ष अखंड ज्योति भी प्रज्वलित करते हैं. ये ज्योति पुरे नौ दिनों तक जलती रहती हैं. ऐसे में यदि आप इस अखंड ज्योति को आग्नेय कोण (पूर्व दक्षिण कोना) में रखते हैं तो आपको सर्वाधिक लाभ मिलता हैं. यह कोना अग्नि तत्व का प्रतिक होता हैं. ऐसा कहा जाता हैं कि इस दिशा में माता रानी के नाम का दीपक प्रज्वलित करने से घर में सुख, शान्ति और समृद्धि आती हैं. इसके साथ ही शत्रु आपका नुकसान नहीं कर पाते हैं. ये आपके घर को बुरी नजर से भी बचाता हैं. एक बात और ध्यान रहे कि आप ये दीपक घी का ही लगाए.

यदि आपको ये जानकारी पसंद आई तो इसे दूसरों के साथ साझा जरूर करे, ताकि वे भी सही वास्तु के साथ माता रानी की पूजा कर सके.

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